आंटी जी कहती हैं...बेटा खोना और पाना तो लगा ही रहेगा लेकिन पहले यह समझ लेना बेहतर है कि हम खो क्या रहे हैंI हैं ना?
सेक्स क्या है?
तो बेटा जी, पहला सवाल तो यह है कि आखिर सेक्स है क्या? अब इसकी कोई एक परिभाषा तो है नहींI हम सभी की इसके बारे में अलग-अलग समझ है - क्यूंकि हम सबके अनुभव अलग-अलग हैंI तो फ़िर स्नेहा पुत्तर कौमार्यता की कोई एक समझ या परिभाषा कैसे हो सकती है?
ऐसी कोई भी यौन क्रिया जिसमें आपके यौन अंग किसी भी तरह से शामिल होते हैं, और उस क्रिया से आपको कामुक आंनद की प्राप्ति हो रही होती है तो उसे सम्भोग या सेक्स कहा जाता हैI फ़िर चाहे वो क्रिया आप अकेले कर रहे हैं या फ़िर किसी के साथ! अगर इस लिहाज से देखा जाए पुत्तर तो फ़िर हस्तमैथुन करना और पॉर्न देखना भी यह सारी शर्तें पूरी करता हैI
इस हिसाब से तो मुख मैथुन भी सेक्स हैI तो बेटा जी फ़िर तो विर्जिनिटी गयी - मतलब जैसे ही कोई महिला पहली बार कामोत्तेजित हुई या किसी पुरुष का शिश्न खड़ा हुआ वैसे ही इनका कौमार्य भंग हो गया? फ़िर तो मौखिक सेक्स, पारस्परिक हस्तमैथुन या चुंबन भी इसमें शामिल हुए!
केवल महिला की समस्या?
दरअसल पुत्तर विर्जिनिटी को सिर्फ़ एक महिला का मुद्दा समझा जाता है और एक आम धारणा बनी हुई है कि इसका सम्बन्ध योनि से हैI यह भी मान्यता है कि इसमें लिंग का योनि में प्रवेश होना शामिल है क्यूंकी इससे महिला का हाइमन टूट जाता है और उसका कौमार्य भंग हो जाता है - वही सदियों पुरानी घिसी पिटी मानसिकताI
और बस पुत्तर हम यही मार खा जाते हैंI अगर हम सिर्फ़ 'परिभाषाओं' की बात करें, जो विभिन्न लोगों के लिए विभिन्न हो सकती हैं, तो जिस व्यक्ति के पास कोई भी यौन अनुभव नहीं है वो वर्जिन हैI लेकिन क्या किसी ने भी कभी किसी पुरुष को यह कहते हुए सुना है कि 'मैंने तुम्हारे लिए अपनी सबसे कीमती चीज़ दांव पर लगा दी'! अरे भैया कोई आईफोन के बारे में बात थोड़ी हो रही है! लेकिन ऐसा इसलिए है क्यूंकि बरसों से कौमार्य को केवल स्त्री और उसके हाइमन के टूटने से ही जोड़ा जाता रहा है, और दुर्भाग्यवश यही विर्जिनिटी से जुड़ा सबसे बड़ा मिथक है! बेटा क्या तुझे पता है कि कई ऐसी महिलाएं भी हैं जिन्हे हाइमन होता ही नहीं है और कइयों का साइकिल चलाते हुए हुए या खेल कूद के दौरान ही टूट जाता है!
किसी प्रमाण की ज़रुरत नहीं
मुझे लग रहा है कि तू कह रही होगी कि आंटी जी वो सब तो ठीक है लेकिन यह तो बताओ कि मैं वर्जिन हूँ या नहीं? वही तो बता रही हूँ पुत्तर - कौमार्यता किसी प्रकार के यौन व्यवहार से भंग नहीं हो सकतीI यह तो एक एहसास है कि आप अपने आपको कैसे देखते हैं या खुद के बारे में क्या सोचते हैंI
अगर तुझे लगता है कि प्रवेशित सेक्स ना करके तू अपनी विर्जिनिटी को सहेज कर रख रही है तो यह एक व्यक्तिगत पसंद और निर्णय का मामला है। अब यह तो भगवान ही जानता है कि कोई क्या 'बचा; रहा है क्यूंकि यौन सुख तो मिल ही रहा है - फ़िर चाहे यौन अनुभव का प्रकार कोई भी होI
मुझे तो आज तक यही नहीं समझ आया कि कौमार्यता को लेकर इतनी बहस क्यों होती है - भई कोई आंटी जी को भी तो बताये कि आखिर माजरा है क्या! चल पुत्तर तू इतनी परेशान मत हो और वो कर जो तुझे सही लगता हो! हम लड़कियों को किसी ठप्पे की ज़रुरत नहीं है पुत्तर इसलिए इसको इतना गंभीरता से मत लेI
बस कारण सही होना चाहिए
सेक्स का प्रकार कोई भी हो बस यह सुनिश्चित कर लेना कि वो साफ़ और सुरक्षित होI हाँ का मतलब जी हाँ और ना का मतलब बिलकुल नहीं होना चाहिए, इसमें कोई बीच का रास्ता नहीं हैI इसमें दोनों लोगों की आपसी सहमति ज़रूरी हैI रही बात विर्जिनिटी की तो पुत्तर याद रख कि यह केवल तू ही तय करेगी कि तेरी कौमार्य स्थिति क्या है, वो भी तब जब तू इस बात को तूल देना चाहती हो तबI कौमार्यता की परिभाषा कोई विशिष्ट यौन कृत्य (प्रवेशित सेक्स), हाइमन की मौजूदगी या गैर मौजूदगी या बिस्तर पर खून के दाग द्वारा निर्धारित नहीं की जा सकतीI यह सिर्फ़ एक एहसास है या यूँ कहे कि हर व्यक्ति के सेक्स जीवन का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव और यह कभी भी किसी भी वक़्त आ सकता है या शायद कभी नहींI
नाम बदल दिए गए हैं। तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है। यह आलेख पहली बार 18 जनवरी, 2018 को प्रकाशित हुआ था।
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