going for medical abortion
Shutterstock/Yashvi Jethi/ चित्र में व्यक्ति मॉडल है

अबॉर्शन कराने जा रहे हैं? पहले जान लें ये ज़रूरी बातें

द्वारा Akshita Nagpal सितम्बर 21, 01:53 बजे
क्या आप गर्भावस्था समाप्त कराने या अबॉर्शन कराने जा रही हैं लेकिन आपको डर लग रहा है? तो अब डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। लव मैटर्स ने इस बारे में स्त्रीरोग विशेषज्ञों से विस्तार से बात की, ताकि आप या आपके प्रियजन मेडिकल अबॉर्शन कराने का फैसला लेने से पहले सभी ज़रूरी चीजें जान सकें।

गर्भपात /अबॉर्शन कराने के दो तरीके हैं। एक को ‘मेडिकल अबॉर्शन’ दूसरे को  ‘सर्जिकल अबॉर्शन’ ’कहा जाता है। मेडिकल अबॉर्शन में आपको दवाएं दी जाती हैं जबकि सर्जिकल अबॉर्शन में ऑपरेशन किया जाता है। भारत में आमतौर पर  गर्भावस्था के शुरूआती चरण यानी 8 हफ्ते की गर्भावस्था के लिए ‘मेडिकल अबॉर्शन’ का तरीका अपनाया जाता है। इससे अधिक की गर्भावस्था (एडवांस प्रेगनेंसी) के लिए सर्जिकल अबॉर्शन की जरूरत पड़ती है।

मेडिकल अबॉर्शन को अबॉर्शन पिल मैथड भी कहा जाता है। यह गर्भावस्था खत्म करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में गर्भपात के लिए  मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल नामक दो अलग-अलग दवाएं दी जाती हैं। गर्भपात का विकल्प चुनते समय नीचे बताई गई इन बातों का ध्यान रखें: 

सोच समझकर समय पर कराएं गर्भपात

मेडिकल अबॉर्शन पूरी तरह सुरक्षित है, खासकर जब यह एक योग्य डॉक्टर के देखरेख में किया जाता है। लेकिन यह तभी प्रभावी होता है जब गर्भावस्था सिर्फ कुछ ही हफ्तों का हो। भारत के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के अनुसार मेडिकल अबॉर्शन कराने के लिए 9 हफ्ते की प्रेगनेंसी अधिकतम सीमा है। इसलिए समय रहते किसी डॉक्टर के पास जाएं।

यदि गर्भावस्था की अवधि नौ सप्ताह से अधिक हो गई है (और अभी भी 20 सप्ताह से कम है), तो आप सर्जिकल अबॉर्शन करा सकती हैं। इस बारे में यहां पढ़ें।

डॉक्टर के पास जाएं

प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद सबसे पहले डॉक्टर से परामर्श करें। यदि अनचाही प्रेगनेंसी है, तो डॉक्टर गर्भावस्था खत्म करने के लिए आपको कई विकल्प देंगे।

भारत में मेडिकल अबॉर्शन डॉक्टर की देखरेख में और उसके सलाह पर किया जाना चाहिए। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (एमटीपी) के अनुसार, क्लिनिक चलाने वाले केवल रजिस्टर्ड डॉक्टर ही गोलियों का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं, ताकि आपातकालीन स्थिति में महिला को तुरंत अस्पताल ले जाया जा सके। हालांकि यह कानून द्वारा प्रतिबंधित है फिर भी अधिकांश फार्मेसी पर ये दवाएँ (बिना डॉक्टर की पर्ची) के उपलब्ध हैं।

मेडिकल अबॉर्शन कराने से पहले अपने डॉक्टर से निम्न जरूरी चीजों पर स्पष्ट बात करना जरूरी है : 

  • यह जानना कि क्या महिला मेडिकल अबॉर्शन के लिए फिट है: मेडिकल अबॉर्शन से पहले डॉक्टर महिला का वजन, हीमोग्लोबिन, मौजूदा स्वास्थ्य समस्याएं और 10-15 अन्य चीजों की जांच करते हैं। इससे वे यह निर्धारित करते हैं कि मेडिकल अबॉर्शन करने पर महिला का शरीर सही तरीके से प्रतिक्रिया करेगा या नहीं और मौजूदा स्वास्थ्य समस्याएं और पहले से ली जाने वाली दवाएं,  मेडिकल अबॉर्शन में कोई बाधा तो नहीं डालेंगी।
     
