sonam abortion
Shutterstock/Yury Birukov/The person in the photo is not Sonam. Names changed.

‘यह तो गैर कानूनी है’

भारत का संशोधित गर्भपात कानून भारत में महिलाओं को बिना शादी के अबॉरशन करवाने को रज़ामंदी दे दी है, लेकिन क्या यह बात हमारे देश में आज भी सब को पता है? खस्सकार उनको जो इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं - जैसे की आशा दीदी, आंगनवाड़ी के कर्मचारी और अन्य लोग जो की सरकारी असपताल में हैं? आज भी जब कोई अनब्याही लड़की अबॉरशन करवाने आती है, तो उसको यह कह दिया जाता है की यह गैर कानूनी है। बिहार के एक छोटे से गांव की 18 साल के सोनम जब हाल ही में वहां अबॉरशन करवाने गयी तो यही हुआ उसके साथ भी। आईये यह कहानी पढ़ते हैं।

पहला प्यार 

बिहार के एक छोटे से गांव की रहने वाली 18 वर्षीय सोनम रोज शाम को अपनी बकरियां लेकर आसपास के खेतों में जाया करती थी। इस दौरान जब बकरियां घास चर रही होतीं, तब वो आसपास घूमती या किताबें पढ़ती। उसके साथ कभी-कभी उसकी कुछ सहेलियां भी होती थीं। उसके माता-पिता गरीब थे एवं बकरी चराकर या कहीं दिहाड़ी मजदूरी करके ही उनका गुजारा हुआ करता था।

एक रोज जब सोनम अपनी दिनचर्या अनुरूप बकरी चराने निकली, तब उसने महसूस किया कि उसके पीछे-पीछे कोई चल रहा है लेकिन मुड़ने पर उसे कोई दिखता ही नहीं। ये सिलसिला करीब एक हफ्ते तक चला लेकिन एक रोज सोनम ने उसे देख ही लिया कि आखिर इतने दिनों से कौन उसका पीछा कर रहा है। ये उसके मोहल्ले में ही रहने वाला 18 वर्षीय नसीम था, जो उसके पीछे-पीछे रोज आया करता था। नसीम उसे बैठकर देखा करता था। 

हालांकि सोनम पहले असहज थी लेकिन कुछ समय बाद सोनम को भी नसीम का देखना और मुस्कुराना अच्छा लगने लगा। धीरे-धीरे नसीम भी सोनम के पास आकर बैठने की कोशिश करने लगा और जब बकरियां घास चर रही होती, तब वे दोनों एक साथ बैठकर बातें करते और एक दूसरे को चूमते। एक रोज नसीम ने सोनम से कहा, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो और मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। 

घर से भाग चलें 

क्या तुम मेरे साथ शादी करोगी इस पर सोनम ने कहा, मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं लेकिन घर वाले तैयार नहीं होंगे। इस पर नसीम ने कहा, तो हम भाग चलते हैंं। हालांकि सोनम को भागना अच्छा नहीं लग रहा था मगर उम्र का भटकाव कहें या प्यार की खुमारी अंतः सोनम नसीम के साथ भागने के लिए तैयार हो गई। करीब तीन दिन बाद दोनों गांव छोड़कर भाग गए। उनके घरवालों ने दोनों को ढूंढने की पूरी कोशिश की लेकिन दोनों नहीं मिले।

एक दिन करीब एक महीने के सोनम के घरवालों ने सोनम को ढूंढ निकाला और वापस घर ले आए। उनके साथ नसीम भी वापस आ गया लेकिन घरवालों ने सोनम को सख्त हिदायत दी की वो नसीम से ना मिले। इस बीच कुछ दिनों के बाद सोनम की मां को पता चला कि सोनम गर्भवती है, जिसे जानकर सोनम की मां बहुत परेशान हो गई और आनन-फानन में उन्होंने नज़दीकी आशा कार्यकर्ता से मदद मांगी।  

गैर कानूनी? 

आशा दीदी ने सोनम और उसके माता पिता से कहा, ‘बिनब्याह गर्भपात कराना गलत है, गैर कानूनी है और इससे सजा हो सकती है और सरकारी अस्पताल में गर्भपात नहीं कराया जाता, इसलिए प्राइवेट अस्पताल में गर्भपात कराना होगा। अगर लड़की गर्भपात कराने के लिए तैयार है, तो प्राइवेट अस्पताल में चुपचाप उसका गर्भपात करवा दो।’

इस पर सोनम की मां ने सोनम का गर्भपात प्राइवेट अस्पताल में करवा दिया लेकिन सोनम से किसी ने नहीं पूछा कि उसकी इच्छा क्या है और ना ही किसी ने नसीम को कठघरे में खड़ा किया कि आखिर उसने सोनम के साथ ऐसा क्यों किया।

अब सोनम दिनभर खामोश ही रहती है क्योंकि उसके मन में अनेक सवाल है कि उसने जो दर्द सहा, उसका जिम्मेदार आखिर कौन है?
 

संपादक का नोट: इस कहानी को आंखों देखी घटना के आधार पर लिखा किया गया है और इस प्रकार सभी विवरणों की पुष्टि करना मुश्किल है। यह कहानी ग्लोबल डे फॉर सेफ अबॉर्शन 2022 के लिए ग्रामीण भारत में गर्भपात के अनुभवों का दस्तावेजीकरण करने वाली लव मैटर इंडिया की कहानी श्रृंखला का एक हिस्सा है। सोनम की कहानी से पता चलता है कि गर्भ समापन कई महिलाओं की आवश्यकता है, जिनकी प्रेगनेंसी दिल दहला देने वाली परिस्थितियों के कारण हुई है और यहां तक ​​कि यह एक महिलाओं के लिए कानूनी विकल्प उपलब्ध है, यह अक्सर उपयोग करने के लिए एक आसान सेवा नहीं है।

तस्वीर में लड़की सोनम नहीं है, नाम बदल दिए गए हैं।  

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