My first gay friend
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मेरी सबसे अच्छी दोस्त समलैंगिक है 

द्वारा Josephine Dias जुलाई 10, 12:09 पूर्वान्ह
अधिकतर इतरलिंगी लोग समलैंगिकता के बारे में नकारात्मक बाते सुनते हुए बड़े होते हैंI तो क्या होता है जब आप पहली बार किसी समलैंगिक व्यक्ति से मिलते हैं? हमने तीन युवाओं से इस बारे में बात की...

मुझे पता चला कि मेरी सबसे अच्छी दोस्त समलैंगिक है 

- मर्युष्का पेरेरा, 28, पर्सनल असिस्टेंट, पुणे

मैं प्रीती को कॉलेज के समय से जानती हूँI मुझे हमेशा से पता था कि वो कुछ अलग है- उसे छोटे बाल, मोटरसाइकिल चलाना और ढीले-ढाले कपडे पहनना पसंद थाI उसने कभी भी लड़कियों 'वाली' बातें करने में दिलचस्पी नहीं दिखायीI बाकियों को वो अजीब लगती थी, जबकि मुझे लगता था कि उसमे कुछ बात हैI हम लड़को और सेक्स के बारे में बातें ज़रूर करते थे लेकिन मुझे कभी भी उसने यह नहीं बताया कि वो किसको डेट कर रही हैI मैंने भी जानने की ज़्यादा कोशिश नहीं की क्यूंकि मैं उसकी निजी ज़िन्दगी में दखल नहीं देना चाहती थीI

दो साल पहले वो आधी रात के बाद अचानक ही मेरे घर आ धमकीI वो नशे में थी और बेहद भावात्मक भीI रोते-रोते उसने मुझे बताया कि अभी-अभी उसका चार साल पुराना रिश्ता टूटा हैI उसी दौरान मुझे यह भी पता चला कि वो समलैंगिक हैI उससे पहले उसने कभी इस बात का ज़िक्र नहीं किया थाI उसे पता था कि मेरी परवरिश एक रूढ़िवादी कैथोलिक परिवार में हुई है और शायद वो मुझे खोना नहीं चाहती थीI

 

मुझे अपने दोस्त की हालत पर तरस आ रहा था और शायद यही वजह थी कि मेरा ध्यान इस बात पर गया ही नहीं कि उसे लड़के नहीं लड़कियां पसंद हैंI मुझे सिर्फ़ यह पता था कि इस मुश्किल घड़ी में मुझे बस इसका साथ देना हैI इसी वजह से मुझे उस शुरुआती झटके से उबरने में भी मदद मिलीI थोड़ा समय ज़रूर लगा लेकिन धीरे-धीरे मैंने अपनी दोस्त के यौनिक रुझान को समझ और स्वीकार दोनों कर लिया थाI मुझे लगता है कि अगर मुझे उसकी लैंगिकता से कोई परेशानी नहीं है तो शायद किसी और की से भी नहीं होगीI

सबको प्यार करो और किसी और के लिए तुम फैसला मत सुनाओ

- क्लेटन गोम्स, 24, अकाउंटेंट, गोवा

मेरा परिवार धार्मिक विचारोंं वाला हैI हम कट्टर कैथोलिक हैंI पादरी और बाइबिल दोनों ही समलैंगिकता को स्वीकृति नहीं देतेI असल में यह कहना ज़्यादा बेहतर होगा कि उनकी नज़र में यह निंदनीय हैI शायद इसीलिए मैं भी समलैंगिकता की निंदा करते करते ही बड़ा हुआI ऐसा नहीं था कि मैं उसके खिलाफ नारे बाज़ी करता था या जुलूस निकालता था, बस मैं ऐसे लोगों से दूर रहने की कोशिश करता था जो समलैंगिक होते थेI

जब एक साल पहले मेरी नौकरी लगी तो मुझे पता चला कि हमारी टीम में एक समलैंगिक पुरुष भी हैI मैंने पाया कि मेरे लिए उससे बात करना या उसकी मौजूदगी में काम पर ध्यान देना बेहद कठिन होता थाI मैं हमेशा उसे नज़रअंदाज़ करता थाI ईस्टर से पहले जब मैंने पादरी को अपने व्यवहार के बारे में बताया तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं अपने सहकर्मी के साथ ठीक नहीं कर रहा हूँ और यह कैथोलिक रीति रिवाज़ो के हिसाब से भी गलत हैI

कुछ दिनों मैंने उन्ही पादरी से पूछा कि "लेकिन बाइबिल और चर्च में तो हमें यही बताया जाता है कि समलैंगिक होना बुरी बात है"I उसके बाद उन्होंने जो कहा उसने मेरा इस बात को लेकर सम्पूर्ण नजरिया ही बदल दियाI उन्होंने कहा कि यह ज़रूर है कि बाइबिल समलैंगिकता को गलत मानती है लेकिन वो हमें अपने पड़ोसी से प्यार करना भी सिखाती है और यह भी कहती है कि जहाँ जाओ प्यार और नेकी फैलाओI उन्होंने मुझे समझाया कि कैथोलिक होते हुए जो मेरा सबसे अहम कर्तव्य है वो यह है कि सबसे प्यार करो और किसी और के लिए निर्णय मत लोI

