स्वास्थ्य ही धन है और हम में से अधिकांश अपने आप को और अपने प्रियजनों को स्वस्थ बनाए रखने की पूरी कोशिश करते हैं। लेकिन कई जानकारियाँ जो इंटरनेट पर उपलब्ध है, अक्सर गलत भी होती हैं और हमें नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसी खबरों से बचने के लिए यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जो आप इस्तेमाल सकते हैं:
- स्रोत की जाँच करें: वह जानकारी कौन दे रहा है? क्या यह एक वेबसाइट लिंक के साथ एक संदेश या सोशल मीडिया पोस्ट है? खुद से पूछें कि क्या यह स्वास्थ्य सलाह देने के लिए वेबसाइट या मीडिया स्रोत योग्य हैं। प्रमुख समाचार वेबसाइट थीम पर समाचार प्रकाशित करती हैं। लेकिन अगर कोई सोशल पेज जिसकी उतनी विश्वसनीयता नहीं है (इसके बारे में गुगल से जाँच करें ), या एक पैरोडी वेबसाइट जोकि एक धार्मिक या आध्यात्मिक संसाधन, या एक दवा कंपनी द्वारा संचालित है और यह संदेश दे रहा है तो इनपर आपको बिल्कुल भी भरोसा नहीं करना चाहिए।
उदाहरण के लिए, कोरोनोवायरस महामारी के दौरान प्रसारित एक वायरल संदेश ने एक गलत इलाज का दावा किया और बीबीसी समाचार को इस जानकारी के लिए जिम्मेदार ठहराया। एक साधारण गूगल खोज आपको बताएगा कि बीबीसी ने ऐसा कुछ भी नहीं प्रकाशित किया है। टाइप करें <क्लेम> + <समाचार वेबसाइट का नाम>
यदि लिंक में वेबसाइट का नाम परिचित नहीं है, तो उस पर क्लिक न करें। यह आपको एक फर्जी वेबसाइट पर ले जा सकता है, जो आपकी निजी जानकारी चुराने के लिए है। वेबसाइट का नाम और उसके ‘हमारे बारे में’ सेक्शन पर जाकर यह जाँचें कि कौन इसे संचालित करता है और इसका उद्देश्य क्या है।
- दावा कौन कर रहा है?
अक्सर, एक फॉरवार्डेड मैसेज या पोस्ट किसी गंभीर बीमारी के इलाज या किसी लाइलाज़ बीमारी से निपटने का दावा करते है। यह अन्य देशों या आधुनिक चिकित्सा विज्ञान पर पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक श्रेष्ठता का दावा करते हैं ताकि रोग-नियंत्रण के दावे बढ़ा चढ़ा कर किए जा सकें। अपने अनुसंधान द्वारा विशेष स्वास्थ्य सलाह देने वाले आध्यात्मिक गुरु आदि भी भरोसेमंद स्रोत नहीं हैं। जाँच करें कि कौन दावा कर रहा है - क्या यह केवल वैज्ञानिकों और डॉक्टरों जैसे सामान्य लोग हैं ’या क्या यह किसी विशेष व्यक्ति का नाम है।
पहली कैटेगरी में, इस स्रोत पर भरोसा करना सही नहीं है। दूसरी स्थिति में, उस व्यक्ति को गूगल करें और जांचें कि क्या वे वास्तव में प्रमुख समाचार वेबसाइटों, स्वास्थ्य पत्रिकाओं, आपकी या अन्य देशों की सरकार या स्वास्थ्य विभागों द्वारा समर्थित या उद्धृत हैं। यदि ऑनलाइन इस व्यक्ति के एक या दो उल्लेख नहीं हैं, और यदि आप नहीं जानते हैं कि वे किस संस्थान से संबद्ध हैं, तो इस खबर को अन्य तरीकों से सत्यापित करना एक अच्छा विचार हो सकता है और इस स्रोत पर तुरंत भरोसा नहीं करना चाहिए।
