आंटीजी कहती हैं...मेरे प्यारे बेटाजी, ये एक बहुत बड़ी परेशानी है तेरे लिए, मेरे लिए और उन् सभी के लिए जो ये पढ़ रहे हैंI आओ ज़रा जानते हैं की ऐसा क्यों है?
सबसे पहले बेटा, इंसानो की मकड़ी से तुलना करना गलत है, ठीक है जी? जब मकड़ी हमें दिखती है, तो हम डरते हैं, उसे मरने की कोशिश करते हैं और सोचते हैं की दुनिया में मकड़ी होनी नहीं चाहिएI तुझे जान के अफ़सोस होगा विवेक बेटा कि ये भाव इंसानो पर लागू नहीं किये जा सकतेI मैं जानती हूँ कि तू सिर्फ अपने मन के डर कि तुलना कर रहा थाI
डिक्शनरी में कभी 'फोबिया' शब्द का अर्थ देखा है बेटा? 'किसी चीज़ से अतार्किक डर'I और ध्यान देने वाली बात है 'अतार्किक'I
सच यही है कि तेरे इस डर के पीछे कोई तर्क नहीं है, लेकिन तू इस नफरत को अपने जीवन पर हावी होने दे रहा हैI मैं समझ सकती हूँ कि इस डर के चलते तुझे बेचैनी और घबराहट हो सकती है, लेकिन अच्छी खबर ये है कि इसका इलाज और हल संभव हैI लेकिन तेरे शायद समस्या ये है विवेक कि तू समस्या का समाधान करने के बारे में सोच ही नहीं रहा, बल्कि ये कह रहा है, "मैं समलैंगिकों को क्यों पसंद करूँ?"
तेरे मेरे जैसे
इसलिए बेटा, क्यूंकि वो भी इंसान हैं, ठीक तेरी और मेरी तरहI जिन्हे तेरे और मेरे भगवान ने बनाया है, वो लोग जो आम इंसानो कि तरह प्यार, पसंद, नापसंद जैसे भाव महसूस करते हैं, जिनकी रगों में तेरी और मेरी तरह खून बहता है, जो किसी के भाई, बहन, बेटे हैं, भगवान के बनाये हुए प्यार करने वाले इंसानI वो लोग शायद जिनके आसपास तू भी रहना पसंद करता अगर तुझे न पता हो कि वो समलैंगिक हैंI ये मकड़ी नहीं इंसान हैं बेटेI इसीलिए तुझे उन्हें अपनी ज़िन्दगी में जगह देनी चाहिएI
कोई ठोस वजह नहीं
आखिर तेरे मन में इनके लिए नफरत और डर क्यों है? कभी सोचने कि कोशिश की?
सिर्फ ये कह के तू मुँह नहीं मोड़ सकता की ये लोग निकृष्ट हैंI क्यों हैं भाई निकृष्ट? क्या तेरा कोई व्यक्तिगत अनुभव है जब किसी समलैंगिक ने खुद को तुझ पर थोपने की कोशिश की हो? क्या तूने इन् लोगों पर कोई उपकार किया है? क्या इनमे से किसी ने तुझे तकलीफ पहुंचाई है?
ये बात सच है की हम बहुत से लोगों से मिलते हैं, उनमे से कुछ हमें अच्छे लगते हैं और कुछ नहींI और कई बार हमें पता नहीं होता की वो हमें क्यों पसंद या नापसंद हैं, लेकिन ऐसा तो किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकता है चाहे वो समलैंगिक हो या विषमलैंगिकI इसमें उनकी लैंगिकता कहाँ से बीच में आई?
किसी इंसान के बारे में सोच जिसे तू पसंद नहीं करता, क्या वो समलैंगिक है?
अब किसी ऐसे इंसान के बारे में सोच जो तुझे बहुत पसंद है, कोई साथी, दोस्त, पड़ौसी, कोई भीI तो अगर ये इंसान एक दिन तुझसे आकर कहे की वो समलैंगिक है, तो क्या तू सब कुछ भूल कर उससे डरने लगेगा, नफरत करने लगेगा? बेटा अगर तू समलैंगिक होता, तो भी मैं तेरी परेशानी का जवाब इतने ही अपनेपन से देती!
डर का अंत
समलैंगिकों से डरना कठोरता हैI ये तुझे उन् लोगों से दूर ले जाता है जो तेरे ही जैसे हैंI सब एक ही भगवान की संतान हैं बेटाI कभी सोचा है की ये भेदभाव आया कहाँ से? क्या तुझे समझ है की कैसे ये अपने अधिकारों और पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं? क्या तूने सोचा है की तुझे कैसा लगेगा अगर तुझे किसी दिन खुद को बाकियों के बराबर साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा तो? एक दिन गुज़ारना भी भरी पड़ेगा, इस सामाजिक नफरत और तिरस्कार के साथI
इसी डर और तिरस्कार का सामना हमारे समाज में समलैंगिक रोज़ करते हैंI कभी कभी ये मारपीट, प्रताड़ना और हत्या का भी रूप ले लेता है. क्यों? क्यूंकि कुछ लोगों की नज़र में ये 'निकृष्ट' हैंI
पढ़ो और सीखो
क्या इसका अर्थ ये निकलता है की अगर हमें कोई निकृष्ट लगता है तो उसे मार दो,काट दो, उसका इस दुनिया से नामोनिशान मिटा दो? नहीं, है ना? तो फिर समलैंगिकों को अलग थलग क्यों किया जाये? क्यूंकि उनकी संख्या काम है? या फिर क्यूंकि वो तुम्हारे जैसे नहीं हैं? तो अगर तेरा कोई पड़ौसी तेरे जैसा नहीं है, तो क्या उसे तुझे मारने का अधिकार है? तुझे या तेरे परिवार को नुक्सान पहुँचाने का अधिकार है, क्यूंकि उसके अनुसार तू 'निकृष्ट' है? क्या हम ऐसी दुनिया में जीना चाहते हैं? क्या हम अपने बच्चों के लिए ऐसा समाज छोड़ कर जाना चाहते हैं?
विवेक बेटा, इस बारे में पढ़ और अपनी जानकारी समलैंगिकता के बारे में बढ़ाI इस से जुडी गलतफहमियों के बारे में जानI अपना दिल और दिमाग खोल बेटा और नजरिया बदलI अब समय आ चूका है!
समलैंगिकों से डर के बारे में अपने विचार यहाँ लिखिए या फेसबुक पर हो रही चर्चा में हिस्सा लीजियेI