बेटा जी, मैं तेरी परेशानी समझती हूं और हां, मुझे अच्छा लगा कि तूने ये बात पूछने की हिम्मत दिखाई क्योंकि बहुत से लड़के तो पूछ ही नहीं पाते। हां वहीं, मर्दों को दर्द नहीं होता वाला ट्रेंड। चल, एक बात तो मुझे समझ आ गई कि मेरे साथ अब लड़के सवाल करने से हिचकते नहीं हैं।
अब तेरे सवाल पर आते हैं। अक्सर लड़कों के मन में सवाल होते हैं कि मेरे अंडकोष यानी की टेस्टिकल्स सिकुड़ गए हैं, तो कहीं ये चिंता का विषय तो नहीं? तेरे सवाल का जवाब देने से पहले पुत्तर जी, पहले ये बात जानना जरूरी है कि अंडकोष होते क्या है, और इसकी जरूरत क्यों है?
अंडकोष, अंडकोष की थैली यानी की स्क्रोटम में होते हैं। अंडकोष का मुख्य काम स्पर्म बनाना एवं टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन करना है। ये हार्मोन ही पुरुषों के यौन इच्छा के लिए जिम्मेदार होते हैं। अब तू एक बात सोच कि इनके ऊपर कितनी बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि अगर स्पर्म ना बने, तो कितनी बड़ी समस्या हो जाएगी और हां, इस स्पर्म के बनने के लिए भी एक न्युनतम तापमान की जरूरत होती है इसलिए ये अंडकोष बाहर लटके हुए होते हैं ताकि शरीर के तापमान की तुलना में अंडकोष का तापमान कम होना चाहिए। अब जहां तापमान का हेरा-फेरी होगी, वहां बदलाव तो होंगे ही ना सौरभ पुत्तर जी।
ऐसा क्यों होता है बार-बार
ऐसा इसलिए होता है बार-बार क्योंकि सौरभ बेटा, अंडकोष सिकुड़ने के पीछे कई कारण हैं, जिसे जानना जरुरी है। चल इसे समझते हैं- वरना तेरा धैर्य अब जवाब दे देगा।
- ठंड के कारण: जब मौसम ठंडा होता है, तो स्क्रोटम (वो थैली जिसमें अंडकोष होते हैं) सिकुड़ जाती है ताकि शरीर की गर्मी बनी रहे। ये बिल्कुल सामान्य है। ऐसे समझ- जब हीरो को विलेन पर गुस्सा आता है, तो वो कैसे मुट्ठी बंद कर लेता है। बिल्कुल वैसे ही, जब अंडकोष अपना तापमान सामान्य से कम रखना चाहता है, तो खुद को सिकोड़ लेता है- हां, गुस्से से नहीं।
- यौन उत्तेजना : जब कोई भी पुरुष उत्तेजित होता है, तो अंडकोष थोड़े ऊपर की ओर खिंच सकते हैं या सिकुड़ सकते हैं। अब ये मत कहना कि मेरे तो गर्लफ्रेंड नहीं है। आंटी जी की कृपा से जल्द मिल जाएगी पुत्तर जी।
- व्यायाम या खेल के दौरान: कोई भी शारीरिक गतिविधि करते वक्त भी शरीर खुद को सुरक्षित करने के लिए अंडकोष को थोड़ा अंदर की ओर खींचता है। अब अगर कोई बॉल तेजी से तेरी ओर आ रही हो, तो तू छिपेगा या नहीं- छिपेगा ना, तो इसलिए अंडकोष भी खुद को सुरक्षित करते हैं।
- तनाव या डर के समय: जब कोई डरा होता है या बहुत टेंशन में होता है, तब भी ये हो सकता है।
- नहाकर आने के बादः गर्मी के मौसम में तो हर किसी को ठंडक चाहिए होती है, तो तू भी तो ठंडे पानी से नहाना ही पसंद करेगा। ठंडे पानी में नहाने के कारण भी अंडकोष थोड़ी देर के लिए सिकुड़ जाते हैं, तो इससे घबराने की बात नहीं है पुत्तर जी।
क्या ये किसी कमजोरी का संकेत है?
अरे नहीं सौरभ बेटा। यह शरीर का स्वाभाविक रिएक्शन है और इसका तेरे टेस्टोस्टेरोन या स्पर्म काउंट पर कोई बुरा असर नहीं होता। तो अब गहरी सांस ले, तेरी परेशानी की सच्चाई पता चल गई ना। तू भी ना, टेंशन में आ जाता है। अब मैं तूझे बताती हूं कि टेंशन में आने वाली बात कब होती है।
कब होती है टेंशन वाली बात?
सौरभ बेटा, ज्यादा डर मत। मैं तेरी मैथ्स की टीचर नहीं हूं क्योंकि उससे तो मैं भी डरती थी, तो तूझे क्यों टेंशन दूंगी या डराऊंगी लेकिन अगर इन चीज़ों के साथ-साथ कुछ और लक्षण भी हों, तो डॉक्टर से मिलना सही रहेगा बेटा जी।
- लगातार दर्द
- अंडकोष में सूजन या गांठ
- अंडकोष के साइज में बहुत बड़ा बदलाव
- यौन इच्छा में अचानक गिरावट
क्या कर सकते हैं?
अब तू सोचेगा कि अंडकोष को स्वस्थ बनाए रखने के लिए क्या करना सही है, तो बेटा जी- तू इन चीज़ों को फॉलो किया कर। जैसे-
- नॉर्मल तापमान में रहने की कोशिश कर। जैसे- ना बहुत ठंडा ना बहुत गर्म।
- टाइट अंडरवियर पहनने से बच और आरामदायक कपड़े पहन।
- हेल्दी डाइट लें और एक्सरसाइज करता रह।
इन छोटे स्टेप्स को फॉलो करके तू टेंशन से बच सकता है।
तो सौरभ बेटा जी, अंडकोष का सिकुड़ना आम बात है और इससे कोई कमजोरी नहीं होती। अगर और कोई दिक्कत नहीं है, तो तू पूरी तरह से फिट और हेल्दी है। अगर फिर भी मन में डर है, तो एक बार किसी अच्छे डॉक्टर से बात जरूर कर ले इससे तुझे ठंड पड़ जाएगी मतलब शांति मिल जाएगी। और हां, ये शांति किसी लड़की का नाम नहीं है, तो ये मत कहना कि मुझे शांति नहीं मिली। बॉय-बॉय सौरभ बेटा।
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