20 वर्षीय मेघा एक छात्रा है।
आहें भरना और कराहना
मुझे यह कभी समझ नहीं आया कि फिल्मों में गर्मागर्म सीन के दौरान अभिनेत्रियां ज़ोर ज़ोर से आहें क्यों भरने लगती हैं? महिलाओं को यह मज़ा पाने के लिए क्या करना पड़ता है! ये सिर्फ फिल्मों में अभिनय की बात नहीं हो सकतीI वास्तविक जीवन में भी तो कुछ ऐसा होता होगा जो महिलाओं को चरम सुख पाने में मदद करता होगा। मुझे मेरे इन सवालों का ज़वाब तब मिला, जब कॉलेज की मेरी सहपाठी विनीता ने मुझे उस ख़ास स्पर्श के बारे में बताया और मैंने ख़ुद इसे करने की कोशिश की।
सबसे पहले मैंने अपनी योनि के अंदरूनी हिस्सों पर हाथ फेरना शुरू किया और अंत में क्लिटोरिस तक पहुंच गयी। 20 मिनट तक योनि को रगड़ने और सहलाने के बाद मेरी बांहें और उंगलियां थक गईं लेकिन मुझे कुछ भी महसूस नहीं हुआ। मैं कम से कम एक बार अपने मुंह से वह सेक्सी आवाज सुनना चाहती थी लेकिन मुझे उसमें भी कामयाबी नहीं मिली।
अगले दिन विनीता ने मुझे क्लिटोरिस को उत्तेजित करने की बज़ाय सिर्फ उंगली का इस्तेमाल करने के लिए कहा। एक सप्ताह के अंदर ही मुझे समझ में आ गया कि चरम सुख पाने के दो ही तरीके हैं एक तो योनि में उंगली डालना और दूसरा क्लिटोरिस को सहलाना।
निचले हिस्से पर ध्यान
मेरी कोशिशें बेकार नहीं गई। उस दिन मुझे चरम सुख का अनुभव तो हुआ लेकिन अब भी मेरे मुंह से सेक्सी आहें नहीं निकली। फिल्मों में मैंने जो देखा था, यह उसके ठीक विपरीत था। सच बताऊं तो मेरे मुंह से कभी भी ऐसी कोई आवाज नहीं निकली। चरम सुख सिर्फ़ महसूस होता है और केवल दो या तीन सेकंड के लिए रहता है। इस दौरान मेरी सांस तेज हो जाती हैं और मेरी जांघें सिकुड़कर मेरे जननांगों के पास आ जाती हैं, जैसे कि वे एक दूसरे को गले लगाने की कोशिश में हों।
विनीता ने मुझे यह भी बताया कि प्रत्येक महिला पर अलग-अलग चीज़ें काम करती हैं। उसने मुझे पोर्न देखकर हस्तमैथुन करने की सलाह भी दी, लेकिन बाएं हाथ में फोन पकड़कर और दाएं हाथ को नीचे व्यस्त रखकर अपने शरीर पर ध्यान केंद्रित करना मेरे लिए खासा मुश्किल साबित हुआI
इसके अलावा मेरे साथ दूसरी समस्या यह थी कि जिस घर में हम रहते हैं, मेरे कमरे के एक तरफ मां का कमरा और दूसरी तरफ मेरे भाई का कमरा है। ऐसे में पोर्न देखते हुए हस्तमैथुन करने का तो सवाल ही नहीं उठता।
ख़ुद को आनंदित करना
मैं जब नहाने जाती हूं तब बाथरूम में ही अपनी शारीरिक ज़रूरतों को पूरी कर लेती हूं। छह महीने से अधिक समय तक ऐसा करने के बाद, चरम सुख तक पहुंचने में अब मुझे दस मिनट की बज़ाय सिर्फ़ तीन से चार मिनट लगते हैं। विनीता अपने हॉस्टल के कमरे में इयरफोन लगाकर अपने बिस्तर पर ही यह सब करती है क्योंकि वह अकेली रहती है।
एक दिन मैं पोर्न देखने के लिए अपने फोन को टॉयलेट में ले गयी, लेकिन यह मुझे अपनी सेक्सी कल्पनाओं से कम मज़ेदार लगा। मैं अपनी कल्पनाओं में ख़ुद को ऐसे आदमी के साथ सेक्स करते हुए सोचती हूँ जिसे मेरे इरादों का पता ही ना हो। ऐसा करने में मुझे बड़ा मज़ा आता।
जब से मैंने वह ‘ख़ास स्पर्श’ करना सीखा है, तब से मैं काफी अलग महसूस कर रही हूं। हमारे कॉलेज की कैंटीन में एक संदेश लिखा है "अपनी सहायता स्वयं करें" और जब मैंने अपने जननांगों के साथ यही किया, तो मुझे बिल्कुल अलग एहसास हुआ, कि मेरी खुशी मेरी उंगलियों में है। जब भी विनीता और मैं उस बोर्ड को देखते हैं, हम एक-दूसरे पर हंसते हैं और पलके झपकाकर इशारों में उस ‘ख़ास स्पर्श’ को याद करते हैं।
गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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लेखक के बारे में: अर्पित छिकारा को पढ़ना, लिखना, चित्रकारी करना और पॉडकास्ट सुनते हुए लंबी सैर करना पसंद है। एस आर एच आर से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखने के अलावा, वह वैकल्पिक शिक्षा क्षेत्र में भी काम करते हैं। उनको इंस्टाग्राम पर भी संपर्क कर सकते हैं।