आप क्लास में बैठे हैं और आपकी निगाहें सामने बैठी उस सेक्सी सी लड़की पर टिकी हुई हैंI उसका कातिल फिगर और जादुई मुस्कान आपको न जाने किस कल्पना लोक में ले जा रही हैंI और कुछ ही देर में आप अपनी कल्पनाओं में उसके साथ स्कूल के बाथरूम में अंतरंग हो रहे हैंI
ज़ाहिर है आप ये ख्याल जानबूझ कर अपने दिमाग में नहीं ला रहेI न तो ये संभव है और ना ही सेक्स के लिए सही समय और जगहI
सेक्स गतिरोध
जब भी हम उत्तेजित हों, हम सेक्स के लिए बिस्तर पर कूद पड़ें, ऐसा नहीं होताI और वो इसलिए कि हमारे दिमाग का एक हिस्सा हमें अनुपयुक्त स्थितियों में सेक्स के भाव को नियंत्रित करने में मदद करता है, सेक्स एक्सपर्ट डॉ एरिक जेन्सेन ने वर्ल्ड कांग्रेस फॉर सेक्सुअल हेल्थ में बतायाI
हमारे दिमाग के ये 'सेक्स ब्रेक्स' दो तरह से काम करते हैंI इसमें से पहला ब्रेक सेक्स प्रदर्शन सही ना कर पाने के डर से हमें रोकता है और दूसरा सेक्स करने के परिणाम के डर से, जैसे कि 'कहीं किसी ने देख लिए तो!'
दिलचस्प बात ये है कि एक व्यक्ति के लिए जो मुद्दा सेक्स कि इच्छा को अनेच्छा में बदल देता है, वही मुद्दा हो सकता है किसी दूसरे व्यक्ति के लिए कोई मायने ना रखता होI उदाहरण के तौर पर असुरक्षित सेक्स को ही लीजियेI मन लीजिये कि आप अपनी किसी नए साथी के साथ बिस्तर में हैं और आपका साथी कंडोम का इस्तेमाल ना करने के पक्ष में हैI कुछ के लिए यह उत्तेजना ख़त्म हो जाने का कारण बन सकता है, असुरक्षित सेक्स के बुरे परिणाम का डरI जबकि कुछ और लोगों को इस बात से कोई फर्क ना पड़े, ये बिलकुल संभव हैई
सेक्स रफ़्तार का बटन
सेक्स उत्तेजना रेसिंग कार के स्पीड पेडल कि तरह हैI जेन्सेन के अनुसार ये हमारी उत्तेजना को हवा देता हैI सेक्स अनेच्छा कि तरह ही सेक्स उत्तेजित होने के मुद्दे भी अलग अलग लोगों के लिए एक जैसे नहीं होतेI
सुबह का शावर अच्छा उदाहरण हैI शरीर पर गिरता पानी, शैम्पू का झाग, क्या आपको उत्तेजना हो जाती है? कई लोगों के लिए शावर उत्तेजना का पल होता है जबकि कुछ दूसरे लोगों के लिए शावर उतना ही सेक्सी होता है जितना कि सुबह कि सैरI
आप कितनी आसानी से उत्तेजित होते हैं? दिन में कितना समय आपका दिमाग सेक्स कि कल्पनाओं में लगा रहता है? अपनी राय यहाँ लिखें या फिर फेसबुक पर इस चर्चा में हिस्सा लेंI