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Shutterstock/yogendrasingh.in/Person in photo is not Sneha/Names changed.

‘काश मैंने उसकी सुनी होती!’

बिहार के एक छोटे से गांव की रहने वाली स्नेहा होशियार लड़की है। वह पढ़ लिखकर जीवन में कुछ बनना चाहती है। लेकिन एक छोटी सी गलती से उसकी ज़िंदगी ही बदल गई है। आखिर वह कौन सा निर्णय था जिसे लेकर स्नेहा को आज भी अफसोस है?

20 साल की स्नेहा पटना में रहती हैं।

बड़ा शहर, बड़े सपने

स्नेहा पढ़ाई में शुरू से ही अच्छी थी। स्कूल के दिनों में वह हर साल अपनी कक्षा में टॉप करती थी। 12वीं की पढ़ाई पूरी होने के बाद उसके पापा ने पटना के एक कॉलेज में उसका एडमिशन करा दिया। वह हॉस्टल में रहने लगी। वहां जल्द ही दोस्तों के साथ उसकी मौज मस्ती भी शुरू हो गई।

उसे अपनी ये लाइफ और ये नया शहर दोनों अच्छे लगने लगे। यह उसके लिए किसी नई दुनिया से कम नहीं था। अब वह जो चाहे, करने के लिए आजाद थी! जल्द ही उसकी मुलाकात अखिल नाम के एक लड़के से हुई। वह स्नेहा के ही कॉलेज में पढ़ता था, लेकिन उससे अलग कोर्स कर रहा था। वे दोनों कॉमन फ्रेंड्स के जरिए मिले थे और अब उनमें अच्छी बनने लगी थी।

और प्यार हो गया

धीरे-धीरे स्नेहा और अखिल को एक दूसरे से प्यार हो गया। अखिल अपने दोस्तों के साथ एक फ्लैट में रहता था। स्नेहा अक्सर उसके फ्लैट में रात भर रुकती थी। अपनी रिलेशनशिप के कुछ महीनों बाद, दोनों ने सेक्स करने का फैसला किया। वे दोनों अब अपने कॉलेज के सेकेंड ईयर में आ चुके थे।  उनके पास साथ रहने के लिए केवल एक साल बचा था। इसलिए वे दोनों इस समय का अधिक से अधिक फायदा उठाना चाहते थे।

स्नेहा अपने पीरियड्स को ट्रैक करती रहती थी। वह अपने सुरक्षित दिनों में ही सेक्स करती थी क्योंकि अखिल अक्सर कंडोम का इस्तेमाल नहीं करता था। हालांकि वह हमेशा स्खलित होने से पहले ही लिंग बाहर निकाल लेता था। स्नेहा का पीरियड्स समय पर आ जाता था और दोनों को हर दिन सेक्स करने का खूब मज़ा ले रहे थे।

बस एक बूंद!

एक दिन जब वे दोनों सेक्स कर रहे थे, तब अखिल ने अपना कंट्रोल खो दिया और उसकी योनि के अंदर थोड़ा सा वीर्य स्खलित कर दिया। स्नेहा डर गयी थी। तब अखिल ने कहा 'स्नेहा, सिर्फ एक ही बूंद तो गिरा है। कुछ नहीं होगा। हम इतने महीनों से ऐसे ही सेक्स कर रहे हैं। क्या कभी कुछ हुआ है?’'

स्नेहा ने कहा, 'नहीं अखिल, मुझे तुम पर भरोसा है।’ फिर वे दोनों इस बात को भूल गए। दोनों बाकी रातों की तरह एक दूसरे के गले लगे और सो गए।

उनके अंतिम सेमेस्टर का एक्जाम शुरू हो चुका था। इसलिए दोनों ने इस दौरान कम मिलने और रात के समय अपनी पढ़ाई पर फोकस करने का फैसला किया। पढ़ाकू स्नेहा अपने एग्जाम में इतनी व्यस्त हो गई कि उसे अपने पीरियड्स में देरी होने का ध्यान ही नहीं रहा। जब उसे ध्यान आया तब तक उसके पीरियड में 15 दिनों की देरी हो चुकी थी। वो टेंशन में आ गई और तुरंत अखिल को कॉल किया।

अब क्या करें?

