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वो 17 बरस की, मैं 18 बरस का - क्या हम सेक्स कर सकते हैं?

किशोरावस्था बहुत रोमांचक समय होता है। बड़े होने के इस अनुभव का एक बड़ा हिस्सा है सेक्स को लेकर उत्सुकता! जहाँ कुछ लोग क्या, अगर, ओह, लेकिन... आदि में उलझे होते हैं, वहीं कुछ सेक्स के अनुभव के लिए खुद को तैयार मानते हैं। लेकिन, यदि आप भारत में रहते हैं और अभी 18 वर्ष के नहीं हुए हैं या आपका साथी 18 का नहीं है, तो आपका कुछ बातों को जानना महत्वपूर्ण है।

पहली बात, किसी भी नाबालिग (18 वर्ष की उम्र से कम) के साथ सेक्स करना कानूनी अपराध है और सेक्स चालू करने वाले व्यस्क पर  प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज़ (पीओसीएसओ ) एक्ट के तहत मुकदमा और जेल भी हो सकती है। इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि नाबालिग द्वारा 'सहमति' है या नहीं क्योंकि कानूनन सहमति को तभी सहमति माना जाता है यदि वह 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति द्वारा दी गयी हो। इसलिए चाहे सेक्स आपसी समझौते से हो, जो साथी वयस्क हैं, वह इस स्थिति में अपराधी घोषित किया जा सकता है। 

पीओसीएसओ एक्ट बच्चों और नाबालिगों को यौन उत्पीड़न, यौन हमले और पोर्नोग्राफ़ी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। पर इसके अंतर्गत किसी भी नाबालिग (यानी 18  से कम उम्र वाले व्यक्ति) के साथ होने वाली किसी भी यौन क्रिया भी शामिल मानी जाती है, भले ही वह आपसी समझौते से के गयी हो, क्योंकि नाबालिग होने की स्थिति में सहमति को सहमति नहीं समझा जाता है। और सहमति के बिना की गयी किसी भी यौन क्रिया को कानूनन यौन उत्पीड़न या बलात्कार माना जाता है। 

अतः कोई भी वयस्क, जो किसी नाबालिग के साथ यौन क्रिया में लिप्त होता है ( डिटेल्स नीचे), उसे (गुनाह की तीव्रता के हिसाब से) 10 साल या उससे अधिक की जेल या जुर्माना हो सकता है। 

यह सज़ा अक्सर ज़्यादा कठोर होती है, यदि नाबालिग की उम्र 16 वर्ष या उससे कम हो 

  • इस एक्ट के तहत जिन क्रियाओं की वजह से यह सजा हो सकती है उनमें निम्न आती हैं :
  • 'पेनिट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट', जिसमें पेनिस का प्रवेश वजाइना, यूरेथ्रा, ऐनस, या नाबालिग के मुँह में होता है। 
  • नाबालिग से भी यही क्रियाएं करवाने की चेष्टा करना। 
  • किसी बाहरी वस्तु को नाबालिग के शरीर में डालना। 
  • किसी के मुँह द्वारा नाबालिग के शारीरिक अंगों पर लगा कर उत्तेजित करना। 
  • ऐग्रेवेटेड यौन उत्पीड़न -यौन क्रियाएं जिनके परिणाम स्वरुप पीड़ित को चोट या नुक्सान हो या फिर उच्च स्तर पर कार्यरत व्यक्तियों द्वारा की गयी क्रियाएं जैसे परिवार के लोग या लोकसेवक, पुलिस कर्मी और आर्मी के सदस्य - में मृत्युदंड हो सकता है। 
  • किसी नाबालिग को पोर्नोग्राफिक सामग्री में इस्तेमाल करना या ऐसी सामग्री को किसी भी नाबालिग को दिखाना भी इस एक्ट के तहत दंडनीय है। 
  • नाबालिग की सहमति को कानून के नज़रों में मान्यता प्राप्त नहीं है। 

मगर मैं वयस्क हूँ... 

