क्लिटोरिस क्या है और यह कहां होता है?
भगांकुर (क्लिटोरिस) महिलाओं के शरीर में पाए जाने वाला एक ख़ास अंग है। क्लिटोरिस शब्द की उत्पत्ति एक ग्रीक शब्द से हुई है जिसका अर्थ चाभी (महिलाओं के यौन सुख के खजाने को खोलने की चाभी) इसका मुख्य काम महिलाओं को ऑर्गेज्म और यौन सुख देना है।
क्लिटोरिस का जो हिस्सा बाहरी रूप से नज़र आता है वो एक मटर के दाने जितना बड़ा होता हैI यह अंग महिलाओं के वल्वा के ठीक सामने अर्थात योनि छिद्र से ठीक एक सेंटीमीटर ऊपर स्थित होता है। नीचे दी गयी तस्वीर से आप इसकी सही स्थिति का सटीक अंदाज़ा लगा सकते हैं।
हालांकि क्लिटोरिस का जो हिस्सा बाहर दिखाई देता है उसे ही लोग क्लिटोरिस या क्लिट नाम से बुलाते हैं, जबकि यह सच नहीं है। असल में बाहर दिखाई देने वाला यह हिस्सा क्लिटोरल ग्लेन (मुंड) है। क्लिटोरिस ग्लेन, पूरे क्लिटोरिस का सिर्फ़ शीर्ष सिरा होता है जबकि पूरा क्लिटोरिस शरीर के अंदर लगभग 5 इंच लम्बा होता है (अब आपका ध्यान एक लिंग के आकार की ओर जा रहा होगा, हैं ना?) शरीर के अंदर क्लाइटोरिस के दो सिरे होते हैं एक सिरा योनि की तरफ़ होता है और दूसरा सिरा मूत्रमार्ग से जुड़ा होता है। आप समझ लीजिये कि क्लिटोरिस की संरचना बिल्कुल हैण्डपंप जैसी होती है जितना बाहर नज़र आता हैं उसे कई गुना बड़ा हिस्सा अंदर गहराई में होता है।
क्लिटोरिस और लिंग का संबंध
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि क्लिटोरिस भी उन्हीं एम्ब्रोयोनिक ऊतकों से बना होता है जिनसे पुरुषों के लिंग का निर्माण होता है। जब गर्भ में भ्रूण विकसित हो रहा होता है तो गर्भावस्था के बारहवें हफ्ते में पुरुषों और महिलाओं के लिए एक ही तरह के ऊतकों से अलग अलग जननांग विकसित होते हैं।
क्लिटोरिस का जो हिस्सा नज़र आता है उसमें सिरा और उसे ढंकने वाली त्वचा दोनों होते हैं। यह उत्तेजित होने वाले ऊतकों से बने होते हैं जिसका मतलब है कि जब महिला उत्तेजित होती हैं तो इन ऊतकों में रक्त संचार बढ़ जाता है, वे कठोर हो जाते हैं और उत्तेजित होने पर इनका आकार भी बढ़ जाता है। इन ऊतकों का आकर 300 गुना तक बढ़ सकता है। क्लिटोरिस की ये सारी ख़ूबियाँ जैसे कि शीर्ष सिरा (मुंड), हुड (फोरस्किन) और उत्तेजित ऊतक पुरुषों के लिंग में भी पाई जाती हैं। इसके अलावा क्लिटोरिस के आंतरिक हिस्से में दो सिरे और बल्ब होते हैं। इसीलिए इसे ‘दो सिरों वाला लिंग’ भी कहा जाता है।
इतना ही नहीं...
क्लाइटोरिस से जुड़ी सबसे रोचक बात इसकी संवेदनशीलता है जिसकी वजह से महिलाओं को जबरदस्त ऑर्गेज्म हासिल होता है। क्लिटोरिस के इस छोटे से हिस्से में करीब 8000 नसों के आखिरी सिरे आकर मिलते हैं जिसकी वजह से यह इतना अधिक संवेदनशील होता है। पुरुषों के लिंग मुंड में तकरीबन इसकी आधी संख्या में नसें आकर मिलती हैं, इसलिए वो हिस्सा क्लिटोरिस की तुलना में कम संवेदनशील होता है। यही वजह है कि पुरुष महिलाओं जितना अच्छा ऑर्गेज्म नहीं महसूस करते हैं। एक और बात, क्लिटोरिस का आकार हमेशा बढ़ता रहता है। एक 90 साल की बुज़ुर्ग महिला का क्लिटोरिस किशोरावस्था में उसके क्लिटोरिस के आकार से लगभग 2.5 गुना ज्यादा बड़ा होता है।
खुद से प्यार करना :
क्लिटोरिस महिलाओं के लिए यौन सुख पाने का सबसे आसान जरिया है। सेक्स के समय अगर आप महिला के क्लिटोरिस को उत्तेजित करना भूल गये तो समझ लीजिये कि फ़िर उनका ऑर्गेज्म पाना मुश्किल है। लगभग 75 प्रतिशत महिलायें क्लिटोरिस के उत्तेजित होने पर ही चरमसुख पाती हैं। कुछ शोधों के अनुसार, बिना क्लिटोरिस को उत्तेजित किये ऑर्गेज्म हासिल करना लगभग नामुमकिन है। सेक्स के दौरान क्लिटोरिस को छूकर, किस करके या वाइब्रेटर के इस्तेमाल से उत्तेजित किया जा सकता है।
हस्तमैथुन के दौरान क्लिटोरिस को उत्तेजित करने से अत्यधिक प्रचंड ओर्गास्म होता है। प्रत्येक महिला का क्लिटोरिस रुप रंग में एक दूसरे से अलग होता है , रंग में यह गाढ़े गुलाबी से लेकर काले रंग तक कुछ भी हो सकता है वहीं इसके आकार और बनावट में भी फ़र्क रहता है। यहां तक कि प्रत्येक क्लिटोरिस अलग अलग तरीकों से छूने पर उत्तेजित होते हैं जैसे कि कुछ को एकदम हल्के से छूने पर भी उत्तेजना होती हैं वहीं कुछ को रगड़ना पड़ता है तो कुछ में तेजी से दबाना पड़ता है। छूने के तरीके से महसूस होने वाला एहसास भी व्यक्ति के अनुसार बदलता रहता है जैसे कि कुछ महिलाओं को उनकी क्लिटोरिस पर गोलाई में उंगलियाँ फेरना यौन सुख देता है तो दूसरी महिलाओं को उसे दबाने से हल्की रगड़ से उत्तेजना मिलती है।
दरअसल क्लिटोरिस को किस तरीके से छूने से ज्यादा उत्तेजना मिलती है यह सिर्फ़ आप ही पता लगा सकती हैं। अगर आपको पता है कि आपके क्लिटोरिस को क्या पसंद है तो यह बात आप अपने पार्टनर को अच्छे से समझाएं जिससे वे सेक्स के समय आसानी से आपको उत्तेजित कर सकें। यह बात भी ध्यान रखें कि क्लिटोरिस के लिए सभी स्पर्श सुखद नहीं होते हैं, कई बार उन्हें छूने या रगड़ने से तेज दर्द भी हो सकता है।
यह लेख पहली बार 21 जुलाई, 2018 को प्रकाशित हुआ था।
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