HPV and cervical cancer
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इससे पहले कि आप सेक्सुअली सक्रिय हों, एचपीवी वैक्सीन तुरंत लीजिए

द्वारा Love Matters India जनवरी 31, 10:50 पूर्वान्ह
सर्वाइकल कैंसर का वह प्रकार है जो सरविक्स (गर्भाशय ग्रीवा) के सेल में होता, सरविक्स गर्भाशय का निचला हिस्सा है जो वेजाइना से जुड़ा होता है। इसके अंतर्गत वल्वा और वेजाइना आते हैं और यह ह्यूमन पपीलोमावायरस (एच पी वी) के कारण होता है। यह वायरस सामान्यतः सेक्सुअल संपर्क के कारण फैलता है।

एचपीवी और सर्वाइकल कैंसर 

लगभग सभी सर्वाइकल कैंसर एच पी वी के कारण होते हैं। यह वायरस जननांगों के संपर्क, त्वचा के संपर्क और ओरल या फिर पेनिट्रेशन सेक्स द्वारा फैलता है। एच पी वी के कई प्रकार हैं। अधिकांश द्वारा सर्वाइकल कैंसर नहीं फैलता है। 

एच पी वी कैसे होता है?

एच पी वी संक्रमण जननांगों के सेक्सुअल संपर्क के कारण होता है। यह संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित वेजाइनल, एनल (गूदा) या ओरल  सेक्स करने से फैलता है। एक व्यक्ति को एच पी वी संक्रमण का खतरा तब भी है जब उसने कई सालों पहले असुरक्षित सेक्स किया है। 

भारतीय आँकड़ें 

भारत में सर्वाइकल कैंसर स्त्रियों में होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है है जो 15 से 44 साल के उम्र की औरतों में होता है (पहला स्तन कैंसर है)। 2016 के सरकारी आँकड़ों द्वारा यह तथ्य सामने आया है। 

खतरा किसे है? 

आकलन के अनुसार 2018 में लगभग 96,922 नए मामले सामने आए। भारत में 30 से 59 वर्ष की स्त्रियों में सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा है। इन वजहों से औरतों में सर्वाइकल कैंसर का खतरा है : 

  • एक दशक से भी अधिक समय तक गर्भ निरोधक दवाएं खाने से 
  • एक से अधिक बार पूर्णकालीन प्रेग्नेंसी से 
  • बहुत सारे सेक्स पार्टनर होने से 
  • एच आई वी (एड्स का वायरस) के कारण जिससे शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। 
  • धूम्रपान 
  • कमजोर प्रतिरोधी क्षमता 
  • अन्य एस टी आई/ एस टी डी 
  • कम उम्र से ही सेक्सुअली सक्रियता 

पुरुषों को भी है खतरा 

एचपी वी के कारण औरतों में सर्वाइकल कैंसर और पुरुषों के जननांग में गांठ की समस्या होती है। गांठों या मस्सों को कम खतरनाक माना जाता है क्योंकि उन्हें कैंसर से नहीं जोड़ा जाता। 

पुरुषों में सर्वाइकल कैंसर विकसित नहीं होता लेकिन उन्हें एच पी वी से अन्य खतरे जैसे जननांग का कैंसर, गूदा, मुंह और गर्दन के कैंसर का खतरा है। ये पुरुष और स्त्री दोनों में पाए जा सकते हैं। 

लक्षण क्या हैं ? 

  • प्रारम्भिक अवस्था में नहीं पता चलता 
  • सिर्फ़ विकसित अवस्था में औरतों में सेक्स के दौरान या उसके बाद दर्द और रक्तस्त्राव की दिक्कत होती है। 
  • वेजाइना से गंध युक्त स्त्राव 
  • मासिक के दौरान असमान्य रक्त स्त्राव 
  • सेक्स के दौरान पेलविक का दर्द 
  • भूख में कमी 
  • वजन गिरना 
  • कमर दर्द 
  • पैरों का फूलना 

