Sex Myth Buster
George Doyle/ Love Matters

समलैंगिकता: गलत धारणाओं का अंत

समलैंगिकता से जुड़ी कई गलत धारणाएँ हम अक्सर सुनते रहते हैं। इंटरनेट के इस युग में, समलैंगिकता विरोधी लोग मिथ्य बातों का प्रचार करते हैं, और कुछ लोग इन झांसों में आकर इन बातों को सच मान लेते हैं।

इसलिए सच सामने लाने के लिए लव मैटर्स ने वैज्ञानिक तथ्यों का सहारा लिया।

1. समलैंगिकता का 'इलाज' संभव है

समलैंगिक होना कोई बीमारी नहीं है, इसलिए इलाज का सवाल भी नहीं उठता। लैंगिक रुझान के पीछे के कारणों से जुड़े शोध का कोई निष्कर्ष अभी तक नहीं निकला है और इसके कारणों में अनुवांशिकता, जैविक, और वातावरण की सम्भावना पर विचार किया जाता रहा है। इसलिए, समलैंगिक होने या ना होने पर किसी का व्यक्तिगत नियंत्रण नहीं है।

समलैंगिक लोगों का तथाकथित 'इलाज' करने वाले लोगों के दावों की अभी तक कोई पुष्टि नहीं है। लोग अपने लिंग के लोगों के साथ सेक्स करना बंद कर सकते हैं, लेकिन ऐसा करने से उनके मनोभाव को बदलने का कोई जरिया नहीं है। अमेरिकन मनोवैज्ञानिक संगठन जैसी संस्थाएं इस बात को प्रचारित करती हैं कि समलैंगिक लोग बीमार नहीं हैं और उन्हें किसी इलाज की ज़रूरत नहीं है।

2. समलैंगिक और लेस्बियन युगल माता पिता नहीं बन सकते

सामान सेक्स की शादियों और समलैंगिक अधिकारों को मान्यता न देने वाले लोग ये दावा करते हैं कि समलैंगिक लोग बाकि लोगों की तरह अच्छे माता पिता नहीं सिद्ध होते। लेकिन कुछ वर्ष पहले की गयी एक रिसर्च यह दर्शाती है की समलैंगिक युगल भी माता पिता होने के कर्तव्यों का निर्वाह किसी भी और युगल की तरह करने में सक्षम होते हैं।

3: पीडोफाइल( बच्चों के साथ सेक्स करने वाले) समलैंगिक होते हैं

लैंगिक रुझान और बच्चों के प्रति शारीरिक आकर्षण होने के बीच कोई सम्बन्ध नहीं है। रिसर्च से ज्ञात हुआ है कि बच्चों के साथ शारीरिक दुष्कर्म के मामलों में 90 प्रतिशत से ज़्यादा मामलों में उनके परिवार के सदस्य या दुसरे करीबी लोग शामिल थे, चाहे वो समलैंगिक हों या विषमलैंगिक

4: समलैंगिक लोग असंयमी होते हैं

इस बात के समर्थन में कोई पुख्ता तर्क मौजूद नहीं है। समलैंगिक होकर आप एक व्यक्ति में साथ दीर्घकालिक सम्बन्ध में हो सकते हैं, या फिर एक से अधिक लोगों के साथ जुड़े हो सकते हैं। लेकिन इस बात का लैंगिकता से क्या सम्बन्ध? यह तो किसी भी व्यक्ति की सच्चाई हो सकती है।

5: एड्स समलैंगिकता से जुड़ा है

एड्स का कारण एक वायरस है जो संक्रमित व्यक्ति के ज़रिये दूसरों में फैलता है, चाहे उस व्यक्ति का लैंगिक रुझान किसी भी तरफ हो। इसलिए समलैंगिक और विषमलैंगिक से एड्स फैलने का खतरा एक जैसा ही होगा। दरअसल संक्रमित विषमलिंगिओं की संख्या कहीं ज़्यादा है।

6: समलैंगिकता अप्राकृतिक हे क्यूंकि सभी जानवर विषमलिंगी होते है

जी नहीँ! ऐसा नहीँ है। जानवरों मेँ भी समलैंगिक सेक्स होता है।  हाल ही मेँ की गई एक रिसर्च यह दर्शाती है जिराफ, पेंगुइन इत्यादि जानवरों में भी समलेंगिक वर्ताव हो सकता है। इंसानों और जानवरों, दोनों ही प्रजातियों में सेक्स केवल बच्चे पैदा करने के लिए नहीं है।

क्या आपने भी सेक्स से जुडी ऐसी गलत धारणाएं सुनी हैं? हम तक अपने विचार पहुंचाइये। यदि आपकी बातें तथ्य हैं तो हम उन्हें उजागर करेंगे और यदि गलत धारणाएं हैं तो उनका अंत करेंगे।अपने विचार यहाँ लिखिए या फेसबुक पर अवश्य बताएं।

गायत्री परमेस्वरन एक बहु-पुरस्कार विजेता लेखक, निर्देशक और इमर्सिव मीडिया कार्यों की निर्माता हैं। वह भारत में पैदा हुई और पली-बढ़ी और वर्तमान में बर्लिन में रहती है, जहां उन्होंने NowHere Media की सह-स्थापना की - एक कहानी सुनाने वाला स्टूडियो जो समकालीन मुद्दों को एक महत्वपूर्ण लेंस के माध्यम से देखता है। उन्होंने अपने शुरुआती वर्षों में लव मैटर्स वेबसाइट का संपादन भी किया। उनके बारे में यहाँ और जानें।

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