आंटी जी- अरे बेटा! ये क्या याद दिला दिया। आज तो मेरे दिल के तार ही हिला दिए तूनेI
कुछ अच्छे पुरुष और महिलाएं
सच कहूं प्रीत बेटा तो मुझे याद ही नहीं है कि मैंने सेक्स के बारे में बात करना कब शुरू किया और कब तेरी आंटी जी अपनी झिझक छोड़कर खुलकर सेक्स के बारे में बात करने लगी। पहले थोड़ा अजीब लगता था लेकिन आज मुझे अपने पर गर्व होता है।
पुत्तर जो बातें समाज के लिए सेक्सी और बेहया थी वो मेरे लिए आसान इसलिए हो गयी थे क्यूंकि मेरे पिता मेरे साथ थे और उन्होंने कभी इस बात की परवाह नहीं कि दुनिया और समाज वाले उनकी बेटी के काम के लिए क्या कहेंगेI
फ़िर मेरे साथ थी मेरी कुछ सहेलियां जिन्हे एहसास हो चुका था कि सेक्स के बारे में बात करना कितना महत्त्वपूर्ण हैI हालांकि उन्हें शुरू में इस बारे में खुलकर बात करने में झिझक होती थी लेकिन हम लोग रात भर इस बारे में बात करते थे और धीरे-धीरे उनकी झिझक खत्म हो गयीI एक बात याद रखना पुत्तर, तुम लोगों की बातेँ जितना ज़्यादा शरारती होंगी, तुम्हारी दोस्ती भी उतनी ही गहरी हो जाएगीI
सेक्स को हाँ
पुत्तर वैसे तो नारीवादी महिलाएं और महिलाओं के समूह इस मुद्दे पर कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन क्या कभी तूने किसी महिला को चिल्ला कर यह कहते सूना है कि, 'मुझे सेक्स चाहिए', यह दिल मांगे मोर', महिलाएं सेक्स इ बारे में बात करना चाहती हैं क्यूंकि उन्हें भी रोज़ सेक्स करना अच्छा लगता हैI
महिलाएं और उनके यौन सुख के मुद्दे को रोज़मर्रा की बातचीत से कई सालों से अलग रखा गया हैI सेक्स के बारे में बात करने में कुछ भी गलत नहीं है और मैं मानती हूँ कि महिलाओं को भी यह अधिकार मिलना चाहिएI शायद यही वजह है कि मुझे इस बारे में बात करते हुए किसी प्रकार की झिझक या शर्म नहीं महसूस नहीं होतीI
चूना लग गया
अरे बेटा, हम सभी पारंपरिक रूप से ऐसे समाज का हिस्सा हैं जहां हर व्यक्ति सेक्स करना पसंद करता है और उसका आनंद लेता है। महिला और पुरुष सभी अपने पार्टनर की सहमति से उसके साथ सेक्स का आनंद लेते हैं। लेकिन ना जाने क्यों सेक्स के बारे में बात करने को 'असभ्य' समझा जाता हैI सेक्स की बात करने और सेक्स के लिए पूछने की बातों पर एक अंग्रेजी सफेद पोछा ढक दिया गया हैI तुम्हें शायद विश्वास ना हो लेकिन हमारे समाज में बहुत सारी बातें ब्रिटिश राज में आयीं। उनके जाने के बाद भी हमने उस मानसिकता को बदलने की कोई कोशिश नहीं कीI महिला और पुरुष दोनों यह भूल गए कि किसी से मदद और जानकारी कैसे मांगते हैं और इस मुद्दे पर लोगों को जागरूक कैसे करते हैं। जो भी जानकारियां उपलब्ध हैं वे सब सनसनीखेज और आधी अधूरी हैं जिसकी वजह से सेक्स के बारे बात करना शर्मनाक प्रतीत होता है! हम आज भी उसी सफेद पोछे से ढक कर सेक्स के बारे में बात कर रहे हैं पुत्तर - मुझे तो लगता है कि अँगरेज़ यहाँ भी हम को 'चूना' लगाकर चले गएI
सेक्स को सलाम!
बेटा, सेक्स के बारे में खुलकर बात करना या सुरक्षित और समान सेक्स की मांग करना कोई गंदी बात नहीं है। यह ना सिर्फ़ आप दोनों का निजी मामला है बल्कि यह आपकी पहचान भी हैI लेकिन बेटा सेक्स में कुछ नैतिक मुद्दे भी जुड़े हैंI यहाँ दोनों साथियों की सहमति होना बहुत महत्त्वपूर्ण हैI सेक्स के बारे में हर व्यक्ति को अपनी पसंद और निर्णय बताने की आजादी होनी चाहिए। वह कब किसके साथ, कहां, कैसे और कितनी बार सेक्स करना चाहता है - यह हर व्यक्ति का निजी फैसला होना चाहिएI बेटा, आंटी जी तो हमेशा सेक्स के और उसे करने वालों के समर्थन में खड़ी हैंI बस आपसे इतना सा आग्रह है कि अपनी इच्छाओं को दबाएं नहीं और सेक्स पर खुलकर बात करें।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, लव मैटर्स, सेक्स के बारे में बात करने के लिए महिलाओं के अधिकार का जश्न मना रहा हैI आइये इस आंदोलन में आप भी शामिल हो जाइये