यदि आप और आपके साथी फेसबुक यूज़र हैं तो इसका कुछ असर आपने अपने रिश्ते पर ज़रूर देखा होगा। हो सकता है कि आप दोनों मिले ही फेसबुक के ज़रिये हों, या शायद आप दोनों मिले कहीं और हों लेकिन ये रिश्ता सोशल मीडिया पर ही परवान चढ़ा हो। 'करोड़ों लोग रोज़ फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं,' डॉ सेडमन कहते हैं। और अधिकतर लोग जो किसी रिश्ते में होते हैं, इसी मंच पर अपने रिश्ते के बारे में कुछ न कुछ इंगित करते रहते हैं।
संभव है कि आप अपने साथी के साथ खींची तस्वीरों को नियमित रूप से फेसबुक पर लगाकर ऐसा करते हों या फेसबुक पर निष्क्रिय रूप से सतर्क रहते हों जैसे कि अपने साथी के दोस्तों की प्रोफाइल देखना या दूसरे लोगों की प्रोफाइल पर किये गए कमैंट्स को पढ़ना।
जानकारी रखना
हो सकता है कि आपके रिश्ते पर फेसबुक के प्रभाव के बारे में आपको थोड़ा बहुत पता हो लेकिन प्रेमी जोड़ों पर फेसबुक के प्रभाव के बारे में रिसर्च क्या कहती है? अब तक किये गए अध्ययनों में सोशल मीडिया के प्रेम संबंधों पर पड़ने वाले असर के बारे में जाना गया। लेकिन फेसबुक के उपयोग के तरीकों के रोमांटिक रिश्तों पर असर को लेकर कोई रिसर्च अब तक नहीं हुई थी। इसलिए डॉ सेडमन को ये जानने की जिज्ञासा थी कि फेसबुक पर फोटो लगाना, अपने साथी के पेज पर कुछ प्यार भरे शब्द लिखना, व्यागितगत चैट और सामाजिक जीवन पर फेसबुक के ज़रिये नज़र रखने का असर रिश्तों पर किस तरह होता है। वो ये जानने की चाह भी रखती थीं कि फेसबुक का प्रभाव सकारत्मक था या नकारात्मक। एक तरफ जहाँ अपने साथी के फेसबुक के साथ जुड़ने से आप दोनों की करीबी बढ़ सकती है वहीँ ऐसा करने से जलन और द्वेष की सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने सोशल मीडिया मंच के रिश्तों पर पड़ने वाले असर से जुडी प्रश्नावली 450 लोगों को उत्तर देने के लिए कहा।
शर्मिंदगी!
अच्छे असर से शुरू करते हैं। जो लोग अपने साथी के साथ खींची तसवीरें फेसबुक पर अक्सर लगाते हैं उनके अनुसार फेसबुक के प्रयोग का असर उनके रिश्ते और उनकी करीबी पर सकारात्मक था। लेकिन निसंदेह एक सीमा है जिसका उल्लंघन संभव है। इस सीमा के परे सार्वजनिक पोस्ट्स का नकारात्मक असर भी हो सकता है। हो सकता है कि दोनों में से एक को फेसबुक पर लगायी तस्वीरों से शर्मिंदगी महसूस हो या उन्हें लगे कि कोई तस्वीर या कमेंट सामाजिक मंच पर लगाने के लिए उपयुक्त नहीं था।
जासूसी
अपने साथी की गतिविधियों पर नज़र रखने के मुद्द्दे पर फेसबुक कुछ लोगों के लिए सकारात्मक और कुछ के लिए उसका विपरीत हो सकता है। कुछ लोगों को उनके साथी का अपनी हर गतिविधि का हिस्सा बनने से अच्छा महसूस हो सकता है जबकि कुछ को यह जासूसी या व्यक्तिगत क्षेत्र में हस्तक्षेप लग सकता है। रिसर्च ने दर्शाया कि अपने साथी के साथ जुड़े रहने के लिए ग्रेजुएशन स्तर के विद्यार्थियों को मोटे तौर पर फेसबुक का असर सकारत्मक लगा। इनमे से कई के लिए लंबी दूरी के रिश्तों में फेसबुक के ज़रिये अपने साथी के जीवन में हो रही गतिविधियों की खबर रखना आसान लगा, डॉ सेडमन ने बताया।
बुरा लगता है? बंद कर दीजिए!
यदि फेसबुक का प्रभाव अच्छे से ज़्यादा बुरा होने लगे तो? अपने साथी से इस बारे में बात करिये, यदि ऐसा करना संभव है तो। हो सकता है कि आपको अपने बॉयफ्रेंड की उस फोटो से परेशानी हो जिसमें उन्होंने किसी लड़की के कंधे पर हाथ रख हुआ है। या फिर आपकी गर्लफ्रेंड के पेज पर लिखे किसी लड़के के कमेंट से आपको सहज महसूस नहीं हो पा रहा। 'उनसे इस बारे में प्यार से पूछें ताकि सच आपके सामने आ सके। आप दोनों के बीच भरोसा बने रहना बेहद ज़रूरी है।'
करने से कहना आसान है लेकिन यदि आप अपने साथी की प्रोफाइल पर ताका-झांकी करना कम कर दें तो अच्छा होगा। 'बल्कि हर समय फेसबुक पर मत रहिये', डॉ सेडमन कहती हैं। ये एक ज़ाहिर सी सलाह है लेकिन यदि आपको बुरा लगता है, तो करना बंद कर दीजिये।
सन्दर्भ:
- प्रेजेंटेशन एट द आई ए आर आर कांफ्रेंस 2016: रिलेशनशिप प्रेजेंटेशन एंड इंटरेक्शन ऑन फेसबुक, एंड परसीवड रिलेशनल कांसेकुएंसेस ऑफ़ फेसबुक
- इंटरव्यू विद डॉ ग्वेनडोलीन सैंडमैन
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