या तो हाँ है या ना, इसमें बीच का रास्ता ना ढूंढें
सहमति किसी भी बातचीत की आधारशिला हैI फ़िर चाहे मुद्दा सेक्स हो या कुछ औरI आप उस व्यक्ति से सहमति नहीं ले सकते जो इसे देने में सक्षम नहीं हैं; फ़िर तो उस यौन सम्बन्ध को बलात्कार ही कहा जाएगाI आपको उस व्यक्ति की सहमति प्राप्त करने की भी कोशिश नहीं करनी चाहिए जो नींद/शराब या किसी अन्य कारण से उस समय विवेकपूर्ण निर्णय नहीं ले सकता। यह सोच कि शायद उसकी 'ना का मतलब हाँ' है एक खतरनाक मानसिकता है और यही बलात्कार का पहला आधार बन सकती हैI यह या तो हाँ है या ना, इसमें बीच का रास्ता ना ढूंढेंI
फेबिन मेथयू , 27, असिस्टेंट मैनेजर, मुंबई
यह किसी भी रिश्ते में सबसे महत्त्वपूर्ण है
मेरे लिए तो यह एक सुखद रिश्ते में सबसे महत्त्वपूर्ण हैI इसके बिना एक रिश्ते का सम्पूर्ण अस्तित्व खतरे में पढ़ सकता है या रिश्ता एक खतरनाक मोड़ ले सकता हैI यह एक सभ्य और विकृत व्यक्तित्व के बीच का सबसे बड़ा अंतर हैI कल्पनाओं का होना, भले ही वो कितनी भी बेहूदा हो, गलत नहीं हैI हो सकता है कि आपका साथी उन्हें बेहूदा ना समझता हो और वो भी यह करना चाहता होI लेकिन अगर आप अपनी यौन कल्पना को प्यार के नाम पर अपने साथी पर ज़बरदस्ती थोपेंगे तो वो सरासर गलत हैI आप किसी को किसी भी काम के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं और ना ही कोई और आपको कुछ भी करने के लिए बाध्य कर सकता हैI
ज़ेनिल एशर , 28, कॉपीराइटर, मुंबई
यह सीमाएं और उन्हें नहीं लांघने के बारे में है
जब मैं 22 साल की थी, तब मैंने पहली बार चुंबन किया था। मैं अपनी पहली डेट पर थी और हम दोनों सिनेमा हॉल में पिक्चर देख रहे थेI उसने मुझे देखा, आगे झुका और मुझे चूम लिया। मैं इतनी स्तब्ध थी कि हिल भी नहीं पायी थीI मैं इस लड़के के साथ डेट पर ज़रूर आयी थी लेकिन मेरी नज़र में यह गलत थाI क्यों? क्यूंकि मैंने चुंबन के लिए सहमति नहीं दी थीI मैं तैयार नहीं थीI तब से मैं रिश्तो में सीमाओं के बारे में अपने साथी से बहुत ही खुले तौर पर बात कर लेती हूँ - जैसे कि हम बिस्तर पर और बिस्तर के बाहर, पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से एक दूसरे के साथ क्या-क्या कर सकते हैं और एक दूसरे से क्या-क्या अपेक्षा रख सकते हैंI
लेंनार्ड डी’मेल्लो, 32, कम्युनिकेशन्स कंसलटेंट, मुंबई*
सहमति का अभाव मतलब एक तरह की चोरी है
