'सबसे अच्छा ओर्गास्म'
-अनिल (27) फार्मास्यूटिकल प्रोफेशनल
हम एक संयुक्त परिवार में रहते थे और हमने कभी हस्तमैथुन के बारे में बात नहीं की थीI बोर्डिंग स्कूल में दाख़िला मेरे लिए किसी अचम्भे से कम नहीं थाI ऐसा लगता था जैसे कि लड़को के पास इसके अलावा बात करने के लिए और कुछ नहीं थाI सच कहूँ तो मुझे यह सब बकवास लगता थाI मुझे लगता था हाथ योनि कि बराबरी कैसे कर सकता हैI
आंठ्वी कक्षा की बात है, एक दिन मैं कमरे में अकेला बोर हो रहा था कि तभी मेरी नज़र मेरे दोस्त की कुछ पुरानी पत्रिकाओं पर गयीI वो एक पोर्नोग्राफिक मैगज़ीन थी और उत्सुक्तावश मैंने भी पन्ने पलटने शुरू कर दिएI पता भी नहीं चला कि कब मैंने हस्तमैथुन करना शुरू कर दियाI मुश्किल से 5-10 मिनट हुए होंगेI लेकिन ऐसा लगा कि घंटा भर हो गया हैI आज तक भी वो एहसास मेरे किये अब तक का सबसे अच्छा ओर्गास्म थाI
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'मुझे डर था कि मैं अँधा ना हो जाऊं'
-ज़ेवियर(24), मर्चेंट नेवी ऑफिसर
14 साल की उम्र मैं मुझे हस्तमैथुन करना मेरे चचेरे भाई ने सिखाया था जो मुझसे उम्र में बड़ा थाI वो अपने परिवार के साथ हमारे घर छुट्टियां बिताने आया हुआ था और यूँही हम दोनों के बीच लड़कियों और सेक्स को लेकर बात शुरू हो गयीI वो यह जानकार आश्चर्यचकित था कि मुझे सेक्स और हस्तमैथुन के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं पता थाI
अब सोच कर अजीब भी लगता है और हंसी भी आती है कि मैंने एक ही कमरे में उसके साथ हस्तमैथुन कर लिया थाI एक दोपहर जब घर के बाकी सदस्य बाहर गए हुए थे तो हमने पॉर्न फ़िल्म देखी और उसके बाद हस्तमैथुन कियाI मुझे बड़ा मज़ा आया था और मैं आगे भी करना चाहता था लेकिन मेरे बेवक़ूफ़ भाई ने मुझे यह कहा कि रोज़ हस्तमैथुन करने से मैं अँधा हो जाऊंगाI मैंने भी उसकी बात को सच मान लिया और तीन साल तक यही सोच कर डरता रहाI
'आकस्मिक लेकिन मज़ेदार'
-श्रेया (32), डांस इंस्ट्रक्टर
मेरा पहली बार हुआ 16 साल की उम्र में शॉवर लेते हुएI वो पूरी तरह अप्रत्याशित थाI मेरा मतलब मैं उस दिन बाथरूम मैं हस्तमैथुन करने नहीं गयी थीI शायद डीटेचेबल शॉवर की फुहारों ने ही थोड़ी शरारत कर दीI
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'फैशन टीवी ने बचा लिया'
-आश्विन (29), फ्रीलान्स राइटर
मैं 14 साल का था जब मैंने पहली बार हस्तमैथुन कियाI उन दिनों घर में कम्प्यूटर तो होता नहीं था तो बस फैशन टीवी का ही आसरा थाI मम्मी और पापा दोनों दिन में ऑफिस में होते थेI घर पर रह जाते थे मैं, टीवी और मेरी काम कल्पनायेंI
मुझे आज भी याद है कि तब 'मेकिंग ऑफ़ पिरेली कैलेंडर' का प्रसारण बिना किसी सेंसर की कांट-छांट के होता थाI मेरा पहली बार भी वही देखते-देखते हुआ थाI
'पेचीदा लेकिन मज़ेदार'
-स्वाति (31), एनजीओ वर्कर
शायद मुझे लेखिका शोभा डे का शुक्रिया अदा करना चाहिएI मेरे बड़ी बहन उनकी किताबें पढ़ा करती थी और उन्ही के संग्रह की एक किताब बिस्तर पर पढ़ते-पढ़ते मैं कामोत्तेजित हो गयीI उस दिन पता चला कि तकिया सिर्फ़ सोने के ही काम नहीं आता हैI
चाहे लड़का हो या लड़की, हर कोई यही कहेगा कि उनका पहला अनुभव अजीब थाI आपको एकदम से समझ ही नहीं आता कि क्या करें! यह मज़ेदार तो है लेकिन थोड़ा पेचीदा भी हैI
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए सारे नाम बदल दिए गए हैंI