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सहमति: हाँ तभी, जब दिल और दिमाग दोनों तैयार

आपके शरीर के साथ क्या होना चाहिए, या फ़िर क्या नहीं, इसका फैसला लेने का हक़ केवल आपको करना हैI फ़िर चाहे बात हो एक चुम्बन की या फ़िर सम्पूर्ण सेक्स की, यह आपकी सहमति के बिना नहीं हो सकताI दो बार नहीं, एक बार नहीं, कभी भी नहीं और यह हर किसी पर हर स्थिति में लागू होता हैI

सहमति का मतलब है 'हाँ'

बात महज हाँ कहने की हैI जो भी हो रहा है उसके बारे में स्पष्ट रूप से हाँ कहकर अपनी सहमति बताएं, खासकर तब जब आप खुद वो करना चाहते हैंI लेकिन 'सहमति' का एक और पहलु है - जब आप को कोई चीज़ या बात मंज़ूर नहीं है तब भी स्पष्ट रूप से कहें - नाI मना करने में समर्थ और सक्षम होना भी सहमति के सिद्धांत का उतना ही महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जितना कि हाँ कहनाI

दो लोगों के बीच बातचीत में स्पष्टता ना होने की वजह से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती हैI यही वजह है कि कई लड़को को कई बार यह नहीं समझ आता कि ना का मतलब केवल ना हैI

यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि सहमति किसके लिए है

तो आपने हाँ कह दियाI लेकिन क्या आप इस बात से भली भांति परिचित हैं कि क्या होने वाला है? क्या आपने अच्छे से समझ लिया है कि इसके क्या परिणाम हो सकते हैं? मान लें कि आपका बॉयफ्रेंड आपके साथ गुदा मैथुन करना चाहता हैI उसको लगता है कि 'मज़ा आएगा' और आप बस उसकी हाँ में हाँ मिला देते हैंI देखा जाए तो इसे सहमति नहीं कहा जा सकता, कम से कम यह सम्पूर्ण सहमति तो नहीं हैI या फ़िर आपकी दोस्त आपको कहती है कि 'तुझे भी सेक्स कर लेना चाहिए क्यूंकि सब कर रहे हैं'!

लेकिन आप इसके लिए अपने आपको तैयार नहीं मानतीI फ़िर भी अपनी सहेली की ख़ुशी के लिए कदम आगे बढ़ा देती हैंI उपरोक्त लिखे गए विचारों के माध्यम से आप यह तो समझ ही गए होंगे कि यह भी स्पष्ट सहमति की श्रेणी में नहीं आएगाI किसी चीज़ के लिए सहमति देने का एक महत्वपूर्ण पहलू यह समझना है कि क्या होने वाला है और वर्तमान और भविष्य में यह आपको कैसे प्रभावित करेगा। यही कारण है कि यौन गतिविधि के लिए नाबालिग व्यक्ति की हाँ को कानून की नज़रों में सहमति के रूप में नहीं माना जाता है। इसी तरह, नशीली दवाओं और शराब के नशे के तहत दी गई सहमति भी मान्य नहीं है।

सहमति कभी भी छीनी जा सकती है

अब, जब आपको सहमति से जुड़ा मूल सिद्धांत समझ आ गया है - तो ज़रा इसके एक और पहलु पर गौर कर लेते हैं - बात यह है कि सहमति कभी भी वापस ली जा सकती है। 'हाँ' कहने के बावजूद यौन समबन्ध के दौरान आप कभी भी मना कर सकते हैं - शुरुआत में, बीच में, या फ़िर अंत में। यौन समबन्ध के दौरान अगर कभी भी आपको असहजता महसूस हो तो तुरंत आगे बढ़ने से मना करदेंI सिर्फ़ इसलिए कि आपने शुरू में अपनी सहमति दी है इसका यह मतलब नहीं है कि आपको बाद में ना कहने में किसी भी तरह की हिचकिचाहट होनी  चाहिएI

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपको एक लड़का पसंद हैI आप दोनों एक साथ कई बार डेट पर जा चुके हैं और एक दूसरे को अच्छे से समझ चुके हैंI आपको लगता है कि अब समय आ चुका है कि इस रिश्ते को बातचीत से आगे बढ़ाया जायेI आप दिन, स्थान और मौक़ा सावधानीपूर्वक चुनते हैंI

बहुत बढ़िया-  तो आप 'बड़े दिन' के लिए पूरी तरह तैयार हैंI लेकिन अचानक ही एक मुश्किल स्थिति उत्पन्न हो जाती हैI उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं कि आप दोनों में से कोई भी कंडोम नहीं लेकर आया हैI

इस बिंदु पर यदि आप पीछे हटना चाहते हैं, तो यह पूरी तरह आपके अधिकारों के भीतर है। यदि आप कंडोम के बिना सेक्स नहीं करना चाहते हैं, तो आपको सेक्स करने की कोई ज़रुरत नहीं हैI वास्तव में आपको इतने बड़े कारण (कंडोम कि कमी) की  भी कोई ज़रुरत नहीं है, यदि आप अब सेक्स नहीं करना चाहते हैं, तो पीची हटने के लीये यह कारण ही काफ़ीI यौन सम्बन्ध को जारी रखने की लिए यह तर्क काफ़ी नहीं है कि 'आपने पहले हाँ कहा था'I'कोई  भी किसी भी वक़्त अपना निर्णय बदल सकता है, फिर चाहे वो दूसरे व्यक्ति के लिए कितना भी निराशाजनक और अपमानजनक ही क्यों ना होI

