20 साल की अलीशा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कॉमर्स की छात्रा है और वाराणसी में रहती है।
कैंटीन वाला रोमांस
उस दिन से पहले मैं रजत को जानती तक नहीं थी। कॉलेज की कैंटीन में मैं अपने एक फ्रेंड के साथ समोसे खाने के बाद काउंटर पर पैसे देने के लिए खड़ी थी। तभी पीछे से एक लड़के ने अपने पैरों से मेरा दुपट्टा दबा दिया और मेरा दुपट्टा नीचे गिर गया। मैंने मुड़कर उसे गुस्से में देखा तो वो धीरे से दुपट्टा उठाकर मुझे दिया और सॉरी बोलकर चला गया।
उसके हावभाव देखकर लग गया कि गलती से ही दुपट्टा दब गया होगा। उस दिन के बाद कई बार जब मैं कैंटीन गयी तो हम दोनों की नज़र एक दूसरे पर पड़ती लेकिन बात नहीं होती। हम दोनों की कॉमन फ्रेंड शीतल की वजह से एक दिन हमने साथ में बैठकर लंच किया और फिर धीरे-धीरे हम दोनों में दोस्ती हो गई।
संभल कर रहना इन लड़कों से
समय के साथ कॉलेज में हम दोनों का मिलना जुलना काफी बढ़ने लगा और बातों ही बातों में एक दिन रजत ने मुझसे मेरा नंबर मांगा। अब कॉलेज से घर जाने के बाद भी हम फोन पर घंटों बात करने लगे। उसका सेंस ऑफ ह्यूमर कमाल का था और मुझे उससे बात करना बहुत अच्छा लगता।
हमारी दोस्ती कब प्यार में तब्दील हो गई, पता ही नहीं चला। ये बात मेरी फ्रेंड से भी छिपी नहीं थी। एक दिन शीतल ने मुझसे कहा कि थोड़ा बचकर रहना इन लड़कों से ये सब सिर्फ़ किस करने और करीब आने के चक्कर में प्यार का नाटक करते हैं। फ्रेंड की बात मेरे जहन में बैठ गई और मैं किस को एक बुरी चीज मानने लगी। हालाँकि मेरा दिल ये मानने को राज़ी नहीं था कि रजत भी वैसा लड़का है।
उन लड़कों की तरह?
एक शाम घर ड्रॉप करते वक्त रास्ते में रजत ने मुझे किस करने की कोशिश की। अचानक से वे सब बातें याद आ गयीं और मैं हड़बड़ी में पीछे हट गयी और उसे रोक दिया। अब मुझे भी लगने लगा कि कहीं रजत भी तो उन लड़कों की तरह नहीं है जो किस को अचीवमेंट की नजर से देखते हैं। मन में लाखों सवाल और दुनिया जहान का डर लगने लगा था कि कहीं मैंने गलत लड़के से तो दोस्ती नहीं कर ली …
मैं रजत से प्यार तो करती थी और वो भी मुझे चाहता था। मैंने ये चीज़ नोटिस कि की उस दिन के बाद से हम ना जाने कितनी बार डेट पर गए लेकिन रजत ने कभी भी करीब आने की कोशिश नहीं की। शायद वह नहीं चाहता था कि एक किस के लिए मैं कोई ग़लतफहमी पालूं और उसकी लाइफ से चली जाऊं।
कहने को तो हम दोनों कपल थे लेकिन हमारे बीच एक अजीब सी दूरी थी। घंटों साथ बैठते, खाते-पीते, फिल्मों से लेकर राजनीति की बातें करते लेकिन करीब नहीं आते थे। कई डेट्स और शामें इसी उधेड़बुन में बिना किस किए ही बीतने लगीं।
उसे छूने को मन बेताब हो उठा
करते-करते ढाई महीने ऐसे ही बीत गए। रजत के प्यार में रत्ती भर भी कमी नहीं आई उल्टा अब वो मेरा और ज्यादा ख्याल रखने लगा था लेकिन उसने कभी किस की डिमांड नहीं की। एक रात मुझे खुद महसूस हुआ कि आखिर मैं किस जमाने की लड़की हूं। मैंने बहुत ले लिया रजत का इम्तिहान अब और नहीं।
शायद मैं ही ग़लत हूँ और वो वैसा लड़का नहीं है, जैसा मैंने शुरू में सोचा था। अब मेरे दिल में अचानक उसके करीब आने की तड़प उठने लगी। मैं उसे छूने और करीब से महसूस करने के लिए बेताब हो गई। मन तो कर रहा था कि रात में ही जाऊं और रजत को सब बता दूँ, अगले दिन हर हाल में मुझे रजत से मिलना था।
मीठा-मीठा, प्यारा-प्यारा किस
अगली सुबह उठते ही मैंने रजत को फोन किया और उसे मिलने के लिए बुलाया। जैसे ही मैं उससे मिली, इससे पहले कि वो कुछ कहता या समझता मैंने अपने होंठ उसके होंठों के बिलकुल करीब ला दिए। मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, रजत शायद मेरी हामी समझ चुका था।
उसने आगे बढ़कर मेरे होंठों को चूम लिया। याद ही नहीं कि उस दिन हम कितनी देर तक एक दूसरे को किस करते रहे। ऐसा लग रहा था मानों इस किस के सिवा अब हमें और कुछ नहीं चाहिए... यह मेरी ज़िंदगी का पहला किस था, मीठा-मीठा और प्यारा-प्यारा किस। उस पहले किस की मिठास मैं कभी नहीं भूल सकती। लेकिन हां, अब मैं उस पल को याद करके हंसती हूँ कि आखिर फर्स्ट किस करने में मैंने इतनी देर क्यों कर दी।
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।
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लेखक के बारे में: अनूप कुमार सिंह एक फ्रीलांस अनुवादक और हिंदी कॉपीराइटर हैं और वे गुरुग्राम में रहते हैं। उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। वह हेल्थ, लाइफस्टाइल और मार्केटिंग डोमेन की कंपनियों के लिए हिंदी में एसईओ कंटेंट बनाने में एक्सपर्ट हैं। वह सबस्टैक और ट्विटर पर भी हैं।