28 दिनों के इस चक्र को मोटे तौर पर चार प्रमुख चरणों में विभाजित किया जा सकता है. आपकी इसे आसानी से समझाने के लिए हम इसे ऋतुओं के हिसाब से बाँट देते हैं. जैसे कि सर्दियाँ (1 से 5 वां दिन), गर्मी (6 से 12 वां दिन), मानसून (13 से 18 वां दिन) और पतझड़ (19 से 28 वां दिन). पूरे महीने में होने वाले इन 4 चरणों में से माहवारी या पीरियड सिर्फ़ एक चरण का होता है।
हमारे मासिक चक्र के दौरान जो चीज शरीर को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है वो है हार्मोन। ये हार्मोन हमारे रंग रूप, खानपान, सेक्स और यहां तक कि सोचने के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं। एक तरह से देखा जाए तो इन हार्मोन का प्रभाव माहवारी से ज़्यादा होता है.
माहवारी के सर्दियों वाले दिन :
यह वो समय (मासिक चक्र का 1 से 5 दिन) है जब शरीर आपके गर्भाशय (एंडोमेट्रियम) की अंदरूनी परत को बचाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करता है, जिसके परिणामस्वरूप माहवारी के दौरान आपको अधिक थकान और दर्द का अनुभव होता है।
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चूंकि इस दौरान तनाव होता है और किसी से बातचीत करने का मन नहीं करता है, इसलिए बिल्कुल शांत रहना या आराम से बैठकर फिल्में देखना बेहतर होता है। अपने शरीर को पर्याप्त आराम दें और अगले महीने के लिए फिर से तैयार होने दें। हल्के फुल्के व्यायाम ऐंठन को कम करने और मूड को ठीक करने में मदद करेंगे।
गर्मियां वाला चरण : माहवारी का अंत
जब माहवारी ख़त्म होने की कगार पर आती है तो इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। जिससे आप अधिक ऊर्जावान, आत्मविश्वास से लबरेज़ और आशावादी महसूस करती हैं। जैसे ही आपका शरीर ओव्यूलेशन के लिए अंडे परिपक्व करना शुरू कर देता है, आप बाहरी काम-काज निपटाने लगती हैं और अपने भविष्य के बारे में सोचने लगती हैं। इस चरण में आपका दिमाग भी तेजी से नई चीज़ें सीखता है।
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जब एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है तो आपकी त्वचा चमकने लगती है और साथ में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ने से आपका आत्मविश्वास भी काफी बढ़ जाता है। यह बड़ी योजनाएं बनाने, नई चीजें सीखने और काम में नए फ़ैसले लेने का वक्त है। हर सुबह आप इस जोश के साथ उठती हैं कि पूरी दुनिया फ़तह कर लेंगी।
मानसून वाला चरण : ओव्यूलेशन का दौर
जैसे ही आपका शरीर निषेचन के लिए ( 13 से -18 वां दिन) अंडे उत्सर्जित करने के लिए तैयार हो जाता है, शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। इस चरण में सेक्स की इच्छा और गर्भधारण करने की संभावना दोनों ही बढ़ जाती है। आत्मविश्वास में हुई ये बढ़ोतरी आपको अपने श्रेष्ठ स्तर पर ले जाती है।
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यह मीटिंग में अपनी बात रखने, तनख्वाह बढ़ाने के लिए बहस करने और ऑफिस में अपनी स्मार्टनेसदिखाने का सबसे मुनासिब वक्त होता है। इस दौरान घर से बाहर निकलें, नए लोगों से मिलें, सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल हों और दोस्तों के साथ समय बिताएं। इसके अलावा यह सेक्स करने के लिए भी अच्छा समय होता है क्योंकि इस दौरान आपके शरीर को इसकी बहुत ज़रूरत होती है। इस दौरान ऑर्गेज्म हासिल करने का अलग ही सुख है।
पतझड़ वाला दौर : पीएमएस का चरण
इस चरण ( 19 से 28 वां दिन) में ओव्यूलेशन के दौरान अंडे उत्सर्जित होते हैं। यदि ये अंडे निषेचित नहीं हो पाते हैं तो नष्ट हो जाते हैं। इसके बाद एस्ट्रोजन का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है और नया हार्मोन प्रोजेस्टेरोन बनना शुरू हो जाता है। हालांकि प्रोजेस्टेरोन शरीर को शांत रखता है लेकिन अचानक हार्मोन में बदलाव होने पर मूड में बदलाव और चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है।
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यह महीने का वही समय होता है जब रेस्टोरेंट में ग़लत आर्डर से आप तुरंत गुस्सा हो जाती हैं या मैगी का विज्ञापन देखकर भी आप भावुक हो जाती हैं। स्तनों और शरीर में दर्द के कारण इस समय हर चीज़ से आपको परेशानी होने लगती है।
इसलिए इस दौरान सेरोटोनिन के स्तर को बढाने और चिड़चिडेपन को कम करने के लिए व्यायाम करना चाहिए। प्रोजेस्टेरोन बेहतर तरीके से एकाग्र होने में मदद करता है। इसलिए यह उन कामों को करने का बेहतर समय है जिनमें बहुत ज़्यादा एकाग्रता की ज़रूरत हो। इस समय आप घर की साफ़-सफ़ाई भी कर सकती हैं। इसके अलावा इस दौरान आप अपनी भी देखभाल अच्छे तरीके से करें और अच्छे से नहाएं, ध्यान करें या अपनी पसंद की कोई किताब पढ़ें।
हर दिन को एक जैसा समझने की बज़ाय अपने मासिक चक्र को समझकर उसके अनुसार काम करें। मासिक धर्म से सही तरीके से निपटने का यही सबसे बेहतर विकल्प है।
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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