*रिद्धि, 29, दिल्ली में रहने वाली मीडिया प्रोफेशनल हैं
सबसे अच्छे दोस्त
श्वेता और मैं स्कूल से ही सबसे अच्छे दोस्त थेI स्कूल के बाद हमने एक ही कॉलेज में ही दाखिला लिया थाI हमने अपना हर जन्मदिन एक सतह बिताया था और एक दूसरे के बारे में सब कुछ जानते हुए हम बड़े हुए थे - हमारा पहला क्रश, हमारा पहला किस, यहां तक कि हमारी पहली बिकनी वैक्स का दिन भी! इस दोस्ती में मैं थोड़ी 'बेवकूफ' थी जिसे कुछ भी नहीं पता था और श्वेता थी मेरी 'गुरु'I
वो श्वेता ही थी जिसने मुझे सेक्स के बारे में बताया और यह भी कि बच्चे कैसे पैदा होते हैं - जिसे सुनकर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ थाI हमने अपनी पहली पोर्न फिल्म भी एक साथ देखी थी!
कॉलेज के बाद हमें अपने कैरियर की वजह से अलग होना पड़ा थाI मैं दिल्ली में एक मीडिया हाउस के साथ प्रशिक्षु के रूप में कार्यरत हुई तो श्वेता ने एमबीए दाखिला ले लिया थाI वो कॉलेज से ही राज से डेटिंग कर रही थी - लेकिन उसका मानना था कि वो दोनों एक दूसरे के प्रति गंभीर हैंI
रात भर बातें
दूरियां दिल्ली में बहुत मायने रखती हैं और यद्यपि हम एक ही शहर में रहते थे, हम विपरीत सिरों पर थे। हमने सप्ताहांत पर मिलने और कॉफी और मैग्गी के साथ अपनी 'पहली रात' को मिलने का फैसला किया, जब उसने अपने पहले सेक्स के बारे में मुझे बतायाI मैं विवरण सुनने के लिए उतनी ही उत्साहित थी जितनी कि वो उसे बताने मेंI
मैं भी नमित को डेट कर रही थीI लेकिन वो शादी से पहले सेक्स नहीं करना चाहता थाI श्वेता ने मुझे इस बात के लिए बहुत छेड़ा भी था। हमने घंटों बातें की और सोते सोते सुबह हो गयी थीI
(नीचे दिए गए वीडियो में देखें * रिद्धि की कहानी उसी की ज़ुबानी)
समय का अभाव
एक हफ्ते के बाद मैं फिर से श्वेता से मिलने और उसकी रोमांचक कहानियां सुनने को बेताब थी लेकिन उसने मुझे बताया कि इस सप्ताहांत वो राज के साथ बिताएगीI कुछ समय साथ बिताने के लिए उन दोनों ने एक रिसोर्ट में जाने का फैसला लिया थाI
तब से हर बार कुछ ना कुछ होता ही रहता था और मैं और श्वेता मिल ही नहीं पाते थेI इसी बीच, नमित को भी दिल्ली में एक प्रोजेक्ट मिल गया था और मेरा अधिकतर समय उसी के साथ बीतता थाI श्वेता और मैं दोनों ही अपने नए जीवन में व्यस्त हो गए थे लेकिन फिर भी फोन और व्हाट्सप्प के ज़रिये हमेशा एक दूसरे के संपर्क में रहते थेI
वो फ़ोन कॉल
एक दिन, जब मैं देर रात ऑफिस में थी तो मुझे श्वेता का फोन आया। वह फोन पर रो रही थी और रट रट उसने मुझे बताया कि वो गर्भवती थी। मुझे सुनकर झटका लगा थाI मुझे पता था कि वह राज के साथ शारीरिक रूप से करीब थी लेकिन मुझे यह भी पता था कि वो दोनों कंडोम का इस्तेमाल कर रहे थे। मैंने उससे पूछा कि क्या वह निश्चित थी। उसने हाँ कहा, क्योंकि उसने तीन परीक्षण किए थे।
