आंटी जी कहती हैं...पुत्तर महिलाएं और पुरुष सेक्स के बारे में एक जैसी सोच रखते हैं या नहीं - यह एक अनंत परेशानी वाला सवाल है और इस संसार में सभी इसका जवाब ढूंढ़ रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है की हाँ, महिलाओं की सोच सेक्स के बारे में पुरुषों से बहुत अलग होती है और कुछ लोगों का मानना है की ऐसा कुछ नहीं होता।पुत्तर जी, तेरी आंटी जी बहुत तेज़ है और इस बहस में जो भी पार्टी जीत रही होती है मैं तो उसी की तरफ हो जाती हूँ।
कुछ महिलाओं को सेक्स में बहुत रूचि होती है और कुछ को नहीं। इसी तरह से कुछ मर्द सेक्स के लिए पागल होते हैं और कुछ बिलकुल रूचि नहीं रखते। यह कोई सेट हिसाब किताब नहीं है।
प्यार और ओर्गास्म
गुरतेज पुत्तर, मोटे मोटे तौर पर सेक्स सब के लिए एक जैसा ही है। इससे ख़ुशी मिलती है, संतुष्टि मिलती है, इसको करने के लिए किसी पार्टनर की ज़रूरत पड़ती है और यह सभी ही अन्दर की भूख को शांत करता है। लेकिन, अधिकतर लोगों का मानना यह है की पुरुष सेक्स के बारे में ज्यादा सोचते है और उसके पीछे पागल भी रहते हैं। उनके लिए सेक्स और प्यार दो अलग अलग चीज़ें होती हैं। जबकि महिलाएं अधिकतर सेक्स को प्यार का हिस्सा मानती हैं और उन के लिए यह प्यार महसूस करना उतना ही ज़रूरी होता है जितना की ओर्गास्म होना।
लेकिन फिर समाज का भी एक नजरिया है इसको देखने का। अपने भारत में बरसों से चले आ रहे पुरुषों के शासन के बाद, महिला को अपनी सेक्स ज़रूरतें काबू में रखने को कहा जाता है। हालाँकि पुरुषों को ज़्यादा ताकतवर लिंग समझा जाता है लेकिन उन्ही की शारीरिक कमियों को सबसे ज़्यादा छुपाया भी जाता है हमारे समाज में।
दिलचस्पी
और यही कारन है की यह सोच लिया जाता है की महिलाओं को सेक्स में कम रूचि होती है। लेकिन सच तो यह है पुत्तर की मैं ऐसी बहुत साड़ी लड़कियों और महिलाओं को जानती हूँ जो दिन में हर घंटे में 10 बार सेक्स के बारे में सोचती हैं। और हाँ, हम ना कुछ मर्दों के बारे में कल्पना भी करेती है और उनकी नग्न तसवीरें अपने दिमाग में सोचकर मज़े भी लेते हैं. अब तू बेहोश न हो जइयो!
लेकिन क्या करें, यहीं समाज हमारे पुरुषों से भी यह अपेक्षा रखता है की यह कमोतेज्जित बेढंग पुरुष बनकर रहे। मेरे तजुर्बे में, यह सामाजिक दबाव ही होता है जो किशोर लड़कों को इस दबाव में डालता है की वो जल्दी से जल्दी सेक्स करके मर्द बन जायें। काश, उन्हें भी यह पता होता की लड़कियां भी सेक्स को लेकर उतनी ही उत्तेजित रहती है जितने की लड़के।
महफूज़
और यह सेक्स के लिए भी उतना ही सच है. कुछ लोगों को सेक्स आराम - आराम से करना पसंद है, लेकिन कुछ लोगों को पूरे जोश के साथ। लिंग इसमें भी अपना भाग देता है, लेकिन मुझे लगता है की अक्सर यह दखियानुसी सोच होती है की लड़कों को जोशपूर्ण सेक्स पसंद है और लड़कियों को आराम वाला। और हम सब जानते है की यह दखियानुसी बातें कितनी झूठ होती हैं।
एक वैज्ञानिक तथ्य यह है की लड़कियों में किशोरावस्था लड़कों से पहले आती है। और इसी लिए शायद लड़कियां लड़कों से जल्दी परिपक्व होती हैं। दूसरा कारण है हिंसा जिससे महिलाएं हमारे समाज में, घरों में, रिश्तों में झूझती हैं। और इसी कारण से महिलाएं सेक्स के मुद्दे को लेकर बहुत डरी हुई रहती हैं और महफूज़ महसूस नहीं करती। लेकिन यह भी कहना गलत होगा की सारे लड़के जंगली शिकारी होते है और किसी भी लड़की का शिकार करना चाहते हैं।
व्यापक अनुमान गलत
कोई यह कभी नहीं बता सकता की किसी महिला के दिमाग में क्या चल रहा है। और ऐसे ही यह अनुमान लगाना भी बहुत मुश्किल है की किसी पुरुष के दिमाग में क्या चल रहा होगा। सेक्स पेचीदा होता है, और बहुत नीजी भी। हम सबकी अपनी-अपनी सोच है इस बारे में और हम अपने ही तरीके से सोचना भी पसंद करते हैं। और इसमें कुछ गलत नहीं है - आखिर सबका हक है जो जैसा चाहे वैसा सोचे।
अब तेरे सवाल के जवाब में मैं यह भी जोदोंगी की बीटा जी अपनी पसंद जानने के लिए तुझे खुद पता लगाना पड़ेगा की तुझे क्या पसंद है सेक्स में, और हाँ अपने साथी को भी पूरी छूट देना अपनी पसंद और नापसंद आगे रखने में। समझा ना!
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