फोन मेरा सबसे अच्छा दोस्त है लेकिन ….
मान लीजिये कि दो लोग डेट पर गए। वे एक रेस्टोरेंट में हैं और जैसा आजकल आमतौर पर होता है उन दोनों ने अपना फोन मेज पर रख दिया है, हालांकि वे ना तो फोन पर बात कर रहे हैं ना ही फोन उठा रहे हैं। लेकिन क्या ऐसा करने से उनकी उस दिन की डेट पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
इसका पता लगाने के लिए ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने कुछ लोगों को किसी अजनबी से मिलने के लिए अपनी प्रयोगशाला में आमंत्रित किया। इस दौरान कभी कभी फोन को बगल में रख दिया गया तो कभी उन लोगों की नज़रों से बिलकुल दूर कर दियाI इसके बाद अजनबियों से पिछले साल घटी किसी ऐसी घटना या प्रसंग के बारे में बात करने को कहा गया जो या तो बिलकुल महत्त्वहीन हो या फ़िर उसका उनकी ज़िंदगी पर बहुत गहरा असर पड़ा होI
बातचीत के बाद शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से कुछ सवाल पूछे जैसे कि अभी जिस अजनबी से आपने बातचीत की उसे आप अपने कितना करीब मानते हैं या उन पर आपको कितना भरोसा है या क्या उनके प्रति किसी तरह की सहानुभूति महसूस हुई।
बातचीत पर प्रभाव
शोध में पता चला कि जब फोन कमरे में मौजूद था तब लोग अपने पार्टनर के प्रति कम जुड़ाव महसूस कर रहे थे। इस दौरान उन्हें अपने पार्टनर से कम सहानुभूति और समझ भी महसूस हुई।
ख़ासतौर पर ऐसा तब हुआ जब प्रतिभागी कुछ महत्वपूर्ण विषय पर बात कर रहे थे। ज्यादातर परिस्थितियों में तो बात का विषय ही मायने रखता है जो दो लोगों के बीच विश्वास और अंतरंगता पैदा कर सकता है।
लेकिन इस शोध से यह पता चला कि आप फ़ोन पर बात करें या ना करेंI आसपास फोन की मौजूदगी भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैI निश्चित रुप से पहली डेट पर आप अपने पार्टनर के साथ जुड़ाव महसूस करने के साथ साथ उससे विश्वास और अंतरंगता की उम्मीद भी करते हैं। तो शायद बेहतर होगा अगर आप फ़ोन को दूर ही रखेंI
आजकल लोग हर जगह फोन को साथ में लेकर चलते हैं चाहें फिर वो जिम जा रहे हों, बीच पर छुट्टियाँ मना रहे हों या डेट पर जा रहे हों। जबकि मोबाइल फोन भी आपको हर जगह लेकर जा सकते हैं, सोशल नेटवोर्किंग साइट्स, व्हाटसएप और ई-मेल की मदद से आप दुनिया में कहीं बैठे अपने दोस्त, रिश्तेदार या प्रेमी से बातचीत कर सकते हैं।
फोन बना सौतन
इस बारे में कोई दो राय नहीं है कि मोबाइल फ़ोन आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है लेकिन इसका हमारे रिश्तो पर क्या प्रभाव पड़ता है या पड़ सकता है, इस बारे में शोध अभी हाल ही में शुरू हुई हैI
अब आप ये सोच रहे होंगे कि फोन पर बात ना करने के बावज़ूद भी कैसे वो इतना बड़ा प्रभाव डाल सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि फोन के आसपास होने की वजह से आप अपने सामने बैठे व्यक्ति पर ध्यान ना देकर उन लोगों और उनकी ज़िन्दगियों में हो रही घटनाओं के बारे में सोचने को मजबूर हो जाते हैं जिनके साथ आप सोशल नेटवर्क पर जुड़े होते हैंI
परिणामस्वरूप, आपका ध्यान सामने वाले की बातों पर कम होता हैI इससे उस व्यक्तो को आपके प्रति कम सहानुभूति या समझ महसूस हो सकती है, खासतौर पर तब जब वो आपसे कोई ज़रुरी बात कह रहा हो।
सन्दर्भ: हाउ द प्रजेंस ऑफ़ मोबाइल कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी इन्फ्लुएंसेस फेस-टू-फेस कन्वर्सेशन क्वालिटीI जर्नल ऑफ़ सोशल एंड पर्सनल रिलेशनशिप्सI पब्लिश्ड, जुलाई 19, 2012I
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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