"मुझे बहुत डर लग रहा है रिद्धिI एक दिन हमारे पास कंडोम नहीं था और अगले दिन से मेरे पीरियड शुरू होने वाले थेI मुझे लगा कुछ नहीं होगाI मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या करूँI राज ने कहा है कि वो गर्भपात के दौरान मेरे साथ रहेगा लेकिन मैं बहुत दरी हुई हूँI क्या तू मेरे साथ चल सकती है? मुझे तेरे साथ की बहुत ज़रुरत हैI"
'निश्चित रूप से मैं चलूंगी', मैंने उसे कहा कि जितनी जल्दी हो सके मैं उसके पास पहुंच रही हूँI श्वेता ने मुझे बताया कि उन्होंने शनिवार को दिल्ली में क्लिनिक में गर्भपात के लिए समय तय किया हैI मैंने उसे कहा कि वो चिंता ना करे और मैं वहां मौजूद रहूंगीI
बॉयफ्रेंड या बेस्ट फ्रेंड
मैं अगले दिन कॉफी के लिए नमित से मुलाकात की और महसूस किया कि वो परेशान था। मैंने उसे श्वेता के बारे में बताया और यह भी कि उसे मेरी मदद की ज़रूरत थी। नमित को विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं ऐसा कुछ करने जा रही हूँ, 'तुम्हारा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया है? तुम अपने अविवाहित दोस्त की उसके गर्भपात के लिए मदद के लिए जा रही हो और वो भी भगवन जाने कौनसे क्लिनिक में?"
वो गुस्से में काँप रहा था, 'मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा कि तुम उसके मदद करने के लिए तैयार कैसे हो गयी? अगर वहां कोई डॉक्टर या नर्स तुम्हारी जान पहचान वाला निकला और इस बारे में उसने तुम्हारे घर पर बता दिया तो? नामित ने तो मुझे अल्टीमेटम दे दिया कि मुझे ऐसे लोगों से दोस्ती नहीं रखनी चाहिए और अबसे श्वेता से मिलना भी नहीं चाहिएI
मैंने नमित को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वो इतने गुस्से में था कि अपनी कॉफी खत्म करे बिना ही वहां से चला गयाI हम हर रात फ़ोन पर लम्बी बातें करते थी लेकिन उस रात उसने मुझे फ़ोन ही नहीं किया और अगले दिन भी बात नहीं कीI
मैं दोराहे पर थी – बॉयफ्रेंड या बेस्ट फ्रेंड?
मेरा स्वार्थ
शनिवार को मुझे लेने के लिए श्वेता और राज मेरे छात्रावास में आयेI आंखों में आँसू और दिल पर पत्थर रखते हुए मैंने उसे झूठ बोल दिया कि ऑफिस मैं एक ज़रूरी काम आ गया है और मुझे वहां जाना पड़ेगाI मैंने खेद व्यक्त किया लेकिन वहां से जाते हुए श्वेता की आँखों में निराशा साफ़ झलक रही थीI
आज, जब मुड़कर उस पल के बारे में सोचती हूँ तो बहुत दुःख होता हैI काश मैंने नमित की बात ना मानकर वो किया होता जो मुझे करना चाहिए था और जो सही था - मेरे सबसे अच्छे दोस्त का साथ देना चाहिए थाI वो भी तब जब उसे मेरी सबसे ज़्यादा ज़रुरत थीI
सालों बाद, मैंने श्वेता को उस दिन की सच्चहि बता दीI उसने कहा कि वो समझती है और उसे मुझसे कोई शिकायत नहीं हैI अपने जीवन के सबसे कठिन दिन को श्वेता ने अपने सबसे अच्छे दोस्त के समर्थन के बिना बिताया और शायद उसने इस बात के लिए मुझे माफ़ भी कर दिया हैI लेकिन मैं अपने आपको को कभी माफ़ नहीं कर पाउंगीI
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गए हैं और तस्वीर के लिए मॉडल का इस्तेमाल किया गया हैI
यह लेख पहली बार 24 सितंबर, 2018 को प्रकाशित हुआ था।