भारत में गर्भ समापन 1971 से ही कानूनी रूप से मान्य है, लेकिन इसके साथ कई तरह की शर्तें भी जुड़ी हुई हैं꠰ अब 2021 में कानून बदलने वाला है जिसमे अबॉरशन से जुडी कुछ शर्तों में कटौती होगी꠰ आइये देखते हैं कि ये नए बदलाव क्या हैं?
अगर आपको कल गर्भ समापन/अबॉर्शन के लिए जाना पड़े, तो आपके दिमाग में सब से पहले क्या ख्याल आएगा? लव मैटर्स इंडिया ने यह सवाल भारत के कुछ युवाओं से पूछा। यहां जानिए उन्होंने क्या कहा …
क्या आप गर्भावस्था समाप्त कराने या अबॉर्शन कराने जा रही हैं लेकिन आपको डर लग रहा है? तो अब डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। लव मैटर्स ने इस बारे में स्त्रीरोग विशेषज्ञों से विस्तार से बात की, ताकि आप या आपके प्रियजन मेडिकल अबॉर्शन कराने का फैसला लेने से पहले सभी ज़रूरी चीजें जान सकें।
गर्भपात – इस बारे मे बहुत कुछ कहा जा चुका है कि महिलाओं को भ्रूण नष्ट करने का अधिकार होना चहिए या नहीं। इस सम्बंध मे बहुत कुछ आपकी धार्मिक और व्यक्तिगत मान्यताओं के साथ साथ आपके देश के कानून पर भी निर्भर करता है। आइये आपको गर्भपात से जुड़े पांच महत्वपूर्ण तथ्य बताते हैं।
गर्भपात एक ऐसा विषय है जिसके बारे में लगभग हर किसी की एक मजबूत राय होती है, चाहे वो इसका समर्थन करते हों या इसके खिलाफ होंI और इस बारे में प्रचलित धारणाओं के चलते ये जान लेना अच्छा होगा ये धारणाएं गलत हैं या सहीI उसके बाद ही आप अपनी इस बारे में राय बनाएंI
हां, भारतीय क़ानून के अनुसार गर्भपात ना सिर्फ़ पूरी तरह वैद्य है बल्कि एक महिला को इसके लिए अपने माता-पिता/पति की अनुमति की भी ज़रुरत नहीं हैI सुरक्षित और कानूनी गर्भपात के लिए विश्व दिवस को चिह्नित करने के लिए, हम आज आपके लिए भारत में प्रचलित गर्भपात सम्बंधित पांच मिथकों के ऊपर से पर्दा उठाएंगेI
नमस्ते आंटी जी... मुझे अभी अभी पता चला है कि मैं गर्भवती हूं लेकिन मैं अभी इस ज़िम्मेदारी का भार उठाने के लिए शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से तैयार नहीं हूँI मैं गर्भ समापन करवाना चाहती हूँ और यह भी जानना चाहती हूँ कि क्या इससे आगे बच्चा पैदा करने में कोई समस्या तो नहीं होगीI मधु, 22 साल, XXXX
आंटी जी, मैं और मेरी गर्लफ्रेंड बच्चे को जन्म देने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं थे इसलिए हमने गर्भपात करवाने का फैसला लियाI लेकिन अब हमें बुरा लग रहा हैI क्या हमारा निर्णय गलत था? रवि (22), भोपाल
भारत में गर्भपात को लेकर असली जद्दोजेहद उसकी वैधता को लेकर नहीं है, बल्कि उसकी उपलब्धता को लेकर है। यहाँ चुनौती यह है कि महिलाओं को कैसे बताया जाए कि गर्भपात ना सिर्फ़ वैध है बल्कि यह बेहद सुरक्षित भी है।