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गे या स्ट्रेट क्या होता है?

Submitted by Auntyji on गुरु, 09/06/2018 - 09:51 पूर्वान्ह
नमस्ते आंटी जी, मेरे स्कूल में मेरे दोस्त गे और स्ट्रेट के बारे में बात करते हैं। इन शब्दों का मतलब क्या है और इनमें से कौन दूसरे वाले की तुलना में अच्छा माना जाता है? सान्या, 15 वर्ष, चंडीगढ़

आंटी जी - सान्या पुत्तर सवाल तो बड़ा अच्छा किता है तूनेI आजकल इन दोनों शब्दों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। हम सभी को इनके बारे में जानना चाहिए और इन्हें स्वीकार करना चाहिए।

क्या है सही

सान्या बेटा, तुम्हें विस्तार से बताती हूं कि गे या स्ट्रेट क्या होता है। चलो शुरुआत एलजीबीटी से करते हैं। एलजीबीटी में एल का अर्थ लेस्बियन होता है। जब एक महिला दूसरी महिला की ओर आकर्षित होती है तो उसे लेस्बियन कहा जाता है। जीका अर्थ गे है। जब एक पुरुष दूसरे पुरुष की ओर आकर्षित होता है तो उसे गे कहते हैं। लेकिन आमतौर पर ऐसे पुरुष और महिलाओं के लिए समलैंगिक शब्द का प्रयोग किया जाता है।

अब तुम यह जानना चाहोगी कि समलैंगिक क्या है? चलो तुम्हें इसके बारे में भी बताती हूं। जब कोई व्यक्ति समान लिंग की ओर आकर्षित होता है तो उसे होमोसेक्सुअल कहते हैं। इसी के जैसा एक दूसरा शब्द हेट्रोसेक्सुअल भी है, जिसका मतलब है कि जब कोई व्यक्ति विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होता है तो उसे हेट्रोसेक्सुअल कहते हैं। इन्हें ही स्ट्रेट भी कहा जाता है। चलो इतना तो तुम्हें ठीक ठाक समझ में आ गया होगा।

अब एलजीबीटी में बी का अर्थ बाइसेक्सुअल है, अर्थात् जो लोग महिला और पुरुष दोनों की तरफ आकर्षित होते हैं। इन्हे द्विलैंगिक भी कहा जाता हैI टी का अर्थ टीजी अर्थात ट्रांसजेंडर हैं। ट्रांसजेंडर वे लोग होते हैं जिनका जन्म से ही कोई जेंडर या लिंग नहीं होता है।

आसान भाषा में तुम्हें समझाऊं तो, मान लो तुम एक लड़की हो लेकिन तुम्हें लड़कों वाली फीलिंग आती है तो तुम्हें ट्रांसजेंडर कहा जाएगा। सच कहूं बेटा, यह जितना आसान दिखता है उतना होता नहीं है। यह वास्तव में बहुत जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। इसलिए मैं तुम्हें इसके बारे में अधिक से अधिक पढ़ने के लिए कहूंगी। तुम इसके बारे में हमारी वेबसाइट पर भी पढ़ सकती हो।

खुद की पसंद

बेटा, एक बात ध्यान रखना, कोई भी पहचान अच्छी, बुरी, ग़लत और सही नहीं होती है। हालांकि दुर्भाग्यवश हमारे समाज में एलजीबीटी की पहचान को असामान्य और अप्राकृतिक एवं हमारी संस्कृति के खिलाफ माना जाता है और ज्यादातर एलजीबीटी लोगों को अपनी पहचान छिपाने के लिए मजबूर किया जाता है जो कि सरासर ग़लत है।

सान्या बेटा, इसे इस तरह से समझो। मान लो तुम्हें पालक पनीर पसंद है लेकिन मैं तुम्हें टिंडा मसाला खाने के लिए मजबूर कर रही हूं। तुम्हें नहीं खाना तो तुम सीधे मना कर दो, है कि मुझे पसंद नहीं है? बस हमारे यहाँ यही दिक्कत है कि लोग नाराज़ हो जाते हैंI वे दूसरों पर अपना हुक्म चलाना चाहते हैं। क्या ऐसा संभव हो सकता है बेटा? नहीं ना।

यहां तक कि जिसे टिंडा मसाला खाना पसंद है वह भी उसे चार टाइम नहीं खा सकता है। वे भी कभी-कभी अलग स्वाद की चीजें खाना पसंद करेंगे। है ना? ठीक उसी तरह , किसी को हमें यह कहने का अधिकार नहीं होना चाहिए कि हम किसे प्यार करें, किसके साथ सेक्स करें। हमारे शरीर और इच्छाओं पर सिर्फ़ हमारा अधिकार होना चाहिए।

बड़े पैमाने पर भेदभाव

लेकिन इस जालिम दुनिया में ज्यादातर एलजीबीटी लोग अपने शरीर और इच्छाओं के लिए अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने में असमर्थ हैं। सान्या बेटा तुम्हें यह जानकर हैरानी होगी कि जो लोग स्ट्रेट नहीं हैं उनके खिलाफ लोग किस हद तक भेदभाव करते हैं। आमतौर पर कोई लड़का किसी लड़की से प्यार करता है तो क्या सारी दुनिया को ही ऐसा करना चाहिए!  इसीलिए जब एक लड़का किसी लड़के से या एक लड़की किसी लड़की से प्यार करती है तो दुनिया को यह बात हजम नहीं होती है।

यदि कोई व्यक्ति स्ट्रेट नहीं है तो दुनिया संस्कृति के नाम पर उसके ऊपर अत्याचार करती है। समलैंगिक लोगों को डराना धमकाना, उनसे नफ़रत करना, यह हमारे घर, हमारे देश और पूरी दुनिया की सच्चाई है। यहां तक कि कड़े कानून के कारण एलजीबीटी लोग स्वतंत्र रूप से घर से बाहर निकलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त भी नहीं कर सकते हैं।

प्यार दो प्यार लो

बेटा सान्या, मैं तुम्हें समझाना चाहूंगी कि मान लो तुम किसी लड़के से प्यार करती हो लेकिन तुम्हारी कोई अच्छी सहेली किसी लड़की से प्यार करती है। प्यार तुम दोनों करते हो, तो क्या तुम्हारा प्यार उसके प्यार से अच्छा माना जाएगा? तुम अपने साथी से प्यार, देखभाल, सुरक्षा और  विश्वास की उम्मीद रखती हो। तुम्हारी सहेली भी तो बस यही चाहती है ना। अंतर बस इतना है कि तुम यह उम्मीद किसी लड़के से रखती हो और वह किसी लड़की से। तो क्या वह तुमसे कम है? नहीं ना?

आंटी जी का सिंपल सा फंडा है बेटा। अंत में इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि दूसरे लोग क्या सोचते हैं। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि तुम अपने बारे में क्या सोचती हो, अपने अंदर क्या महसूस करती हो। कोई किसी के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकता है। सभी लोगों को यह बताने का अधिकार है कि वे कौन हैं, किसे प्यार करना चाहते हैं, किस तरह की लैंगिकता के साथ रहना चाहते हैं और किसके साथ कहां रहना चाहते हैं। बस कैसे भी, प्यार दो और प्यार लो। समझी बेटा सान्या?

*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।

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