पिछले कुछ दिनों से आप सेक्स के मूड में नहीं हैं। शुरुवात में तो आपको इस घटी हुई कामेच्छा से कोई खास फर्क नहीं पड़ा। लेकिन अब महीनो गुज़र गए हैं और आप को चिंता होने लगी है कि क्या यह फिर से सामान्य होगा या नहीं। और आखिर इतने समय से आपको ये इच्छा क्यों नहीं हुई है।
क्या आपको लगता है:
(1) मेरी मदद करो, मेरा सेक्स जीवन ख़त्म हो रहा है!
या फिर
(2) ये सिर्फ एक गुज़रता पड़ाव है और शायद इसकी वजह तनाव है। जब मेरे तनाव की वजह ख़त्म होगी, तो गिरती सेक्स इच्छा का ये दौर भी ख़त्म हो जायेगा और मुझे फिर से उत्तेजना महसूस होगी।
आप अकेली नहीं हैं....
सेक्स इच्छा के मामले में कुछ महिलाएं पहले समूह में होती हैं। उन्हें लगता है कि सेक्स इच्छा हमेशा एक सी रहती है और अगर अब यह कम हो गयी है तो हमेशा कम ही रहेगी। शायद वो खुद से कह सकती हैं, "अब इसका कोई हल नहीं है," कैनेडियन शोधकर्ता सियोभान सथरलैंड ने लव मैटर्स को 2016 के इंटरनेशनल एसोसिएशन फ़ॉर रिलेशनशिप रिसर्च कांफ्रेंस में बताया।
दूसरी महिलाएं दूसरी विचारधारा का हिस्सा हैं। उन्हें लगता है कि सेक्स की इच्छा के स्तर में तेज़ी या मंदी आना सामान्य सी बात है और यदि आज उनके साथ ऐसा हो रहा है तो कुछ दिनों में ये सामान्य हो जायेगा।
सेक्स इच्छा में कमी आना बहुत से महिलाएं अपने जीवन में अनुभव करती हैं। सथरलैंड ने ये जानना चाहा कि इस समस्या से जूझने के लिए कौनसी बात मददगार हो सकती है। दूसरे विषयों पर की गयी शोध ने कुछ जानकारी तो दी: किसी महिला की सेक्स इच्छा में आते उतार चढ़ाव के बारे में विचार उसे इसका समाधान करने में असरदार हो सकते हैं, सथरलैंड का तर्क था।
फर्जी विज्ञान
अपने इस सिद्धांत की पुष्टि के लिए उन्होंने 780 महिलाओं पर एक अध्ययन किया। पहले उन्होंने इन महिलाओं को कुछ फर्जी वैज्ञानिक लेख पढ़ने के लिए दिए। इन लेखों का एक कोण यह दर्शाता था कि सेक्स इच्छा हमेशा एक सामान रहती है और दूसरे लेख इसके उतार चढ़ाव की तरफ इशारा करते थे। यह उतार चढ़ाव आपके रिश्ते, काम या जीवन के अनुभवों पर आश्रित थे।
जब महिलाओं ने ये 'वैज्ञानिक' लेख पढ़ लिए तो सथरलैंड ने ये जानने की कोशिश की कि क्या इन महिलाओं ने उन तथ्यों पर यकीन किया है जो उन्होंने इन लेखों में पढ़े। उन्हें यह पता चला कि हाँ इन महिलाओं ने इन लेखों में लिखी बातों पर भरोसा किया है। अब उन्होंने इनसे पुछा कि क्या इन महिलाओं को लगता है कि सेक्स इच्छा में कमी इनके भविष्य की समस्या बन सकती है और अगर हाँ तो वो इसका निवारण करने के लिए कौनसे उपाय अपनाएंगी। सथरलैंड ये जानना चाहती थीं कि जिन महिलाओं ने कामेच्छा के एक सामान रहने वाले लेख पढ़े हैं उनके उपाय दूसरी महिलाओं की तुलना में कैसे अलग होंगे।
और सथरलैंड ने पाया कि महिलाओं के दोनों समूह अलग अलग उपायों के बारे में सोच रहे थे। जिन लोगों ने पढ़ा था कि घटी हुई कामेच्छा स्थायी है, उनका मानना था कि वो इस बारे में कुछ नहीं कर सकेंगी। जबकि बाकी महिलाओं के साथ ऐसा नहीं था।
सेक्स इच्छा से हार न माने
इन महिलाओं ने केवल एक मिनट लंबे लेख पढ़ कर अपनी राय बनाली थी कि कम होती सेक्स इच्छा स्थायी समस्या है और इस बारे में कुछ नहीं किया जा सकेगा।
महिलाओं के लिए यह जानना ज़रूरी है क़ि यह कोई ऐसी समस्या नहीं जिससे हार मानली जाये। न ही ये कोई ऐसा रोग है जिसके दवा की ज़रूरत हो। ये एक सामान्य सी बात है और अपने रिश्ते के माहौल को बदल कर इसमें भी बदलाव लाया जा सकना संभव है।
सन्दर्भ:
पोस्टर एट द आई ए ए आर कांफ्रेंस 2016: व्यूइंग सेक्शुअल डिजायर एस स्टेबल वि. मैलीएबल : हाउ इम्प्लिसिट थेओरीज़ कैन इन्फ्लुएंस हाउ वीमेन कोप विद सेक्शुअल डिजायर डिफ्फिकल्टीज़
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