उदाहरण के लिए, कोरोनोवायरस महामारी के दौरान, सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वायरल पोस्ट कोविड 19 बीमारी का इलाज करने वाली चाय के बारे में थी, जो आधारहीन और झूठी थी।
- क्या उसे जानकर आपने वाह! ’या ओह नो!’ कहा:
फिर रुकिए। यदि कोई पोस्ट ऐसा दावा करती है जो बहुत आश्चर्यजनक या परेशान करने वाला है, तो यह एक स्पष्ट संकेत है कि आगे बिना सही से जाँच किए भरोसा नहीं किया जा सकता है। यदि यह किसी बड़ी बीमारी के बारे में है, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने निश्चित रूप से इस स्वास्थ्य सलाह या इलाज को प्रकाशित किया होगा।
- संदेश की शैली: यदि संदेश/मैसेज सभी कैप्स में है, या इसमें कई विस्मयादिबोधक चिह्न हैं, टेक्स्ट में अनेक रंगों का इस्तेमाल हुआ है, जंपी वीडियो या ऑडियो और नाटकीय ऑडियो-विज़ुअल इफेक्ट्स हैं, या इसमें खराब व्याकरण और वाक्य निर्माण है, तो यह शायद गलत स्त्रोत है। यदि टेक्स्ट में किसी व्यक्ति की तस्वीर के साथ यह कहा गया है कि उन्होंने यह स्वास्थ्य सलाह दी है, उसे जांच किए जाने की आवश्यकता है। यदि किसी टेक्स्ट या ऑडियो के साथ कोई तस्वीर दी गई है कि यह एक प्रमुख चिकित्सक, वैज्ञानिक या पब्लिक ऑफिसर है, तो अपने आप से पूछने की ज़रूरत है कि वे वीडियो पर यह कहते हुए क्यों नहीं दिखाए गए हैं?
हालाँकि, हमें यह याद रखना चाहिए कि वीडियो प्रूफ भी पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है क्योंकि तकनीक द्वारा कई ट्रिक्स किए जा सकते हैं जैसे किसी व्यक्ति के लिप मूवमेंट को किसी ऑडियो में सिंक किया जा सकता है। यदि यह एक प्रमुख विशेषज्ञ व्यक्ति द्वारा कोई बड़ा स्वास्थ्य दावा किया गया है, तो निश्चित रूप से कई मीडिया स्रोतों में इसके कई उल्लेख होंगे। उसकी जाँच करें।
गूगल पर साझा की गई तस्वीरों के रिवर्स सर्च द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि यही यदि तथ्य एक ही स्वास्थ्य विशेषज्ञ या किसी लोक सेवक के फोटो के साथ कई मीडिया स्रोतों में उन्हीं स्वास्थ्य सुझावों के साथ साझा किया गया है कि नहीं! यदि ऐसा है तो इससे कम से कम इस बात की पुष्टि हो जाती है कि यह वही व्यक्ति है जिसने यह कहा है।
कभी-कभी, झूठे जन-संदेशों में असली नकली का फ़र्क करना मुश्किल होता है। आपको विश्वास दिलाने के लिए एक प्रमुख समाचार या स्वास्थ्य एजेंसी, या एक सरकारी विभाग द्वारा समाचार बुलेटिन का एक स्क्रीनशॉट दिया जा सकता है और उसके साथ संदेश देने वाले द्वारा मल्टी कलर में ऐड-ऑन टेक्स्ट के साथ बड़े कैप में अन्य चीज़ें जोड़ी जा सकती हैं। इस दावे की सत्यता का पता लगाने के लिए लेख, पोस्ट या वीडियो खोजें। उदाहरण के लिए, कई संदेशों ने डब्ल्यू एच ओ का उल्लेख करते हुए भ्रामक स्क्रीनशॉट के सहारे से कोविड 19 के खिलाफ सुरक्षा के लिए सभी को N95 मास्क पहनने के लिए कहा , जबकि इस विश्वसनीय एजेंसी के वास्तविक लेख में केवल स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा ऐसा मास्क पहनने का उल्लेख किया गया है।
