Confused about my sexuality
Raccatography

अपने यौन रुझान को लेकर उलझन

नहीं जानता कि मैं समलैंगिक, सीधा या उभयलैंगिक हूँ!यह सवाल मुझे बहुत दिनों से परेशान कर रहा है। मुझे अब काम क्रिया की सोच से भी नफरत हो गई है, इतनी अधिक की मैं अब इस से परहेज़ रखने लगा हूँ।

मैंने स्त्री और पुरुष दोनों के साथ यौन क्रिया की है। मुझे दोनों लिंगों के साथ आनंद प्राप्ति हुई, लेकिन शायद पुरुषों के साथ मुझे अधिक पसंद की अनुभूति हुई – हालाँकि मैं यह विश्वास के साथ नहीं कह सकता हूँ।

23 वर्षीय नागेश कुमार मुंबई में होस्पिटालिटी क्षेत्र में कार्यरत हैं।

मैं यह जानने के लिए बहुत उत्सुक था कि क्या मैं समलैंगिक हूँ, लेकिन यह बहुत निराशाजनक रहा। मैंने इन्टरनेट पर समलैंगिक पुरुषों से मिलने का प्रयास किया। इन इन्टरनेट चैट रूमों में पुरुष संबंधों के लिए नहीं लेकिन यौन क्रिया के लिए साथी तलाशते हैं।

मुझे गलत ना समझें। इन इन्टरनेट साइटों के ज़रिये मैंने बहुत से मित्र बनाये लेकिन सम्बन्ध अधिक दिन नहीं चल पाया क्यूंकि उन्हें सिर्फ यौन साथी की तलाश थी।

इन कारणों ने मुझे समलैंगिकता के प्रतिकूल कर दिया है। लेकिन समलैंगिक पुरुषों तक पहुँचने का सिर्फ यही एक द्वार है। इसके अलावा और कहीं में उनसे नहीं मिल सकता। अंततः मैंने अब मैंने छोड़ ही दिया है। मुझे पुरुषों से ना मिलना ही ज्यादा सरल लगता है।

परिवार

समलैंगिक पुरुषों से मिलने में मुशिकिलातों का एक कारण यह भी है कि कोई इसे लेकर सहज नहीं है। यहाँ तक की मैं भी नहीं। मैंने अपने शक के बारे में अपने कुछ मित्रों से पूछा है और उन्होंने मेरा समर्थन भी किया है लेकिन कुछ मित्रों ने मुझे आगाह किया है कि इस से मेरे माता पिता को कष्ट पहुँच सकता है।

मैं जानता हूँ कि अगर मेरे माता पिता को पता चलेगा कि मैं अपने यौन रुझान को लेकर असमंजस में हूँ तो वो जाने क्या सोच बैठें। मैं 23 वर्ष का हूँ और मेरी माँ मेरी शादी करने और किसी दिन मेरे पिता बनने के सपने ज़रूर देख रही होगी।

लेकिन मैं किसी और का जीवन बरबाद नहीं करना चाहता। अगर मैं अपनी पत्नी के साथ खुश नहीं रह सका तो? अगर मैं उभयलैंगिक ना हो कर समलैंगिक हुआ तो? ऐसी स्थिति में कोई भी खुश नहीं होगा।

उलझन

इस असमंजस की स्थिति से मैं सचमुच थक चुका हूँ। जब मैं काम कर रहा होता हूँ या, मित्रों या परिवार के साथ समय व्यतीत कर रहा होता हूँ – मेरे मस्तिष्क में यह ही चलता रहता है। मैंने पाया कि इसका असर मेरे काम और सामाजिक रिश्तों पर भी पड़ा है।

अब सोचते होंगे कि मैं कमज़ोर निष्पादन को छिपाने के लिए बहाना बना रहा हूँ, लेकिन सचमुच ऐसा नहीं है। मैं इसमें उलझता चला जा रहा हूँ और मैं इस तरह जीना नहीं चाहता। लेकिन मुझे इसका हल नहीं पता।

शायद मुझे मदद की ज़रुरत है, लेकिन मेरे पास इसके लिए समय नहीं है। मैं सप्ताह में 6 दिन, प्रतिदिन 10 घंटे काम करता हूँ। मेरे पास परामर्शदाता ढूँढने और उस से मिलने का समय कहाँ है? चाहे इस गुत्थी को सुलझाना कितना भी ज़रूरी हो, मेरे विचार में यह इसके लिए उपयुक्त समय नहीं है।

परहेज

अगर मैंने समस्या सुलझा कर यह जान भी लियाकि मैं समलैंगिक या उभयलैंगिक हूँ, यह सिर्फ मुसीबतों की शुरुवात होगी। क्या मैं इसे उजागर करूँगा या फिर चुपचाप कुछ कहे बिना ज़िन्दगी व्यतीत करूँगा जिससे कोई मेरे बारे में राय ना बनाये और किसी के भावनाओं को ठेस ना पहुंचे।

यह एक विकत दुविधा है, इस वजह से मैं इसके बारे में ना सोचना ही बेहतर समझता हूँ। अगर यौन क्रिया के बारे में सोचना इतना तनावपूर्ण होगा तो कोई इसके बारे में क्यूं सोचेगा? मुझे अब पता चलने लगा है कि यौन कर्म से परहेज रखना कैसा महसूस होता है।

यहाँ तक कि मैं कुछ अलैंगिक फोरमों में भी पंजीकरण करवाया है और यह देखकर तसल्ली हुई कि ऐसे लोग हैं को कि यौन कर्म को कोई महत्व नहीं देते हैं। मैं इस रस्ते को अपना कर अपने लिए इसे आरामदेह बनाने का प्रयास कर रहा हूँ।

नागेश परिवर्तित नाम है!

छायांकन: राच्क्टोग्रफ्य सीसी लाइसेंस के तहत

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