इसी प्रकार, सहमति को बीच में भी वापस लिया जा सकता हैI मान लें कि उसका शिश्न आपकी योनि के अंदर है लेकिन यौनिक प्रक्रिया आपके लिए दर्दनायक हो चुकी है, आप उसी समय रुक सकते हैंI

अगर आपके हिसाब से परिस्थिति बदल चुकी है या कोई और बात है जिसकी वजह से आप असहज महसूस कर रहे हैं तो भी आप पहले दी गयी सहमति वापस ले सकते हैंI लेकिन एक स्वस्थ रिश्ते के लिए ज़रूरी है की आप यह बात अपने साथी को अच्छे से समझा देंI साथ ही, अपने आप ही यह सुनिश्चित ना करें कि आपके साथी को क्या अच्छा नहीं लगताI एक दूसरे की पसंद- नापसंद जानने का सबसे अच्छा तरीका है एक दुसरे के साथ खुल कर बातचीतI

आदमी भी पीछे हट सकते हैं

पुरुषों के बारे में बात करें तो अगर आपकी साथी आपके साथ मुख मैथुन कर रही है और आपको वो अच्छा नहीं लग रहा है या उसके द्वारा इस्तेमाल की जा रही तकनीक आपके दिलों दिमाग से मेल नहीं खा रही है तो आप तुरंत उसे रुकने के लिए कह सकते हैंI बिना इस बात की चिंता किये कि वो इस कार्य के किस मोड़ पर हैंI हो सकता है कि इस समय 'वो' उनके हाथ और मुंह में है, लेकिन भाई आखिरकार है तो आपके शरीर का ही हिस्सा!

सिर्फ़ इसलिए कि यौन गतिविधि शुर हो चुकी है, इसका मतलब यह नहीं है कि आपको इसे अंजाम तक लेकर ही जाना हैI वो भी सिर्फ़ इसलिए क्यूंकि आपको लगता है कि आपने अपने आपको इसके प्रति प्रतिबद्ध किया है (महिलाओं की तुलना में पुरुष इस बात को लेकर ज़्यादा दबाव बनाते हैं)। सेक्स आप दोनों के लिए सुखद और मज़ेदार होना चाहिए, हैं ना?

ना कहने का विकल्प हमेशा आपके पास है

मना करना डरावना, असहज, या परंपरा के खिलाफ हो सकता है। उदाहरण के लिए, हमारे देश जैसी कई संस्कृतियां ऐसी हैं जहाँ विवाह का मतलब है सेक्स के लिए आजीवन सहमतिI शायद यही वजह है कि कोई भी साथी (ज्यादातर पत्नी) यौन संबंध के लिए तब भी मना नहीं कर सकता जब वो सेक्स ना करना चाहते होंI भारत में पतियों को वैसे भी अपनी पत्नी से किसी भी चीज़ के लिए 'ना' सुनने की आदत नहीं होती, तो फ़िर यौनिक गतिविधि कैसे इस मानसिकता से बच सकती हैI इस तरह का रवैया गैर-वैवाहिक संबंधों में भी देखा गया है, जिसमें कई महिलाओं को यह लगता है कि उन्हें सेक्स के लिए सहमति दे देनी चाहिए, भले ही वे इसके लिए तैयार ना हों, क्यूंकि तभी चीज़ें 'ठीक' रहेंगीI यह सच नहीं है।

ना कहने का अधिकार सबको हैI यहां तक ​​कि यौन श्रमिकों को भी यौन गतिविधि के दौरान अपनी सहमति वापस लेने का पूरा अधिकार है। चौंकिए मत, सही पढ़ा है आपनेI यौन संबंधों की स्थिति या प्रकृति चाहे जो भी हो, आपको उस चीज़ के  लिए अपनी सहमति देने के लिए कोई बाध्य नहीं कर सकता जो आपकी समझ से परे हो या या आप उसके प्रति सहज ना होंI यह कहना हमेशा आसान नहीं होता लेकिन ना कहना भी महत्वपूर्ण है। कई जबरन कृत्यों को एक अपष्ट और ज़ोर से कहा गया 'ना' रोक सकता हैI

जी हाँ महिलाओं को भी सेक्स अच्छा लगता है

आंकड़े बताते हैं की महिलाओं को भी सेक्स उतना ही अच्छा लगता है जितना कि पुरुषों कोI लेकिन फ़िर भी किसी भी महिला का यह कहना कि उसे सेक्स चाहिए या उसे सेक्स पसंद है, हमारे समाज में ऐसी नज़र से देखा जाता है जैसे उसने कोई गैर कानूनी या नीतिविरुद्ध मांग रख दी होI नतीजा यह है कि महिलाओं को कब सेक्स चाहिए और कब नहीं इस बारे में हमारे समाज में लाखों गलत धारणाएं प्रचलित हो चुकी हैं! जैसे - 'अगर कोई महिला आपके साथ डिनर पर आयी है और आपको देखकर शरमा रही है तो इसका मतलब है कि वो आपके साथ सेक्स करने को तैयार हैI अगर कोई महिला आपके सामने छोटे कपड़े पहनती है या आपके साथ बिस्तर में सो जाती है तो इसका मतलब तो एक ही हो सकता है कि वो आपके साथ सेक्स करने के लिए मरी जा रही हैI यह सब सरासर बकवास है! एक महिला (या किसी को भी) यौन संबंध के लिए तभी तैयार माना जाना चाहिए जब वो ऐसा कहे, स्पष्ट रूप से और सहमतिपूर्वक।

- लव मैटर्स अफ्रीका के केरुबो अकेल्लो के सहयोग सेI

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