जब यह पहली बार होता है, तब इसे सामान्य माहवारी से अलग कर पाना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा अचानक और असमय हुआ यह रक्तस्राव आपको आपके स्वास्थ्य के विषय में परेशान कर सकता है। सौभाग्यवश, ज़्यादातर स्थितियों में, स्पॉटिंग किसी गंभीर बीमारी का परिणाम नहीं होती है। परन्तु कभी कभी ऐसा हो भी सकता है। इसलिए ध्यान देना ज़रूरी है।
किसी प्रकार की चिकित्सकीय सलाह लेने से पहले स्पॉटिंग के समय, तीव्रता और अवधि का ध्यान रखना ज़रूरी है। इससे आपके डॉक्टर को यह जानने में मदद मिल सकती है कि स्पॉटिंग का कारण क्या है या फिर उसका किसी शारीरिक समस्या से सम्बन्ध तो नहीं है।
स्पॉटिंग के स्पष्ट संकेतों को पहचान पाने में आपकी सहायता के लिए, आइये देखते हैं कि यह मासिक धर्म से किस प्रकार भिन्न है और इसके होने के पीछे कुछ आम कारण क्या हैं:
स्पॉटिंग बनाम पीरियड्स -दोनों में अंतर कैसे करें
पीरियड या माहवारी, आमतौर पर प्रजनन-योग्य आयु की स्त्रियों को 28-30 दिनों के अंतराल में होता है जो कि गर्भवती नहीं है। गर्भाशय की परत हर माह गर्भधारण की तैयारी के लिए गाढ़ी होती है। और जब स्त्री गर्भवती नहीं होती तब गर्भाशय की यह परत बह जाती है, जिसकी वजह से 3 से 7 दिन तक रक्तस्राव होता है- इसे हम माहवारी या पीरियड्स कहते हैं।
जबकि दूसरी ओर स्पॉटिंग हल्की मात्रा में होने वाला रक्तस्राव है, जो आपके पीरियड्स /माहवारी के मासिक चक्र के बीच में होता है। योनि (वजाइना) से होने वाला यह रक्तस्राव कम मात्रा में होता है और आपको सुरक्षा के लिए पैड या टैम्पोन की आवश्यकता नहीं होती। कुछ स्त्रियों को इस समय में पैंटी लाइनर के प्रयोग की आवश्यकता होती है।
इंटरमेन्स्ट्रुअल पीरियड्स के नाम से भी जानी जाने वाली, स्पॉटिंग रुक रुक कर और अनियमित रूप से होती है और अकसर इसमें किसी प्रकार के लक्षण जैसे पेट में मरोड़ या मूड स्विंग आदि नहीं होते।
दोनों तरह के रक्तस्राव में कुछ अंतर इस प्रकार हैं :
- माहवारी एक नियमित मासिक क्रिया है (जब तक कि वह किसी तरह की मेडिकल स्थिति या गर्भावस्था से प्रभावित ना हो )।स्पॉटिंग अनियमित, रुक रुक कर होने वाला और अचानक होने वाला रक्त स्नाव है।
- माहवारी (पीरियड) 3 से 7 दिन तक चल सकता है। स्पॉटिंग कुछ घंटों या कुछ दिनों तक चल सकती है। यह एक दिन होकर , अगले ही दिन रुक कर फिर दुबारा भी हो सकती है।
- माहवारी के साथ हॉर्मोन्स की वजह से होने वाले लक्षण जैसे पेट में मरोड़, मूड का बार बार बदलना, स्तनों में दर्द होना आदि होते हैं। यह लक्षण स्पॉटिंग के दौरान अक्सर नहीं होते हैं।
- माहवारी का रक्त गाढ़ा लाल, और थक्कों या तार के रूप में प्रवाहित होता है, जबकि स्पॉटिंग के समय आने वाला रक्त भूरा या हलके रंग का होता है।
स्पॉटिंग क्यों होती है ?
स्पॉटिंग होने के पीछे बहुत से कारण हैं। हालाँकि ज़्यादातर इनमें से चिंता का विषय नहीं होते हैं, फिर भी कुछेक हो भी सकते हैं। यह मुख्य नौ कारण हैं जिनकी वजह से स्त्रियों में मासिक धर्म के बीच की अवधि में भी रक्तस्राव होता है:
- गर्भ निरोधक: हार्मोन आधारित गर्भ नियंत्रण के उपाय जैसे पिल्स, रिंग्स, इम्प्लांट्स और टीके स्पॉटिंग की आम वजह होते हैं, खासतौर से जब आप इनमें से किसी भी एक का प्रयोग करना आरम्भ कर रहे हों। डोज़ को मिस करना, डोज़ का गलत तरह से लेना अथवा गर्भ निरोधक का बेअसर होना, आपकी माहवारी के बीच के समय में रक्तस्राव का कारण बन सकता है।
- इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग: कुछ स्त्रियों को हल्का हल्का रक्तस्राव या स्पॉटिंग हो सकती है जब फर्टिलाइज़्ड एग गर्भाशय की परत के जुड़ता है ((प्रेगनेंसी का पहला चरण)। इसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं। हालाँकि यह सब के साथ नहीं होता है, पर इसके अनुभव की संभावना तब ज़्यादा होती है जब आप अपने अगले पीरियड के समय के आसपास गर्भवती हो जाती हैं। इस स्थिति में रक्त गाढ़ा भूरा या हल्का गुलाबी हो सकता है। और यह ज़्यादातर एक या दो दिन में खुद ही बंद हो जाता है। जबकि रक्त का प्रवाह इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के दौरान काफ़ी कम होता है, फिर भी इसमें कुछ माहवारी जैसे लक्षण हो सकते हैं जैसे पेट में मरोड़, जी मिचलाना, मूड स्विंग, स्तनों में दर्द और कमर दर्द आदि।
