तनाव किसी भी संबंध पर भारी पड़ सकता है, और कोविड के इस अकल्पित समय में रहने से, हम सभी अनगिनत परेशानियों का अनुभव कर रहे हैं -भावनात्मक, आर्थिक, शारीरिक और कार्य संबंधी भी। कभी-कभी यह तनाव बढ़ाने वाले कारण हमारी इन्द्रियों को पर बहुत अधिक असर करते हैं, जिससे कि हम सन्न रह जाते हैं या चिड़चिड़े हो जाते हैं।
फिर भी, यह स्थिति चीज़ों को और भी बढ़ा सकती है। किसी भी चिड़चिड़े व्यक्ति, या फिर कोई व्यक्ति जो अपने आसपास के वातावरण को लेकर सन्न हो, उनके साथ सम्बन्ध रखना बहुत मुश्किल है - चाहे वह साथी हो, भाई-बहन हो, दोस्त अथवा अभिभावक हों।
दो लोग इस प्रकार की तनावपूर्ण परेशानियों को किस प्रकार नियंत्रित करते हैं, इसके आधार पर ही ऐसी परेशानियां बढ़ती अथवा घटती हैं।
बातचीत ही उपाय है
आपका रिश्ता एक तनावपूर्ण समय में बच पाये इस बात को सुनिश्चित करने के लिए सही ढंग से की गयी आपसी बातचीत ही सबसे अच्छा तरीका है।
दो लोगों में इस विषय पर आपसी बातचीत बहुत ज़रूरी है कि पारस्परिक सामंजस्य को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें और क्या करना चाहिए। अपनी बात को बोल पाना और एक दूसरे से जुड़ना, तनाव और चिंता को कम कर सकता है।
हर किसी से गलती हो जाती है और ग़लतफ़हमी होना भी लाज़िमी ही है। मगर किसी को भी दूसरे व्यक्ति से यह पूछने में संकोच नहीं करना चाहिए कि उन्हें क्या चाहिए या फिर आप किस तरह से उनकी सहायता करके उनका साथ दे सकते हैं।
किसी भी रिश्ते को एक बुरे वक़्त से निकालने के लिए, बातचीत ही सबसे महत्वपूर्ण साधन है।
स्वयं को सुधारें / माफ़ी मांगें
इस तरह के समय में, जब कई कारणों से हमारे तनाव का स्तर बढ़ सकता है, हम सब को भावनात्मक उथल-पुथल का सामना करना पड़ता है। इस वजह से गुस्सा और /या कुंठा हो सकती है, जो तब फिर हम अपने किसी क़रीबी पर निकालते हैं, कोई ऐसा जिसके साथ हमारा कोई रिश्ता हो।
इसे तब पहचानना ज़रूरी है जब (तब नहीं-जब सभी ऐसा कर रहे हों!) हम ऐसा करें और भविष्य में इसे कम करने की कोशिश करें। स्थिति को सँभालने के लिए माफ़ी माँगना भी आवश्यक है, अन्यथा एक पूर्णतः नयी बहस आपके गुस्से /कुंठा का परिणाम हो सकती है।
दूसरे व्यक्ति का सम्मान करें
एक अच्छे रिश्ते में दोनों लोगों के अत्यधिक सम्मान की आवश्यकता होती है। ऐसे संबंध की परवरिश करना जो आपसी सम्मान पर बना हो, उसे एक उबाऊ क्रिया के बदले एक मनोरंजक अनुभव बना देती है।
सम्मान अर्थात दूसरे व्यक्ति का उसी रूप में आदर करना जो वे हैं और उनसे भी इसे प्राप्त कर पाना ।
'मी' टाइम (मेरा अपना समय )
आप अपना सारा समय उस व्यक्ति के साथ बिताना चाहते होंगे जिसके साथ आपका कोई रिश्ता है, ख़ासकर यदि वह आपका साथी या करीबी दोस्त है। फिर भी अगर आप हर समय किसी के साथ हैं और एक साथ निर्णय लेते हैं, तो यह बहस की ओर अग्रसर हो सकता है , एक दूसरे पर निर्भर होने या फिर एक दूसरे से अनुमति लेने की आवश्यकता को बढ़ावा दे सकता है।