उनकी बात मेरे मन में घर कर गयीI अगले ही दिन मैं अपने सहकर्मी के पास गया और अपने व्यवहार के लिए मैंने उससे क्षमा मांगीI मैंने अपनी भावनाओं के बारे में उसे सब सच बता दिया और वो भी इस बात को लेकर बेहद समझदारी से पेश आयाI अब हम दोनों की बहुत बात होती है और हमने कई बार समलैंगिता और धर्म के ऊपर चर्चा की हैI उससे मुझे यह समझने में मदद हुई है कि समलैंगिक होना भी उतना ही सामान्य है जितना इतरलिंगी होनाI इस घटना के बाद मुझे समझ आ गया कि समलैंगिकता को लेकर गलत राय बनाना ठीक नहीं था और मुझे नहीं लगता कि मैं उसके बाद से कभी भी समलैंगिकों से असभ्य तरीके से पेश आया हूँI

मैंने स्वाभिमान मार्च में हिस्सा लिया

-विवेक देशमुख, 25, जर्नलिस्ट, मुंबई

जब आप एक कनिष्ठ जर्नलिस्ट के रूप में काम करे होते हैं तो आपको हर तरह के कार्यक्रमों में जाने और उनकी रिपोर्ट तैयार करने को कहा जाता हैI ज़रूरी नहीं कि आपको वो सभी कार्यक्रम अच्छे लगे या उन मुद्दों पर काम करने आपको मज़ा आये लेकिन आपको वो करना पड़ता हैI अपने प्रशिक्षण के पहले साल के दौरान एक बार मुझे एल.जी.बी.टी. स्वाभिमान मार्च में हिस्सा लेने के लिए कहा गयाI उस समय तक एल.जी.बी.टी.अधिकारों के बारे में मेरी जानकारी बेहद संकीर्ण थीI

मुझे यह पता था कि सरकार की तरफ़ से इन्हे कोई मान्यता नहीं मिली है और इनकी लैंगिक पसंद को अवैध माना जाता हैI मुझे यह भी पता था कि ज़्यादातर धर्म इसकी निंदा करते हैंI अगर मेरी राय की बात करें तो मैं निष्पक्ष थाI मैं कभी भी किसी भी ऐसे व्यक्ति से नहीं मिला था जो समलैंगिक था और इस बात को लेकर वो खुलकर लोगों के सामने आ गया थाI कहने का तात्पर्य यह कि समलैंगिकता को लेकर मैं पूरी तरह अनभिज्ञ था और शायद इसलिए मार्च के लिए नहीं जाना चाहता थाI लेकिन चूंकि मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था तो मैं किसी तरह अपने आप को समझा बुझा कर वहां पहुँच गयाI

मुझे कहा गया था कि वहां जाकर लोगों से बात करूँ तो अगले तीन घंटे मैंने वही कियाI मैंने हर तरह के लोगों से बात की जिसमे समलैंगिक, लेस्बियन और किन्नर शामिल थेI मैंने उन लोगों से भी बात की जो अपने कामुक रुझान के बारे में और लोगों से बात नहीं करना चाहते थेI उनकी कही बातों ने मुझे अंदर तक झकझोर पर रख दियाI हमने विभिन विषयों पर बात की जैसे प्यार, कामवासना, दोस्ती, धोखा और इस पर भी कि कैसे यह लोग अपनी पहचान बनाने के लिए समाज में संघर्ष कर रहे हैं- कि कैसे इनका बहिष्कार किया जाता है और इनकी पसंद को लेकर इनका मज़ाक़ उड़ाया जाता है और इन्हें परेशान किया जाता हैI कार्यक्रम खत्म होते-होते मेरे मन में इस समुदाय के लिए बेहद आदर का भाव उत्पन्न हो चूका थाI मैं समझ चूका था कि कई और समुदाय के लोगों की तरह यह लोग भी समाज और सरकार से स्वीकृति की मांग कर रहे थे बस फ़र्क़ इतना था कि यह लोग सिर्फ़ खुल के जीने देने की मांग कर रहे थे, और कुछ नहींI

सब नाम बदल दिए गए हैं

क्या आपके भी समलैंगिक दोस्त या सहकर्मी हैं? उनके बारे में आप शुरू में क्या सोचते थे? अपने विचार नीचे लिखे या फेसबुक के ज़रिये हमें भेजेंI अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमारे फोरम जस्ट पूछो पर हो रही चर्चा का भी हिस्सा बन सकते हैंI

क्या आप इस जानकारी को उपयोगी पाते हैं?

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