अखिल ने स्नेहा से कहा 'चिंता मत करो, यह सब स्ट्रेस की वजह है। आज रात मिलो, प्रेगनेंसी टेस्ट कर लेते हैं। मैं किट लेकर आऊंगा।

स्नेहा बहुत चिंतित थी। अब उसका पढ़ने में मन ही नहीं लग रहा था। उसने बाहर जाकर किट खरीदी और अपने हॉस्टल के कमरे में खुद टेस्ट किया। टेस्ट करने पर दो पॉजिटिव लाइन देखकर तो उसे चक्कर ही आ गया। वह प्रेगनेंट थी। ये सोच कर उसे बहुत घबराहट होने लगा और उसे उलटी हो गयी।

उसने तुरंत अखिल को फोन करके बताया। सबसे पहले, उसने अखिल को कॉन्डोम न पहनने और हर चीज में इतना लापरवाह होने को लेकर बहुत सुनाया। गुस्से में पहले वो चिल्ला उठी और फिर रोने  लगी। अखिल हक्का बक्का रह गया। वह सॉरी बोलता रहा। वे दोनों कुछ देर चुप रहे। फिर स्नेहा ने कहा 'चलो शादी कर लेते हैं अखिल'।

अखिल ने कहा 'तुम पागल हो क्या? मैं ग्रेजुएट भी नहीं हूं। मेरा कोई करियर नहीं है। हम सिर्फ 20 साल के हैं। हम बच्चे को कैसे पालेंगे? चलो अबॉरशन करा लो।'

'तुम मुझसे प्यार नहीं करते'

स्नेहा ने कहा, 'कोई बात नहीं, तुम शादी के बाद पढ़ सकते हो। मैं पढ़ाई छोड़ दूंगी और बच्चे की परवरिश करूंगी'।

अखिल ने कहा,  'लेकिन तुम्हारे करियर, तुम्हारी पढ़ाई का क्या? तुम क्लास टॉपर रह चुकी हो। एक छोटी सी ग़लती के लिए तुम सब कुछ क्यों छोड़ोगी'?

स्नेहा इमोशनल होकर बोली - 'कौन सी गलती अखिल? यह हमारे प्यार की निशानी है। मैं ऐसा अपराध नहीं करूंगी। मैं किसी निर्दोष की जान नहीं लूंगी। यानी तुमने मुझसे कभी प्यार नहीं किया और सिर्फ मेरे साथ सेक्स करना चाहते थे'।

इतना कहकर उसने फोन काट दिया। अखिल कभी नहीं चाहता था कि स्नेहा दुखी हो। लेकिन साथ ही वह शादी नहीं करना चाहता था। अभी और इस तरह तो बिल्कुल भी नहीं।

वह शाम को स्नेहा से मिला। स्नेहा ने फिर से उसे अपनी मां को शादी के लिए राजी करने के लिए कहा। वह अबॉरशन  कराना नहीं चाहती थी।अबॉरशन का नाम लेने पर ही वह गुस्सा हो जाती थी। 

अखिल उससे प्यार करता था। उसने स्नेहा से कहा कि वह सिर्फ उसके लिए अपने मम्मी-पापा से बात करेगा। वह अपनी मम्मी के बहुत करीब था और उनसे सब कुछ शेयर करता था। उसकी मम्मी ने उसे घर बुलाया और दोनों ने उसके पापा से बात की।

अखिल के पापा यह सुनते ही आग बबूला हो गए। वह दोनों की शादी के लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने अखिल से कहा-'जो कुछ हुआ वह अच्छा नहीं हुआ। हॉस्पिटल ले जाकर उसका अबॉरशन  करा दो। मैं तुम्हें पैसे दे दूंगा। फिर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।

हर कोई नाराज़ था  

घर से लौटते समय अखिल की मां की आंखों में आंसू थे। उसकी मां ने उससे कहा कि तुम स्नेहा के साथ भागकर शादी कर लो। 'उसके पेट में तुम्हारा बच्चा है। उसे मत छोड़ो। उससे शादी कर लो। मैं सब कुछ मैनेज कर लूंगी।’