यदि आप वयस्क हैं (18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के) और आपका किसी नाबालिग के साथ यौन सम्बन्ध है तो इसे भारतीय कानून के अंतर्गत बलात्कार करार दिया जायेगा; फिर चाहे आपका रूमानी सम्बन्ध की क्यों ना हो। पॉस्को के तहत नाबालिग लड़कियों को अति आवश्यक संरक्षण मिलता है जो कि यौन उत्पीड़न के संभावित खतरे की शिकार हो सकती हैं, फिर भी यह उन आत्मायी यौन संबंधों को मुश्किल बना सकता है, जहां पर एक पार्टनर 18 से कम उम्र का हो। 

उदाहरण के लिए,यदि एक स्त्री या पुरुष 18 वर्ष से ज़्यादा के हों - फिर चाहे वे हाल ही में वयस्क हुए हों - और उनका किसी 18 वर्ष के कम उम्र के साथी के साथ यौन सम्बन्ध है, तो उस व्यक्ति को यौन अपराधी मान कर सज़ा हो सकती है। 

कैसे होता है ग़लत इस्तेमाल

भारत जैसे देश में, जहाँ रूमानी रिश्तों पर परिवार का दबाव बहुत अधिक होता है और विवाह से पहले यौन सम्बन्ध को निषेध माना जाता है, इस धारा का बदकिस्मती से अकसर गलत इस्तेमाल होता है - 'परिवार की इज़्ज़त बचाने' या फिर अपने बच्चों के पार्टनर्स से बदला लेने लिए कई बार इस धारा के अंतर्गत कंप्लेंट डाली जाती है। 

हाल में ही ऐसे एक केस को पीओसीएसओ एक्ट को सीमा से निकाल दिया गया था। इस केस में एक पार्टनर नाबालिग था, पर उम्र का फांसला ज्यादा नहीं था और दोनों पार्टनर में सहमति थी। इस सबके मद्देनज़र जज ने उनके बीच यौन सम्बन्ध को यौन उत्पीड़न नहीं माना और व्यस्क पार्टनर को बरी कर दिया। 

मगर इस तरह का फैसला आम नहीं हैं और जज की समझ-बूझ और सॉलिड सबूत की मौजूदगी पर निर्भर है। अतः सार यह है कि नाबालिग की सहमति को अमूमन अमान्य करार दिया जाता है और वयस्क साथी को बलात्कार या यौन उत्पीड़न के जुर्म में सज़ा हो सकती है। 

जब दोनों ही नाबालिग हों तो?

दो नाबालिगों के बीच यौन सम्बन्ध पीओसीएसओ कानून के दायरे में नहीं आता। यदि दोनों साथी नाबालिग हैं, तो इस मामले की शिकायत जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के अंतर्गत दर्ज की जाती है (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन एक्ट )ऐसे केस की सुनवाई तब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में की जाती है, जिसमें मनोचिकित्सक और समाज सेवी सम्मिलित होते हैं, ताकि वे निर्णय ले पाएं कि किशोर जो 16-18 वर्ष की उम्र के हैं, उन पर वयस्कों की तरह कार्रवाई की जानी चाहिए या नहीं। और यदि नहीं , तो उन्हें क्या सहायता (जैसे की काउंसलिंग) प्रदान की जानी चाहिए 

मगर उसने मुझे वीडियो भेजा!

पीओसीएसओ एक्ट नाबालिगों के साथ की गयी यौन क्रियाओं तक ही सीमित नहीं है। किसी भी नाबालिग को पोर्नोग्राफिक विषयों पर काम करवाना, ऐसी कोई भी सामग्री नाबालिग को दिखाना या उसके साथ साझा करना, ऐसे पोर्नोग्राफिक सामान की रिपोर्ट ना करना जो किसी नाबालिग को लेकर बनाया गया हो, कामुक टिप्पणियां या यौन प्रस्ताव देना, सेक्सुअल चुटकुले अथवा मैसेज भेजना या ऐसा कोई भी कार्य करने की चेष्टा करना, आदि पर भी सज़ा हो सकती है। 

संक्षिप्त में, नाबालिग के साथ किसी भी यौन क्रिया में संलिप्त होना या यौन सम्बन्धी चेष्टाएँ करना - चाहे उस समय आपके पास उनकी 'सहमति' हो - आपको जेल भेज सकती है यदि वे या उनके अभिभावक इस मामले पर कार्रवाई करने का निश्चय करें। तो इस बारें में सचेत रहें। 

पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है। 

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आरुषि चौधरी एक फ्रीलैंस पत्रकार और लेखिका हैं, जिन्हें पुणे मिरर और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे प्रिंट प्रकाशनों में 5 साल का अनुभव है, और उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रिंट प्रकाशनों के लिए लगभग एक दशक का लेखन किया है - द ट्रिब्यून, बीआर इंटरनेशनल पत्रिका, मेक माय ट्रिप , किलर फीचर्स, द मनी टाइम्स, और होम रिव्यू, कुछ नाम हैं। इतने सालों में उन्होंने जिन चीजों के बारे में लिखा है, उनमें से मनोविज्ञान के प्रिज्म के माध्यम से प्यार और रिश्तों की खोज करना उन्हें सबसे ज्यादा उत्साहित करता है। लेखन उनका पहला है। आप आरुषि को यहां ट्विटर पर पा सकते हैं।