आंटी जी : ‘ओए अंकित पुत्तर, लगता है कि तुम शाहरुख खान की फिल्म के किसी सीन की बात कर रहे हो? पहली नज़र मे प्यार! चलो, अब इस बारे में विस्तार से बात करते हैं।’
प्यार या आकर्षण?
तो आजकल तुम्हारे दिमाग में ये गाना बज रहा होगा - तूने मारी एंट्रियां और दिल में बजी घंटियां! है ना? और तुम्हें लग भी रहा होगा कि यही हो रहा है बिल्कुल तुम्हारे साथ। आओ अब जानें दिल में घंटी बजने का मतलब। जब तुम उसे देखते हो तो तुम्हारा दिल जोरों से धड़कने लगता है, जब वह तुम्हारे करीब आती है तो तुम अपनी मुस्कुराहट नहीं रोक पाते। यही नहीं कभी-कभी तुम नर्वस भी हो जाते होगे। तुम उसके लिए कुछ खास महसूस करते हो और वह तुम्हारे दिमाग में चौबीसो घंटे रहती है, है ना?
क्या यह सच्चे प्यार की निशानी है?
खैर, ज़वाब साफ है कि अभी तो हम भी नहीं जानते। ये तो समय बताएगा।
देखो, तुम्हारे मन में उसके लिए जो भी है, वह सिर्फ आकर्षण है। वह तुम्हें अच्छी लगती है। तुम्हें उसे देखना, उससे बातें करना, उसके बारे में सब कुछ जानना अच्छा लगता है। यहां तक कि तुम्हें उसकी आदतें, पसंद-नापसंद, उसकी पसंदीदा मूवी, फेवरेट हीरो और कलर के बारे में भी जानने का मन होता है।
बेशक,यह सब महज एक आकर्षण है।
इश्क वाला लव!
अब तुम सोच रहे होगे कि फिर प्यार क्या है। क्या यह सच नहीं है कि तुम्हारा दिमाग इन्हीं सब एहसासों को पहले से ही ‘सच्चा प्यार’ माने बैठा है?
आखिरकार पूरा बॉलीवुड इसी ‘सच्चे प्यार' के फंडे पर ही तो चल रहा है। हीरो हीरोइन से मिलता है, उन्हें प्यार हो जाता है, वे बगीचे में गाना गाते हैं, अच्छी जगहों पर रोमांस करते हैं, पूरी दुनिया से लड़ते हैं, उनके माता-पिता साथ नहीं देते, वे एक साथ जीने मरने की कसमें खाते हैं, कभी-कभी एक दूसरे के साथ रहने के लिए सब कुछ छोड़ देते हैं और अंत में वे खुशी-खुशी एक साथ रहने लगते हैं और फिर मूवी खत्म हो जाती है।
हम मानने लगते हैं कि अगर हम दोनों के साथ ये चीजें हो रही हैं तो यही सच्चा प्यार है। हमें तो यह बताया गया है कि हीर ने रांझा के लिए और मजनू ने लैला के लिए जो किया वही सच्चा प्यार है।
कहा तो यह भी जाता है कि अगर आप अपने प्यार की खातिर अपनी नौकरी, मम्मी-पापा, दुनिया, रिश्तेदार वगैरह को छोड़ देते हैं, तो आपका प्यार सच्चा है। खैर, ये सब पूरी तरह ग़लत भी नहीं है। कुछ हद तक, यह सब सच्चे प्यार के लिए ही हो सकता है।
लेकिन जरा सोचो, जब हीरो हीरोइन खुशी-खुशी साथ रहने लगते हैं, तो क्या किसी मूवी में उसके बाद वाला पार्ट दिखाया जाता है? क्या होता अगर हीर सच में रांझा के साथ रहती (उनके बीच ऐसी बातचीत की कल्पना करो- 'आज खाने में क्या बनाएं,' 'सोनू की दवाई खत्म हो गई है!')
