आंटी जी कहती हैं कि प्रगति बेटा, प्रगति तब आती है जब आप जैसे युवा इसके लिए लड़ते हैं। समझी मेरी झांसी की रानी !
अभी समय है
सबसे बड़ा सवाल यह है बेटा कि क्या हम सच में आज़ाद हैं? इसका उत्तर हाँ या ना दोनों में है। निश्चित रुप से हमने आज़ादी तो हासिल की है और इसके लिए हमारे पूर्वज धन्यवाद के हकदार हैं। पूर्वज मतलब आज़ादी की जंग लड़ने वाले हमारे दादा-परदादा!
इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज हम एक आज़ाद देश हैंI इसके लिए कई लोगों ने खून पसीने से संघर्ष किया हैI खासतौर पर महिलाओं ने बुनियादी चीज़ों से जुड़ी आज़ादी पाने के लिए बहुत लम्बा संघर्ष किया है। इसके लिए वे बधाई और शाबाशी की हकदार हैं। लेकिन ...
सब कुछ ठीक नहीं है
इन सबके बावज़ूद हमारे आस पास ऐसे कई छोटे बड़े मसलें हैं जो हमारे मूलभूत अधिकारों और अस्तित्व में बाधा डालते हैं। जिन्हें हम प्यार करते हैं उनका रंग रुप कैसा है या हम ख़ुद कैसे हैं, इस सबसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ताI लेकिन फिर भी आज़ भी कई जोड़े ऐसे हैं जिन्हे अपना प्यार हासिल करने के लिए भागकर शादी करनी पड़ती हैI क्यूंकि अलग जाति या धर्म में प्यार करने पर उन्हें समाज से बेदख़ल कर दिया जाता है।
जब तक ऐसे मुद्दे बरसाती कुकुरमुत्ते की तरह सिर उठाये खड़े हैं तब तक प्यार और इज्ज़त जैसी बातों का कोई मतलब ही नहीं है। ये मुद्दे देखने में भले ही छोटे लगते हों लेकिन ये हैं बड़े जहरीले।
यह सब देखकर बहुत दुःख होता है
असल में मज़ाकिया दुनिया और आप जैसे युवा लोगों से मेरा थोड़ा बहुत वास्ता रहा हैI वैसे तो बेटा जी, आपकी आंटी बहुत युवा और समझदार है लेकिन अगर मैं पुराने जमाने के लोगों की तरह बोलूं तो सच कहूँ तो हमारे समय में यह मायने ही नहीं रखता था कि आप कौन हैं , कहां से आये हैं, आपकी जाति और धर्म क्या है वगैरह वगैरह। ना कोई हमसे पूछता ना ही हम किसी से बताते कि हमारी जाति क्या है?
लेकिन आज़ के जमाने में आपके नाम से बड़ा आपका सरनेम है। आपका घर और कार आपसे बड़े हो गये हैं और आपकी पहचान इससे है कि आपके पास कितना बड़ा फोन है। ये सब किसने किया कैसे हुआ ? हम सब जो उस समय जवान थे हमने ऐसा करने की इज़ाज़त क्यों दी ? और आप सभी नौजवान इन सभी बकवास बातों को अब ख़त्म क्यों नहीं कर रहे हैं?
इस भेदभाव को मिटाने के लिए आप लोग खतरा क्यों नहीं मोल ले रहे हैं?अब आपकी हिम्मत को क्या हुआ? बोलो? आपकी आज़ादी का चिन्ह क्या है बेटा? और आपका झंडा कहां है? मेरे पास तो है, तुम्हारा क्या है? इन सब भेदभावों और घृणा को मिटाकर हमें दिखाओ फ़िर भरोसे के साथ कहना कि हाँ मैं आज़ाद हूँ। अरे बेटा आपने वो प्यार किया तो डरना वाला गाना तो सुना होगा ना ?
हिम्मत नहीं हारो
चलो बेटा , यह कुछ करने का समय है! वैसा कुछ करने का नहीं पागल, बल्कि मेरा मतलब आज स्वतंत्रता दिवस है। चलो आज से प्रण लो कि जिसे भी आपका दिल और दिमाग चाहता है उसे आप प्यार करेंगे फिर चाहे वो किसी भी धर्म, जाति, रंग या लिंग को होI विकलांग या एलजीबीटीक्यू या अन्य किसी भी नामकरण से ताल्लुक रखता हो। यह आपकी ज़िंदगी है, इसे ख़ुशी से गले लगाइए। अपने अंदर गांधी को लाइए और मेरा मानना है कि यह नोट पर उनकी फोटो छापने से बड़ा काम है।
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं। यह लेख पहली बार 2018-08-14 को प्रकाशित हुआ था।
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