- ओवुलेशन: प्रजनन योग्य उम्र की लगभग 3 प्रतिशत स्त्रियों को ओवुलेशन के समय स्पॉटिंग का अनुभव होता है। यदि आपको अपने नियमित मासिक धर्म के दौरान 11 से 21 दिनों में रक्तस्राव होता है, तो यह आपकी ओवरी से निकले एग की वजह से हो सकता है। यह प्रतिमाह हो भी सकता है और नहीं भी इसलिए इसका पारस्परिक सम्बन्ध करना मुश्किल है। पर यदि आपको ओवुलेशन के अन्य लक्षण जैसे साफ़ रंग का सर्वाइकल म्यूकस का स्राव, ब्लोटिंग होना, कामेच्छा बढ़ना या फिर जब आपका ट्रैकर बताये कि आपके फर्टाइल दिन ( जब प्रेग्नेंट होने की सम्भावना होती हैं) चल रहे हैं, तब ऐसा हल्का फुल्का रक्तस्राव होना किसी चिंता का विषय नहीं है।
- गर्भावस्था : लगभग एक चौथाई गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के पहले चरण में हल्के रक्तस्राव का अनुभव होता है। जबकि गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में स्पॉटिंग ज़्यादा चिंता का विषय नहीं होती है, फिर भी आपको अपने डॉक्टर से इस विषय में बात कर लेनी चाहिए। यदि यह रक्तस्राव अधिक मात्रा में हो रहा है तब आपको तुरंत ही चिकित्सकीय सेवा लेनी चाहिए क्योंकि यह गर्भपात या फिर अस्थानिक गर्भ का संकेत हो सकता है।
- शारीरिक चोट :गर्भाशय की कैविटी या सर्विक्स में किसी भी तरह की चोट से भी स्पॉटिंग हो सकती है। ऐसी स्थिति में , रक्तस्राव इस बात पर निर्भर करता है कि चोट कितनी गहरी है। उग्र रूप से किया गया सेक्स, किसी बाहरी वस्तु द्वारा टिशूज़ की क्षति, गर्भाशय की जांच, यौन शोषण या बलात्कार आदि की वजह से भी स्त्री को रक्तस्राव हो सकता है।
- पहले से मौजूद चिकित्सकीय स्थिति : वे स्त्रियां जिनको प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है या पहले से मौजूद कोई ऐसी चिकित्सकीय स्थिति जैसे गर्भाशय में गाँठ, सर्वाइकल पोलिप्स(सर्विक्स में टिशूज़ की असामान्य बढ़त ), पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिसीज़, एंडोमेट्रोइसिस, पीसीओडी या पीसीओएस आदि समस्या है , उन्हें समय समय पर स्पॉटिंग का अनुभव हो सकता है। इसके अलावा, अन्य चिकित्सकीय स्थितियां जैसे ख़राब थायरॉयड, किडनी की बीमारी, डॉयबिटीज़ या फिर ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स की वजह से भी स्पॉटिंग हो सकती है।
- सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिज़ीज़ (यौन संक्रमण ): एसटीआई जैसे गोनोर्हिआ और क्लैमिडिआ भी स्पॉटिंग के आम कारण हैं, खासतौर से यौन संबंध बनाने के बाद। इस तरह की स्थितियों में , स्त्रियों को पेल्विक में दर्द, योनि अथवा गुदा में खुजली, मूत्र निष्कासन के समय दर्द या जलन और योनि से पीला, हरा या सफ़ेद बदबूदार स्नाव आदि का अनुभव हो सकता है।
- दवाएं : कुछ दवाएं जैसे हार्मोनल ड्रग्स, थायरॉइड की दवाएं और खून को पतला करने की दवाएं भी मासिक चक्र के बीच में हल्के रक्तस्राव का कारण बन सकती हैं।
- कैंसर : यदि स्पॉटिंग बार बार और अक्सर हो रही हो, खासतौर से मेनोपॉज़ के बाद ,तो वह ओवरी , सर्विक्स, यूटरीन या एंडोमेट्रियल कैंसर का लक्षण हो सकता है। हालाँकि, इसकी संभावना काफी कम है, फिर भी यदि आपको रक्तस्राव असामान्य या अनियमित लग रहा है तो चिकित्सकीय परामर्श लेना आपके हित में है।
अगली बार जब आपको स्पॉटिंग हो, तो परेशान ना हों। उसे अपनी मेडिकल हिस्ट्री या अन्य लक्षणों से सम्बंधित कर के देखें, और आपको यह एहसास होगा कि डरने की कोई बात ही नहीं है। फिर भी, यह सलाह दी जाती है कि अपने डॉक्टर से इस विषय पर चर्चा करें और उसकी पहचान करें।
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है।
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आरुषि चौधरी एक फ्रीलैंस पत्रकार और लेखिका हैं, जिन्हें पुणे मिरर और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे प्रिंट प्रकाशनों में 5 साल का अनुभव है, और उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रिंट प्रकाशनों के लिए लगभग एक दशक का लेखन किया है - द ट्रिब्यून, बीआर इंटरनेशनल पत्रिका, मेक माय ट्रिप , किलर फीचर्स, द मनी टाइम्स, और होम रिव्यू, कुछ नाम हैं। इतने सालों में उन्होंने जिन चीजों के बारे में लिखा है, उनमें से मनोविज्ञान के प्रिज्म के माध्यम से प्यार और रिश्तों की खोज करना उन्हें सबसे ज्यादा उत्साहित करता है। लेखन उनका पहला है। आप आरुषि को यहां ट्विटर पर पा सकते हैं।