रोग की जांच 

आप डॉक्टर के पास जाकर पैपिनीकोलाऊ टेस्ट (पैप टेस्ट) करवाएं। इस जांच द्वारा सरविक्स में कैंसर के प्रारम्भिक लक्षण दिख जाते हैं। अगर परिणाम नकारात्मक हैं तो आप सुरक्षित हैं। 

लेकिन अगर परिणाम पॉजिटिव हैं तो इसका मतलब है आपको सर्जिकल चिकित्सा या कैमोथेरेपी लेनी होगी। इस बारे में और जानकारी कोई विशेषज्ञ देगा। बेहतर हो कि 21 की उम्र से सेक्सुअली सक्रिय होने के बाद हर दूसरे साल पेप टेस्ट करा  लिया जाए। 

रोकथाम 

सर्वाइकल कैंसर को रोकने के उपए 

  • एच पी वी वैक्सीन -एच पी वी वैक्सीन लेने से सर्वाइकल कैंसर और अन्य एच पी वी संबंधित कैंसर का खतरा कम हो जाता है। 
  • पैप टेस्ट- 21 की उम्र से पैप टेस्ट कराएं और कुछ सालों में यह परीक्षण दुबारा कराते रहें। 
  • सुरक्षित सेक्स करें -सेक्स के दौरान कॉन्डम पहनें। सेक्सुअल पार्टनर्स की संख्या कम रखें। 
  • स्मोकिंग (धूम्रपान ) छोड़ दें- स्मोकिंग छोड़ने के लिए डॉक्टर की सलाह लें। धूम्रपान स्क्वेमस सेल सर्वाइकल कैंसर से जुड़ा है। 

सर्वाइकल कैंसर / एच पी वी वैक्सीन 

सर्वाइकल कैंसर को एच पी वी वैक्सीन से रोका जा सकता है। यह वैक्सीन सबसे बेहतर काम तब करती है जब उसे 9 से 26 वर्ष की उम्र की उन लड़कियों को दिया जाए जो सेक्सुअली सक्रिय नहीं हैं। यह वैक्सीन पहले से हुए एच पी वी संक्रमण पर कार्य नहीं करती इसलिए सेक्सुअल सक्रियता से पहले इसे लगवाना चाहिए। 

पुरुषों में यह वैक्सीन जननांगों के मस्सों, पिनाइल कैंसर तथा अपने पार्टनर को एच पी वी संक्रमण देने के रोकती है। 

यह वैक्सीन किसे नहीं लेना चाहिए 

ऐसे लोगों को एच पी वी वैक्सीन नहीं लेना चाहिए :

  • यीस्ट एलर्जी से पीड़ित लोगों को 
  • प्रेग्नेंट स्त्रियों को 
  • ब्लीडिंग डिसॉर्डर वाले रोगियों को 
  • जिन लोगों को पहले डोज़ के वैक्सीन के बाद भयंकर एलर्जी हुई हो 
  • अगर आप पहले से सेक्सुअली एक्टिव हैं और 26 वर्ष की उम्र के नीचे हैं तो एच पी वी संक्रमण का शिकार होने पर यह वैक्सीन काम नहीं करेगी। 

भारत में वैक्सीन की कीमत 

तीन तरह के एच पी वी वैक्सीन हैं -बाईवैलेंट, क्वैड्रीवैलेंट, नॉन वैलेंट। भारत में दो तरह के वैक्सीन उपलब्ध हैं और इन दो कंपनियों द्वारा बेचे जाते हैं- गार्डसिल और जीएसएक्स ( गैलेक्सोस्मिथक्लाइन)।  इनमें बाईवैलेंट (सरवैरिक्स, 2190 प्रति डोज़) और क्वैड्रीवैलेंट ( गार्डसिल, 3000 प्रति) के हैं। 

सभी वैक्सीन इंट्रामसक्यूलर लगाए जाते हैं और 6 महीने के अंतराल में तीन बार लेने होते हैं जोकि उम्र पर निर्भर करता है। इस बारे में डॉक्टर से और सलाह ली जा सकती है। 

हालिया आया नॉन वैलेंट (नाइन वैलेंट) वैक्सीन सभी पाँच तरह के एच पी वी टाइप से सुरक्षा देता है और अभी भारत में उपलब्ध नहीं है। इसे अभी भी ड्रग कंट्रोलर जेनरल ऑफ़ इंडिया (डी सी जी आई) की स्वीकृति नहीं मिली है। 

क्या यह सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है? 

