आंटीजी कहती हैं, 'ओह हो - आजकल चारों तरफ़ प्यार के ही दुश्मन दिखते हैं।'
छूना ना, छूना ना
वैसे तो छूना, पुचकारना और किस करना तो हमारे यहां की परंपरा है। इतना कि हम एक अजनबी बच्चे को भी नहीं छोड़ते हैं। 'ओए कितना क्यूट बेबी है'... इतना बोलकर उसके गाल भींच देते हैं। लेकिन जब लवर्स या कपल्स की बात आती है तो लो जी फैल गया रायता।
एक तरफ तो हम कहते हैं कि प्यार किया तो डरना क्या और दूसरी तरफ दो एडल्ट को प्यार करते हुए देखकर हम बर्दाश्त नहीं कर पाते। ये क्या बात हुई?
कमजोरी का फायदा
पहले कुछ कानून की बातें करते हैं। बेटा क्या आप जानते हो कि इंडियन पैनल कोड की धारा 294 के अनुसार हम भारतीयों को पब्लिक प्लेस पर शिष्टता दिखानी चाहिए। इसलिए ध्यान रखो कि पार्कों में बैठकर प्यार जताने की भी एक सीमा है। पर ये सीमा क्या है यह कानून में क्लियर नहीं हैं अब किसी का हाथ पकड़ना कोई अश्लील काम तो नहीं माना जा सकता - हैं ना? पर अब चूंकि यह क्लीयर नहीं है कि असल में अश्लीलता है क्या, इस वजह से शुरू होती हैं मुश्किलें। कानून का दुरुपयोग होता हैं और इस कारण लोगों को शोषण और परेशानी का सामना करना पड़ता है।
एक और चीज है जिसके कारण पुलिस परेशान करती है। जानते हो क्या? पुलिस के अधिकारियों को पता है कि शायद आप लोग अपने पेरेंट्स के परमिशन के बिना एक दूसरे से मिल रहे हो। है ना? और ऐसे में जब तुम लोग 'पकड़े' जाते हो - तो तुम्हें वो ग़लत साबित करने की कोशिश करते हैं। वे जानते हैं कि तुम इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाओगे। है कि नहीं ? लेकिन ये सरासर ब्लैकमेलिंग है।
तो फिर क्या करें?
सबसे पहली बात। शर्मिंदा मत हो। पुलिस ने अगर तुम्हारे डर को पहचान लिया तो फिर वो तुम्हें और परेशान करती रहेगी। दिमाग से काम लो, थोड़ा धैर्य रखो। पूरे कॉन्फिडेंस के साथ उनसे पूछो की तुमने क्या ग़लत किया है।
अगर पुलिस तुम लोगों को परेशान करना या धमकाना शुरू करती है तो तुम भी पीछे मत हटो - उनसे कहो कि ठीक है आप मेरी फैमिली को फोन लगाइये। उन पर ख़ुद ही दवाब डालना शुरू कर दो कि चलो ले चलो पुलिस स्टेशन।
ऐसे समय में शरमाने या घबराने से काम नहीं चलेगा। बात सिर्फ़ पुलिस स्टेशन जाने की ही तो है इसमें नर्वस होने की ज़रूरत नहीं और सबसे ज़रूरी बात कि उन्हें अपने बॉयफ्रेंड को हाथ भी मत लगाने दो। ज़रूरी हो तो वहां सीन क्रिएट करो - पुलिस को भी यह सब बिल्कुल पसंद नहीं है- आख़िर उनकी भी इज्ज़त का सवाल है।
यह सोचकर मेरा मन भारी हो जाता है कि हमें ख़ुद को एक ऐसी संस्था से बचाना है जो हमारी सुरक्षा करने के लिए ही बनी है। सच में बहुत बुरे हालात हैं।
शिष्टाचार की दुकान
अब शिष्टाचार का पाठ पढ़ाने वाले लोगों से मेरा एक सवाल है। बहुत सारे आवारा आशिक हैं जो इधर उधर घूमते हैं - महिलाओं पर फब्तियां कसते हैं, उन्हें छेड़ते और परेशान करते हैं। तब धारा 294 कहां चली जाती है? तब पुलिस कहां रहती है? क्या वो अश्लीलता नहीं है?
लाउडस्पीकर पर 'मैं हूं तंदूरी चिकन गटकाले मुझे एल्कोहॉल से' जैसे भद्दे और अश्लील गाने बजते रहते हैं। तब तो वे कहते हैं कि आपको नहीं सुनना है तो प्लीज अपने कान बंद कर लीजिये।
इन सब चीजों से हमें दिक्कत नहीं होती लेकिन दो कपल्स थोड़ा सा टाइम निकालकर घर से बाहर आते हैं, एक दूसरे के साथ बैठते हैं और प्यार जताते हैं तो वो बर्दाश्त नहीं होता। नॉनसेंस…!
अब तुम चिंता मत करो और मेरा फेवरेट सांग सुनो - हम तो मोहब्बत करेगा, दुनिया से नहीं डरेगा, क्योंकि बेटा तान्या-चारों तरफ़ प्यार ही प्यार है बस हमें इसे फील करने और एक अच्छे नज़रिए से देखने की ज़रूरत है।
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं।
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