आंटी जी कहती हैं... ओह्ह वाह ओ तेरे बेटा तीरथI कितने अच्छे दोस्त हैं तेरे! यह हुई ना मर्दों वाली बातI
ना तीन में ना तेरह में
ओये तीरथ पुत्तर, आखिर यह माजरा है क्या? तुझे तेरी गर्लफ्रेंड की कामयाबी और दिलेरी अच्छी लगती है लेकिन तेरे दोस्तों को नहीं, हैं ना? उन्हें लगता है कि तेरा प्यार करने का तरीका गलत हैI ओये वो हैं कौन? शेयरहोल्डर? उनके पैसे लगे हैं इस रिश्ते में?
यह लाइन दोबारा पढ़नाI वो तेरी गर्लफ्रेंड है लेकिन यह बात तेरे दोस्त तुझे बताएँगे कि तुझे उसके साथ कैसे बर्ताव करना है? यह तुझे अजीब नहीं लगता तीरथ?
पुत्तर जी ज़रा ए गल दस्सो! गर्लफ्रेंड किसकी? तो फिर फैसला किसका? ओ भाई जब गर्लफ्रेंड भी तेरी और फैसला भी तेरा तो अपने दोस्तों को साइड में करI
मुश्किल राह
बेटा जी मैं समझ सकती हूँ कि एक कामयाब और दबंग लड़की के साथ रिश्ते में होना आसान नहीं है, बल्कि मुश्किल होगाI दूसरे लोग तुझे यह समझाने की कोशिश करेंगे कि इस रिश्ते की मर्द तेरी गर्लफ्रेंड हैI
क्या तुझे भी ऐसा ही लगता है कि इस रिश्ते की बॉस वो है? कि इस कहानी की नायक वो है और तू गेस्ट अपीयरेंस में हैं? देख मुश्किल तो है, लेकिन समस्या तब है जब तू भी ऐसा ही सोचता हैI अरे भई किसी भी रिश्ते में किसी को भी बॉस बनने की क्या ज़रुरत है? क्या यह ज़रूरी है कि हर रिश्ते में एक हुकुम चलाये और दूसरा सुने? ऐसे रिश्तों को प्यार में होना नहीं कहते, जेल में होना कहते हैंI
असली मर्द
तो बेटा तीरथ बात ऐसी है कि हो सकता है कि तू उसके सामने अपने आपको थोड़ा छोटा समझ रहा हो? लेकिन वो तो जैसी है वैसी ही है तो सोचना तुझे है कि क्या तू उसको समझ पायेगा और उसके साथ रह पायेगा? अगर हाँ, तो बेटा मेरी तरफ से एक बड़ा सलाम तुझेI
उसकी सफलताओं और ताक़त में खुश रहना सीख, आगे बढ़ने में उसकी मदद कर और हर हाल में उसका साथ देI
फिर देख तुझे इस रिश्ते में कितना मज़ा आने लगेगाI उसके पंख बन और उड़ने में उसकी सहायता कर और जैसे कि मैं हमेशा कहती हूँ, उसकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढून्ढI एक ईर्ष्यालु साथी बनने से पहले ही अपने आप को बदल डालI
एक और पहलु
यह भी हो सकता है कि यह लड़की कुछ ज़्यादा ही दबंग है और तेरी समझ और बस से बाहरI कोई ना, होन्दा है कदी कदीI कभी-कभी साथ रहते हुए भी हम काफ़ी बदल जाते हैं और इससे हमेशा फ़ायदा नहीं होताI तू उससे बात कर और यह समझाने की कोशिश कर कि तुझे कैसा लग रहा हैI हो सके तो तुम दोनों थोड़ा समय एक दूसरे से दूर रह कर बिताओI तब शायद तुम दोनों यह समझ पाओगे कि यह रिश्ता तुम्हारे लिए महत्त्वपूर्ण है या नहीं और तुम इस रिश्ते से क्या चाहते होI
जय बॉयफ्रेंड
अब बात करते हैं तेरे यार-दोस्तों कीI उसे काबू में रख? क्या लगता है तुझे वो क्या कहना चाहते हैं? कि एक आध थप्पड़? काबू में रखने से उनका मतलब क्या है, कि उसे उसकी मनपसंद के कपडे ना पहनने दे, उसे जो वो करती है वो ना करने दे या जहाँ जाना चाहती है वहां ना जाने देI
क्या फ़िर वो तेरी नज़र में अच्छी गर्लफ्रेंड बन जायेगी? क्या इस बात का फैसला तेरे दोस्त करेंगे? नहीं पुत्तर, यह तो तेरे और तेरी गर्लफ्रेंड के बीच की बात हैं ना? बल्कि मैं तो कहूँगी कि उसे करने दे जो वो करना चाहती है और जितना हो सकता है उतना उसका साथ देI उसे काबू में रखना इस समस्या का हल नहीं हैI