आंटीजी कहती हैं....पुत्तर, कौन परख रहा है तुझे? क्या ऐसा सोचने पर तुझे तेरे दोस्त मजबूर कर रहे हैं या खुद वो लड़की? या ये तेरे अपने दिमाग की उपज है?
मिलो और मिलन करो
बेटाजी, पहले ये देखते हैं कि तुझे कौनसी बात सता रही है। तू लड़की से मिला, तुझे वो अच्छी लगी और अब तुम दोनों अंतरंग होने का मौका तलाश रहे हो। ये सब एक बार का किस्सा तो नहीं लगता है, और अगर ये कई बार होगा तो फिर गलत कैसे है?
तू ना तो उसे और ना ही खुद को दुःख पहुँचा रहा हैI ना ही उसे किसी तरह का धोखा दे रहा है। ये तो बिलकुल सीधा सा हिसाब किताब है। मिलो, मिलन करो और आगे बढ़ो। प्यार के बिना सेक्स अच्छा नहीं हो सकता वाली कहानी हर बार सच हो, ये भी ज़रूरी नहीं है पुत्तर। और ये भी संभव है क़ि आप किसी से अपनी आखिरी साँस तक प्यार करो लेक़िन आप दोनों के बीच सेक्स बिलकुल अच्छा न हो।
अच्छा महसूस हो रहा है
तू सोच रहा होगा कि यह परिस्थिति एक रात के रिश्तों से अलग कैसे है। लेकिन ये बिलकुल अलग है बेटा। तुम दोनों एक दुसरे से प्यार बेशक ना करते हो लेकिन एक दुसरे के लिए मन में कुछ भाव तो हैं ही। भाई तुम दोनों कोई पत्थर थोड़ी हो, आखिर इंसान ही हो ना? तुम किसी से मिले, वो तुम्हे अच्छे लगे, भरोसा बना और सेक्स भी ही गया। सब होने के बाद वो अपने रास्ते और तुम अपने।
और अगर तू पूछ रहा है कि क्या तेरे मन में उसके लिए भाव हैं तो मेरा जवाब है- हाँ! क्या तुम दोनों एक दुसरे से प्यार करते हो? नहीं!
बेटे तब तक सब ठीक है जब तक तुझे अपने भाव और जज़्बात संभालना आता हो। शरीर तेरा है, चुनाव भी तू करेगा। बस यही बात उसे भी पता होनी चाहिए खुद के बारे में।
समाज का लिंग बटवारा
एक मुद्दा है कि समाज कई बार लड़के और लड़कियों को लेकर अलग मापदंड रखता है। अगर कोई लड़की सेक्स करना चाहे तो उसे ख़राब चरित्र का मान लिए जाता है और अगर लड़का करे तो वो बहुत बिंदास समझा जाता है। लेकिन अगर लड़का सेक्स नहीं करता तो वो निखट्टू किसी काम का नहीं।
एक और ऐसी घिसी पिटी धारणा है कि लड़कों को केवल सेक्स चाहिए होता है और लड़कियों को प्यार। हैं?? ये तो भाई सरासर नाइंसाफी है।
लड़कों को भी प्यार की तलाश हो सकती है और लड़कियों को भी केवल मज़े की तलाश करने का पूरा हक़ है। कामुक पलों का रोमांच दोनों के लिए बराबर हो सकता है।
उम्मीदें और समझौते
पुत्तर जब तक तुम्हे पता है कि तुम क्या कर रहे हो और जो कर रहे हो वो सुरक्षित है या नहीं, सेक्स और प्यार को एक दुसरे पर निर्भर होने की ज़रूरत ही नहीं है। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं कि जिसके लिए हम किसी को निर्णायक नज़रिये से देखें या परखें।
बेटा सेक्स कई बार बिना किसी भावात्मक लगाव के बावजूद भी हो जाता हैI
कुछ दिन पहले मैं अपने एक दोस्त की बिटिया के साथ पार्क में टहलने निकली और मुझसे बात करते हुए इस बच्ची ने वॉलीबॉल खेलते हुए कुछ लड़कों की तरफ हाथ हिलाया। 'कॉलेज के दोस्त हैं पुत्तर?', मैंने सहसा ही पूछ लिया। 'बिस्तर के साथी हैं', उसने कहा। अब अगर ये लड़के एक दूसरे के साथ अपने राज़ बाँटने लगें तो मेरी इस बच्ची को तो बाई गॉड मोहल्ला ही छोड़ना पड़ जाएगा।
चिंता ना कर पुत्तर! मस्त रह और मौज कर, तू अकेला नहीं है ऐसा करने वाला, तेरे जैसे बहुत से हैं।
लेखक की गोपनीयता बनाये रखने के लिए तस्वीर में एक मॉडल का इस्तेमाल किया गया हैI
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