आंटी जी - अरे वाह बेटा, क्या ऐसा भी दिन आएगा कि पुरुष महिलाओं के काबू में रहने लगेंगे। वैसे कोशिश करने में क्या बुराई है? महिलाएं तो सदियों से ही पुरूषों की उँगलियों पर नाच रही हैंI
फेमिनिज्म महज़ एक शब्द है
बेटा जी, आजकल फेमिनिज्म लोगों के लिए एक नया शब्द बन गया है। वास्तव में महिला और पुरुष के बीच समानता और बराबरी के हक की लड़ाई ही नारीवाद है। नारीवाद एक सिद्धांत है जो महिलाओं के लिए पुरुषों के बराबर ही मौके, आजादी और सम्मान की मांग करता हैI
बेटा जी, हम सभी इंसान हैं, इसलिए सब को बराबर हक मिलना चाहिए या नहीं? चाहे वह महिला हो या पुरुष। नारीवाद का भी बस यही फंडा है, यह बराबरी की ही मांग करती है।
सब कुछ ख़त्म करने की कोशिश
लेकिन सबसे बड़ी बात है कि नारीवाद को दी गयी पहचान बहुत खराब है। लोग सोचते हैं कि जो महिलाएं ख़ुद को नारीवादी या फेमिनिस्ट कहती हैं वे 'घर तोड़ो आंदोलन' चलाती हैं और मर्दों से नफ़रत करती हैं। कई लोग यह भी मानते हैं कि फेमिनिस्ट महिलाएं अपने पति और प्रेमी से मारपीट करती हैं और उनके दूसरे लोगों के साथ सेक्स संबंध भी होते हैं। वे बात-बात पर बहस करने लगती हैं और लड़ाई पर उतर आती हैंI कई लोगों को यह भी लगता है कि वे अपनी ब्रा (कपड़ो) को आग लगा देती हैंI
कोई इन्हें बताये कि बेटा, आजकल एक अच्छी ब्रा खोजना कितना मुश्किल है और अगर मिल भी जाये तो बहुत महंगी मिलती है। अगर जलाना ही है तो इसकी जगह किचन का पोंछा जला दो। किसी ने फेमिनिस्ट के बारे में आज तक ऐसा क्यों नहीं कहाI
मुखौटे से बाहर निकलें
मैंने कई बार महिलाओं को यह कहते हुए सुना है कि मैं महिलाओं से जुड़ी हर समस्याओं में उनके साथ खड़ी हूं लेकिन मैं फेमिनिस्ट नहीं हूं। बेटा जी, मेरा कहना है कि यदि आप औरत हैं और समाज में जाति, लिंग और धर्म के नाम पर महिलाओं के साथ कुछ भी ग़लत होने पर आपको गुस्सा आता है, तो आप फेमिनिस्ट हैं। अगर आप एक ऐसे शख्स हैं जो महिलाओं के लिए बनाए गए समाज की कसौटियों या कायदे कानून को चुनौती देते हैं और उसे चुपचाप मानने के बजाय उसका विरोध करते हैं तो मैं कहती हूं कि आप फेमिनिस्ट हैं और आप फेमिनिज्म को मानते भी हैं। आपको इसे कोई नाम देने की ज़रुरत नहीं है और यही बेहतर भी है।
आधा आधा
दूसरी तरफ़ मैं कुछ ऐसे पुरुषों से भी मिली हूं जिन्हें यह करने में जरा भी संकोच नहीं होता है कि भाई मैं फेमिनिस्ट हूं या मैं फेमिनिज्म का समर्थन करता हूं। औरत को देवी का दर्जा देने, उसके नाम पर व्रत रखना और उसे चढ़ावा चढ़ाकर सम्मान प्रकट करना हम सभी के लिए आसान होता है लेकिन हम वास्तव में अपने घर, ऑफिस और पड़ोस की महिलाओं के लिए वही चीज़ नहीं कर पाते हैं। फेमिनिज्म का समर्थन करने में किसी तरह की शर्म नहीं आनी चाहिए।
आसान काम नहीं है
बेटा जी, आज आप नारीवाद को जिस तरीके से देख रहे हैं, वह अचानक से किसी किताब से निकल कर सामने नहीं आया है, बल्कि यह सदियों से महिलाओं के संघर्षों और उन्हें कमतर समझने का परिणाम है। यहां तक कि आज भी महिलाओं को मारा पीटा जाता है, उनके साथ गाली गलौज़ की जाती है, उन्हें मौके नहीं दिए जाते हैं, उनकी शादी एक अनजान लड़के से कर दी जाती है और संस्कृति के नाम पर सेक्स करने के लिए महिलाओं पर दबाव डाला जाता है। क्या किसी महिला को नीचा दिखाना, उसे गाली देना और बल का प्रयोग करना ही संस्कृति है? तब हमारा संस्कार और संस्कृति कहां चली जाती है?
तो वो माँ, बहन की गालियां देना बंद करो और उसके बजाय ज़ोर से बोलो - जय फेमिनिज्म दीI नारीवाद ग़लत चीज़ नहीं है, तुम इसके विरोधी मत बनो। मुझे नारीवाद पसंद है। क्या आपको भी नारीवाद पसंद है?
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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