नहीं, यह वैक्सीन देश के इम्यूनाइजेशन कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है। यह अधिकांशतः देश के प्राइवेट सेक्टर अस्पताल में लगाया जाता है। यह वैक्सीन तभी दिया जाता है जब इसकी मांग की जाए या डॉक्टर द्वारा इसे लगाने की सलाह दी जाए। 

प्रभाव 

100 से ज़्यादा एच पी वी प्रकारों में, 15 सबसे अधिक खतरनाक है। भारत में टाइप 16 और 18 द्वारा 82 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर का संक्रमण होता है। 

क्वैड्रीवैलेंट वैक्सीन ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एच पी वी) के चार स्ट्रेन को लक्ष्य करता है- एच पी वी -6, 11, 16 और 18। दोनों बाईवैलेंट और क्वैड्रीवैलेंट सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ 70 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करते हैं। 

एच पी वी -16 और एच पी वी -18  के कारण 70 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर होते हैं और पुरुषों में 90 प्रतिशत जननांगों में मस्से की दिक्कत  एच पी वी -6 और 11 के कारण होती है। 

सुरक्षा अवधि 

वैक्सीन एच पी वी संक्रमण से लगभग 10 सालों तक सुरक्षा देता है हालाँकि विशेषज्ञ इससे अधिक की सुरक्षा की उम्मीद रखते हैं। 

पुरुषों और ट्रांसजेंडर के लिए एच पी वी वैक्सीन 

2018 में यूनाइटेड स्टेट द्वारा गार्डसिल 9, नाइन वैलेंट वैक्सीन को 27 से 45 वर्ष के बीच स्त्री और पुरुषों के लिए जारी किया गया। गार्डसिल -9 नौ तरह के एच पी वी के प्रकारों से होने वाले कैंसर और अन्य बीमारियों को रोकता है। यह वैक्सीन 9 अलग तरह के एंटीजेन्स के खिलाफ़ प्रतिरोधी क्षमता को विकसित करता है। 

ऐसे पुरुष जिनका पुरुषों से संबंध या ट्रांस जेंडर्स के लिए भी यह वैक्सीन कारगर है। 

एच पी वी वैक्सीन विवाद 

एच पी वी वैक्सीन भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं और सस्ते भी नहीं है। यही वजह है कि वह सरकारी रोग प्रतिरोधी कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है। हर कोई इस वैक्सीन का खर्च नहीं वहन कर सकता है। 

इस वैक्सीन को हालिया ही विकसित किया गया है और इसके प्रभाव को जाँचने के लिए बहुत आँकड़े उपलब्ध नहीं है। यह तय नहीं है कि इसका प्रभाव 5 साल या उससे अधिक रहता है। साथ ही, यह वैक्सीन सभी तरह के एच पी वी जिनसे सर्वाइकल कैंसर होता है से सुरक्षा नहीं प्रदान करते हैं। यही वजह है कि 25 की उम्र के बाद वैक्सीन लेने के बाद भी हर किसी को सर्वाइकल जांच करवाते रहने की सलाह दी जाती है। 

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Comments
Riya bête itna late se period ka aana swasth nahi mana jata hai, samanyataya periods 28 se 34 dino ke antral per ho sakte hai. Yadi yeh in dinon ke antral par na hokar har baar aniyamit hote hai toh is bare mein aap kisi vishesgya ya panjikrit doctor se mill lijiye aur. Ise bhee padhiye: https://lovematters.in/hi/resource/menstrual-cycle https://lovematters.in/hi/our-bodies/my-periods-are-irregular-what-should-i-do Yadi aap is mudde par humse aur gehri charcha mein judna chahte hain to hamare discussion board “Just Poocho” mein zaroor shamil ho! https://lovematters.in/en/forum
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