बजाय इसके, कभी-कभी यह ज़्यादा अच्छा होता है कि कुछ 'मी' टाइम छोड़ा जाये जिससे कि आप इस बात पर केंद्रित हो कर समझ पाएं कि आप क्या करना चाहते हैं, अपनी रुचियों को बढ़ावा दें और स्वयं को तरोताज़ा करें।
आभार व्यक्त करें
आभार व्यक्त करना एक कृतज्ञतापूर्ण भाव है जो कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मिली हुई किसी भी चीज़ के लिए होता है।
रिश्तों में दूसरे व्यक्ति की प्रतिबद्धता और साथ देने के लिए कृतज्ञता व्यक्त करना आवश्यक है।
आभार मज़बूती और सुसंगत तरीके से अधिकतम प्रसन्नता से जुड़ा होता है और लोगों में सकारात्मक भावों को महसूस कराने में, अच्छे अनुभवों का आनंद लेने में और मज़बूत रिश्तों का निर्माण करने में सहायक होता है।
तनाव भी फ़ायदेमंद हो सकता है !
कभी कभी, तनाव, संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक परिवर्तन ला सकता है। यदि दोनों सम्बंधित लोग ,तनावपूर्ण घटना को सांझी कोशिश की तरह देखें, ना कि टकराव की वजह की तरह, तब वे एक दूसरे पर ज़्यादा भरोसा करना सीख सकते हैं और आपसी नज़दीकी भी बढ़ सकती है।
उदाहरण के लिए , जब हम टीनएजर थे, मेरी बहन और मैं हर समय लड़ते -झगड़ते रहते थे, जैसा कि सभी भाई -बहन करते हैं। लेकिन, जब मैं 16 साल की थी , मेरी माँ का बुरी तरह से एक्सीडेंट हो गया था जिसकी वजह से उन्हें लगभग एक महीने तक अस्पताल में रहना पड़ा था। मेरी बहन और मैं एक दूसरे की देख-रेख कर रहे थे। शुरुआत में तो हमारी लड़ाइयाँ बढ़ती रहीं और हमारे रिश्ते के ख़राब होने का खतरा भी। परन्तु, समय के साथ-साथ, क्योंकि हम दोनों ही अपनी माँ का एक साथ ख़्याल रखने के लिए जिम्मेवार थे, हमारा रिश्ता मज़बूत हो गया।
ठीक इसी तरह, एक दूसरे के साथ जिम्मेवारियों की वजह से लड़ने के बजाय, साथी उसे मिल-जुल कर की जाने वाली कोशिश मान सकते हैं। मगर उसे सही तरह से संचालित करने के लिए, यह ज़रूरी है कि दोनों साथी बराबर या उचित रूप से ज़िम्मेदारी बाँटें। एक दूसरे के परिवार का ध्यान रखना, आर्थिक ज़िम्मेदारी और बच्चों की ज़िम्मेदारी को यथोचित बाँटना। तनावपूर्ण स्थितियों से लड़ना तब आसान हो जाता है जब आपके साथ कोई कदम से कदम मिलाकर चल रहा हो। और यदि, आपका साथी यह नहीं समझ पा रहा है कि आपको सहायता की आवश्यकता है तो उनसे सहायता मांग लीजिये। पुरुष और स्त्री समान।
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति मॉडल हैं।
कोई सवाल? नीचे टिप्पणी करें या हमारे चर्चा मंच पर विशेषज्ञों से पूछें। हमारा फेसबुक पेज चेक करना ना भूलें। हम Instagram, YouTube और Twitter पे भी हैं!