अखिल इन दो विचारों में उलझा हुआ था। उसे अपने पापा की समझदार सलाह सुननी चाहिए या अपनी मां की इमोशनल अपील? उसने अगली सुबह स्नेहा को अबॉरशन  के लिए डॉक्टर के पास ले जाने का फैसला किया। उस दिन उसकी परीक्षा थी, लेकिन उसने छोड़ दी। स्नेहा ने भी यही किया। स्नेहा अबॉरशन  कराने के लिए तैयार नहीं थी। वह रोती रही और रास्ते में उससे बात तक नहीं की।

वे दोनों जब सरकारी हॉस्पिटल पहुंचे तो महिला डॉक्टर ने अखिल को डांट लगाई और कहा कि इससे शादी कर लो, अबॉरशन  मत कराओ। अखिल के पास अपनी मर्जी के बिना शादी करने के अलावा कोई चारा नहीं था। बुझे मन से, वे दोनों अगली सुबह अपने दो दोस्तों के साथ मंदिर गए और शादी कर ली।

स्नेहा के मम्मी-पापा तो बहुत नाराज हुए और उसकी शादी में नहीं आए। यहां तक कि उन्होंने उससे बात करने से भी मना कर दिया। अखिल की मां अपनी बहू से मिलने आना चाहती थी लेकिन वह अपने पति को नाराज नहीं करना चाहती थी। अखिल के पापा अपने बेटे से उनकी इच्छा के खिलाफ शादी करने से नाराज थे।

किस कीमत पर?

अखिल के पास अपने रहने के लिए किराए पर घर लेने के लिए पैसे नहीं थे। स्नेहा को उस फ्लैट में शिफ्ट होना पड़ा, जिसमें अखिल अपने चार दोस्तों के साथ रहता था। उन दोनों के सभी क्लासमेट पास हो गए और फाइनल ईयर में चले गए। अखिल और स्नेहा अब एक सेमेस्टर पीछे रह गए।

स्नेहा को अब मिचली और उल्टी की समस्या शुरू हो गई थी। इस कारण वह कॉलेज नहीं जा पाती थी जिससे उसकी अटेंडेंस कम होने लगी। उसने खुद को कुछ समय देने का फैसला किया और पढ़ाई से ब्रेक ले लिया।

लेकिन अखिल कॉलेज जाता था और अपनी छूटी हुई पढ़ाई को पूरी करने की कोशिश करता था।  स्नेहा पूरे दिन अपने फ्लैट में अकेले रहती थी।

अखिल के पास कोई नौकरी नहीं थी। उसके पापा ने भी शादी के बाद उसे पैसे देना बंद कर दिया था। अखिल ने अपनी मां को फोन किया और उसे किराया देने और स्नेहा की सेहत की देखभाल के लिए कुछ पैसे भेजने के लिए कहा। लेकिन यह कब तक चलेगा, उसने सोचा? उसने शाम को पार्ट-टाइम काम करने या बच्चों को ट्यूशन पढ़कर कमाने का सोचा, लेकिन उसे भी अगले कुछ महीनों में परीक्षा देनी थी। वह बहुत तनाव में था लेकिन स्नेहा के साथ इसे शेयर नहीं करता था।

अब वे डेट पर या फिल्में देखने नहीं जाते थे। क्योंकि दोनों बहुत मुश्किल से अगले महीने के किराए और राशन का जुगाड़ कर पाते थे।

वह स्नेहा से कुछ नहीं कहता था लेकिन वह उसका तनाव महसूस करती थी। कई बार वह रोती और सोचती कि अगर अखिल ने कंडोम का इस्तेमाल कर लिया होता तो क्या हो जाता? अगर उसके मम्मी-पापा उसके साथ होते तो क्या होता? अगर उसने इस तरह जल्दी में शादी नहीं की होती, तो उसकी शादी की रस्में कैसी होतीं? 

जब वह अकेले होती और अपने कॉलेज की किताबों को घूर रही होती, तो वह सोचती  कि अगर उसने शादी ही नहीं की होती तो क्या होता? अगर वह अखिल की बात मानकर अबॉरशन करा लेती तो क्या होता? क्या ज़िंदगी कभी सही ट्रैक पर आएगी भी या नहीं? क्या अभी भी वह अपने दोस्तों के साथ कॉलेज जाती और अखिल के साथ चिल करती? क्या उन दोनों के पास कभी उतना पैसा और टाइम होगा जैसा उन्होंने सपना देखा था? कौन जाने? 

तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।नाम बदल दिए गए हैं।  

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