आंटी जी कहती है... कितना चालू है रे तू? यहाँ अपनी उम्र तो बताई नही तूनेI यह सोच रहा होगा कि कहीं तेरी 'आंटी जी' को ना पता चल जायेI कितना सयाना है यह लड़का? चल बेटा तेरी ख़बर लेते है, मेरा मतलब बात करते हैI
सच बोलू तो इस समय तेरे मन में बड़े सारे सवाल नाच रहे होंगेI प्यार कब होता है? क्या यही प्यार है? प्यार आखिर होता क्या है? और अब जब मुझे प्यार हो गया है तो मुझे क्या करना चाहिए? यह सारे सवाल मुश्क़िल है और इनके जवाब देना भी कोई आसान काम नही हैI
बड़ा जटिल हैI कौन बता सकता है? बेटा सिर्फ़ तू, क्यूंकि यह सब तेरे साथ हो रहा हैI क्या तेरी उम्र प्यार करने लायक है? अब मैं क्या कहूँ बेटा, हाँ हैI हम हमेशा प्यार कर सकते है, कभी भी, किसी से भी और कहीं भीI
उम्र कोई बंधन नही
बेटा अंशुल मुझे नही पता कि तू इतना बड़ा है कि नही लेकिन क्या तू इतना समझदार है कि तूझे पता है प्यार करने का मतलब क्या होता है? क्या तेरी पहले कोई गर्लफ्रेंड रही है? क्या तू प्यार से जुड़ी भावनाओं को झेलने के लिए तैयार है और साथ साथ ही उन ज़िम्मेदारियों को भी जो तुम्हारी उस व्यक्ति के प्रति होती है जिससे आप प्यार करते है? क्या तूने उन सब कठिनाइयों के बारे में सोचा है जो इस रिश्ते में आ सकती है? तेरी और उसकी उम्र, तेरे दोस्त, तेरे ऑफिस के लोग (काम-वाम करता है या नही)?
यह तो हुई थोड़ी बहुत बातें जो मैंने तुझे बताई हैI तूने बोला कि वो एक औरत है, तो क्या वो तुझसे उम्र मैं बड़ी है? ऐसे रिश्ते को सम्भालना थोड़ा मुश्किल हो सकता है जिसमें लड़की, लड़के से बड़ी होती हैI लोग अलग अलग धारणाएं बना लेते है तो तुझे थोड़े विवेक से काम लेना होगाI यह तो मैंने सिर्फ़ एक मिसाल दी है, इसके अलावा कुछ और दिक्कतें भी हो सकती है जैसे जाति, रंग, खर्च-रुपैया... तो तैयार हो जा बेटा!
सेक्स, बार बार?
अब सबसे बड़ा सवाल, यह प्यार है या सिर्फ़ शारीरिक आकर्षण? तू उससे ज़िन्दगी भर का साथ चाहता है या सिर्फ़ उसके साथ सेक्स करना चाहता है ? दोनों में ही कुछ भी गलत नही है, बस तुझे पता होना चाहिए कि तुझे क्या चाहिए जिससे आगे चलकर कुछ ऐसा ना हो जिसके लिए तू या वो तैयार ना हो, समझे बेटा?
ज़रूरी नही कि तुझे वो सेक्सी लगती है तो तू उससे प्यार करता है लेकिन फिर भी अगर उसे कोई दिक्कत नही तो जा बेटा, जी ले अपनी ज़िंदगीI बस यह ध्यान रहे कि तुम दोनों की उम्र 18 साल से ऊपर होI
फिर आ गया पैसाI बेटा अंशुल केवल प्यार से रिश्ते नही चलते हैI क्या तूने इस पहलु पर गौर किया है? ध्यान रहे कि इस रिश्ते में कोई भी जना दुसरे पर "आश्रित" ना होI ऐसा ना हो कि प्यार के बजाय यह सिर्फ़ एक "आराम" का रिश्ता बन जायेI
वो मना कर दे तो
बस बेटा मेरा तो हो गया, लेकिन तूने बहुत कुछ सोचना है और फैसला करना हैI अगर तू उसके बारे में सोचता रहता है और उसके साथ रहना चाहता है तो यह भी मान कर चलना कि हो सकता है वो भी यही सोचती हो, लेकिन इसका उल्टा भी हो सकता हैI क्या इस संभावना के बारे में सोचा है तूने? उस सूरत में तू क्या करेगा, "मैं तेरे लिए सबके सामने अपनी जान दे दूंगा" ऐसा कुछ या फ़िर टूटे दिल को संभालने की शक्ति है तुझमें? यह भी हो सकता है कि वो किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले अच्छा ख़ासा समय लेले... तो इस सब के बारे में पहले से सोच कर चलना बेटा!
और प्यार के लिए इतना ही कहूँगी, "प्यार करो और जी भर कर करो!" जब तुझे पूरा विशवास हो जाये तो उसे जा कर बता देना कि तू उससे प्यार करता है क्यूंकि प्यार में नाकामी, कभी भी प्यार ना करने से तो अच्छा ही है, लेकिन एक बार फ़िर कहूँगी, अपना ख्याल रखना बेटा!
गोपनीयता बनाये रखने के लिए पिक्चर के लिए हमने एक मॉडल का इस्तेमाल किया हैI