मुझे बचपन की एक दास्तान याद आ गयीI मैं 7 साल का था और अपनी माँ के साथ बाजार आया हुआ थाI जब मेरी मां एक दुकानदार के साथ मोलभाव में व्यस्त थी तो मैंने उसी दूकान से मूंगफली के कुछ दाने उठा लिए थेI जब हम घर चलने को तैयार हुए तो मैंने अपनी माँ पूछा "माँ मूंगफली खाओगी? जब उन्होंने पूछा कि कहाँ से आयी तो मैंने गर्व से बताया कि जब आप और वो दुकानदार बातचीत में व्यस्त थे तो मैंने चुपसे वहां से उठा ली थीI अगली आवाज़ एक तमाचे की थी जो मेरे गाल पर पड़ा थाI साथ में माँ के यह शब्द भी मेरे कान में गूँज रहे थे "खबरदार जो आज के बाद किसी से बिना पूछे कुछ भी लिया तोI" मेरे लिए ये वाक्या लगभग हर मामले, खासकर कामुक सम्बन्धो में, में एक मार्गदर्शक के तरह काम करता हैI
पियूष तेनगुरिया, 31, स्टैंड-अप कॉमिक, मुंबई
यह एक गलत समझी हुई अवधारणा है
'सहमति' शब्द को अधिकतर लोग, खासकर पुरुष समझ ही नहीं पाए हैंI अधिकांश पुरुषों का मानना है कि वे जो चाहते हैं, उस पर उनका हक हैI उन्हें महिलाओ का सम्मान करना चाहिए। जिस तरह से एक महिला कपड़े पहनती है वो उसकी सहमति को नहीं दर्शाताI वो जो कहती है, वो दर्शाता हैI शायद अब समय आ गया है कि हम सभी को यह बात समझ लेनी चाहिएI
देवांश जे, 31, शेफ, मुंबई
इसके कई प्रकार हैं
मेरे अनुसार, इसके विभिन्न प्रकार हो सकते हैंI असली सहमति वही है, जहां कोई समस्या ही नहीं है। अस्थायी सहमति वो है जब कोई व्यक्ति अपने कहे शब्द उस समय वापस लेले जब स्थिति काबू से बाहर हो जाएI स्वाभाविक सहमति तब होती है, जब शुरुआत में आपका ऐसा कोई इरादा ना हो, लेकिन माहौल ही ऐसा बन जाए कि आप अपने आपको रोक ना सकेंI ज़बरदस्ती की सहमति इसका सबसे खतरनाक और घिनौना प्रकार हैI जब एक व्यक्ति दूसरे के अनुमोदन के बिना कोई कार्य करता है।
योगेश चटर्जी, 53, हेल्थ ट्रेनर, मुंबई*
बड़ी बारीक लाइन है
ना का मतलब ना होने के साथ समस्या यह है कि आम धारणा यही है कि जब तक दृढ़तापूर्वक और सशक्त तरीके से मना ना किया जाए तब तक किसी को समझ ही नहीं आताI मैं अकसर इसी भ्रम के साथ लड़ता रहता हूँI अगर मैं एक महिला के साथ बाहर आया हूँ तो मुझे उसके संकेतों का क्या मतलब निकालना चाहिए? मुझे लगता है कि अगर आप किसी को चूमना कहते हैं तो उसके लिए अनुमति मांगना ना तो रूमानी है और ना ही सहजI कई बार ऐसा हुआ है जब महिलाओं ने मुझे मेरी अनुमति के बिना मुझे चूम लिया है, स्पर्श किया हैI लेकिन ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि उन्हें मैंने यह संकेत दिया कि मैं उन्हें पसंद करता हूंI मैंने उनमें रुचि दिखाई थीI अगर मुझे लगता है कि एक महिला मुझमें रुचि दिखा रही है तो मैं पहला कदम ज़रूर उठाऊंगा। लेकिन अगर उसे आपत्ति होगी तो मैं वहीँ रुक जाऊंगा और कोई ज़बरदस्ती नहीं करूंगाI कई बार हाँ और ना के बीच की रेखा बहुत ही बारीक हो जाती हैI शायद ऐसा भ्रमित संकेतों की वजह से होता हैI मेरे साथ भी कई बार ऐसा हो चुका हैI
नूरुल खन्ना, 38, क्यूरेटर, अहमदाबाद*
*नाम बदल दिए गए हैं
तस्वीर के लिए मॉडल का इस्तेमाल किया गया है
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