सच्चे प्यार को समझना
दरअसल, 'सच्चा प्यार' तब शुरू होता है जब पहली नज़र वाला प्यार खत्म होता है। हाँ यही सच है। क्योंकि इसी दौरान आप अपनी रिलेशनशिप या अपने पार्टनर के उन पहलुओं के बारे में सोचते हैं, जो कि आपने पहली नजर या आकर्षण के दौरान आप कभी नोटिस नहीं कर पाते हैं।
हां जी, सबसे मुश्किल वाला पार्ट यही है। आप अपने जीवन में क्या करना या बनना चाहते हैं? आपका पार्टनर जीवन में खुद को कहां देखना चाहता है या क्या करना चाहता है? आकर्षण का दौर खत्म होने के बाद आपको महसूस होगा कि आप दोनों लाइफ में बहुत अलग चीजें करना चाहते हैं और फिर आप तय कर सकते हैं कि आपको अपनी रिलेशनशिप लंबे समय तक रखनी चाहिए या नहीं। तब क्या यह सच्चा प्यार नहीं था? बिल्कुल था बेटा जी और तब तक रहेगा जब तक की आप एक दूसरे के साथ रहते हैं और एक दूसरे को खुश रखते हैं।
सच्चे प्यार का मतलब जीवन के कठिन समय में एक दूसरे का साथ देना भी है। चाहे वह पैसे की दिक्कत हो, पारिवारिक समस्या, शारीरिक संबंध से असंतोष या एक दूसरे की आदतों से परेशानी, इन सब चीजों पर आकर्षण के दौर के बाद ही ध्यान जाता है। क्या आप उन मुश्किल चीजों के बारे में एक दूसरे से बात कर सकते हैं? क्या आप इन चीजों को सुलझाने के लिए काम कर सकते हैं? अगर हां, तो यकीन मानिए आपका प्यार धीरे-धीरे मजबूत हो रहा है।
तो बेटा जी, अगर आप अपनी आंटी जी से ‘सच्चे प्यार’ का मंत्र जानना चाहते हैं, तो मेरी नजर में सच्चा प्यार यह है :
- जब आप अपने पार्टनर की पसंद या वो जैसा है, उसका सम्मान करते हैं
- जब आपकी रिलेशनशिप ऐसी हो जिसमें आपसी विश्वास और ईमानदारी हो। आप एक दूसरे की जरूरतों और इच्छाओं को समझ सकें।
- जब आप मुश्किल समय में एक दूसरे के साथ हों और एक दूसरे की मदद कर सकें।
कोई भी परफेक्ट नहीं होता
बेटा, मैं यह कहना चाहूंगी कि प्यार कभी स्थायी नहीं होता है। यहां तक कि जिसे हम सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, कभी न कभी उसके ही कामों या बातों को नापसंद करने लगते हैं। है ना? कोई भी व्यक्ति या रिलेशनशिप हर समय परफेक्ट नहीं होता। हम अपने पार्टनर से चिढ़ सकते हैं और हमारा पार्टनर भी हमें बहुत दुखी कर सकता है।
जैसे तुम्हारे अंकल कभी-कभी करते हैं! लेकिन क्या इसका मतलब हमारे बीच प्यार नहीं है? बेशक है, लेकिन हम इसे आसमान से गिरा ‘सोने का आम’ नहीं मानते हैं।
मैं कहूंगी कि यह सिर्फ एक बार की बात नहीं है-ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के जैसा। यह एक मैराथन है जिसे हर एक दिन चलाना होता है। अभी तुम एक दूसरे को जानों और यह सोचो की आप दोनों को जीवन से क्या चाहिए। एक साथ रहो, अच्छे और बुरे दोनों समय में। जहां तक सच्चे प्यार की बात है, तो धीरे-धीरे तुम एक दूसरे की केयर और परवाह से ही यह जान पाओगे। समझे क्या?
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पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।
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