- वैध स्रोतों से सत्यापित करें: प्रमुख स्वास्थ्य आपात स्थितियों के समय में जैसे कोविड 19 महामारी, देश और राज्य सरकार, स्वास्थ्य अनुसंधान संगठन और डब्ल्यू एच ओ आदि नियमित बुलेटिन जारी करते हैं। उनकी वेबसाइट या हेल्पलाइन पर रोकथाम और उपचार के दावों की जाँच करें।
उदाहरण के लिए, डब्लूएचओ व्हाट्सएप और फेसबुक पर एक स्वचालित संदेश सेवा चला रहा है, जो एक लिंक द्वारा सुलभ है। यह कोरोनावायरस द्वारा संक्रमित होने की संभावना को कम करने के और चिकित्सा सलाह के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद स्वास्थ्य सूचना का एक विश्वसनीय स्रोत भी है। भारत सरकार का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय अपनी वेबसाइट पर और अपने हेल्पलाइन नंबरों 1075 (टोल-फ्री) और 011-23978046 के जरिए कोरोनोवायरस के बारे में सभी जानकारी प्रदान कर रहा है। सरकार ने कोरोनावायरस से संबंधित जानकारी के लिए +91 90131 51515 पर एक व्हाट्सएप चैट बॉट भी लॉन्च किया है।
हमेशा मूल वेबसाइटों, ईमेल या हेल्पलाइन की सहायता लें, और उनके लोगो और स्वास्थ्य सलाह देने वाले सर्कुलर पर उनके पदाधिकारियों के हस्ताक्षर की जांच ज़रूर करें।
6. फेक-न्यूज-बस्टिंग वेबसाइट: यदि आप किसी दावे को स्वनहीं जांच पाते हैं और इसके लिए किसी विश्वसनीय स्रोत की सहायता की आवश्यकता होती है, तो तथ्य-जाँच में विशेषज्ञता वाली वेबसाइटें, जैसे Alt News, AFP FactCheck, AP Fact Check, BBC Reality Check और अन्य स्रोत सही रहेंगे। आप किसी स्वास्थ्य सलाह की जांच वहाँ से कर सकते हैं जहाँ आपको लगता है कि उसके तथ्य के जांच की आवश्यकता है क्योंकि इनमें से अधिकांश एजेंसियों ने पाठकों के लिए संदिग्ध पोस्ट सबमिट करने की सुविधा प्रदान की है।
7. इसे शेयर करें!! (नहीं!): यदि किसी स्वास्थ्य सलाह संदेश में इसे साझा करने या इसे वायरल ’करने के लिए बहुत अधिक जोर दिया जाता है, तो यह इस पर भरोसा न करने का एक प्रमुख कारण हो सकता है। एक विश्वसनीय संदेश अपने साझा किए जाने की अपील करने के बजाय अपने बूते अपनी जगह बना सकता है । सामान्य तौर पर भी संदेशों को फॉरवर्ड नहीं करें, भले ही यह करना आपको ज़रूरी लगता हो। इसी कारण से फेक समाचार आगे बढ़ते जाते हैं। हममें से अधिकांश को लगता है कि यह कोई संदेश किसी की मदद कर सकता है और उसे साझा किया जाना चाहिए और अचानक एक नकली संदेश हर जगह फैल जाता है! यदि हम किसी संदेश की प्रामाणिकता के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं, तो उसे वहीं रोकना ही सबसे अच्छा उपाय है।
कोई सवाल? नीचे टिप्पणी करें या हमारे चर्चा मंच पर एलएम विशेषज्ञों से पूछें। हमारा फेसबुक पेज चेक करना ना भूलें।