  • सोनोग्राफी / अल्ट्रासाउंड: इससे यह पता लगाया जाता है कि गर्भावस्था कहीं एक्टोपिक प्रेगनेंसी तो नहीं है। गर्भाशय की बजाय भ्रूण जब  फैलोपियन ट्यूब, ओवरी या किसी अन्य प्रजनन अंग से जुड़कर विकसित होने लगता है, तो इसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहते हैं। अगर एक्टोपिक प्रेगनेंसी का मामला है और मेडिकल अबॉर्शन किया जाता है तो ऐसे में भ्रूण, फैलोपियन ट्यूब (यदि गर्भावस्था यहां विकसित हो रही हो) को क्षतिग्रस्त कर सकता है और पेट से जुड़ी गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। अगर महिला मेडिकल अबॉर्शन नहीं कराती है तो भी बिना इलाज के एक्टोपिक प्रेगनेंसी गर्भवती महिता के लिए खतरनाक और जानलेवा हो सकती है।

गर्भपात की प्रक्रिया

गर्भपात दो चरण में किया जाता है और इसके लिए दो दिनों के अंतराल पर दो गोलियों का सेवन करना पड़ता है। पहली गोली यह सुनिश्चित करती है कि निषेचित अंडा गर्भ में नहीं ठहरा है, और दूसरी गोली इसे बाहर धकेलती है। दूसरी गोली लेने के बाद अंडे को शरीर से बाहर निकलने में कई घंटे या दिन का समय लगता है।

पहली गोली मिफेप्रिस्टोन गर्भावस्था के हार्मोन को ब्लॉक करती है। जबकि दूसरी गोली मिसोप्रोस्टोल जिसे 48 घंटों के बाद लिया जाता है वो भ्रूण को बाहर निकालना शुरू करती है। पहली गोली क्लिनिक में या डॉक्टर से परामर्श के समय ही ले सकती हैं और दूसरी गोली आप सुरक्षित रूप से घर पर ले सकती हैं। इस बारे में यहां और पढ़ें।

दवा लेने के बाद आपको ब्लीडिंग, ऐंठन, दस्त, कमजोरी या दर्द महसूस हो सकता है। यह माहवारी में होने वाले तेज दर्द जैसा महसूस हो सकता है। अगर ब्लीडिंग और दर्द बहुत ज्यादा होने लगे तो आपको नजदीकी क्लिनिक या अस्पताल में जाना चाहिए।

अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें

मेडिकल अबॉर्शन की प्रक्रिया में एक दिन के अंतराल पर मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल का सेवन किया जाता है। मेडिकल अबॉर्शन के दौरान हर महिला का शरीर अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। इस स्टेज पर आपको निम्न चीजों के लिए डॉक्टर की सलाह की जरूरत पड़ सकती है : 

  • अधिक रक्तस्राव या दर्द: इसके लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाएं देते हैं। कुछ मामलों में संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स की भी आवश्यकता पड़ सकती है। केवल एक योग्य और सर्टिफाइड डॉक्टर ही लक्षणों का पता लगा सकता है और सुझाव दे सकता है।
     
  • डाइट और आराम: मेडिकल अबॉर्शन कराने वाली महिलाओं को डॉक्टर प्रोटीन और आयरन से भरपूर आहार लेने की सलाह देते हैं। मेडिकल अबॉर्शन के पहले दिन सेवन की जाने वाली दवाओं से ब्लीडिंग हो सकती है, इसलिए डॉक्टर आराम करने की सलाह भी दे सकते हैं।
     
  • मिसोप्रोस्टोल के रिएक्शन से लूज मोशन: इस दवा के कारण लूज मोशन हो सकता है। यदि डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद भी लूज मोशन कंट्रोल नहीं होता है तो हो सकता है की मेडिकल अबॉर्शन फेल हो गया हो या आंशिक रूप से ही सफल हुआ हो। ऐसी हालत में जरूरत पड़ने पर डॉक्टर मिसोप्रोस्टॉल को योनि में डालने वाली प्रक्रिया का विकल्प चुन सकते हैं।

प्रक्रिया को पूरा करने के लिए फॉलो अप

मिफेप्रिस्टोन की खुराक देने के 10-12 दिन बाद फॉलो अप किया जाता है। मेडिकल अबॉर्शन का यह अंतिम लेकिन जरूरी पहलू है। इस स्टेज पर निम्न जरूरी बातों का ध्यान रखें : 

  • सामान्य जांच: इस स्टेज पर डॉक्टर को सुनिश्चित करना चाहिए कि मेडिकल अबॉर्शन के कारण महिला को बुखार, संक्रमण या अन्य कोई समस्या तो नहीं है।
  • प्रजनन स्वास्थ्य: अल्ट्रासाउंड के जरिए डॉक्टर यह सुनिश्चित करेंगें कि गर्भपात पूरी तरह सफल रहा या नहीं और महिला का गर्भाशय, गर्भावस्था से पहले वाली स्थिति में वापस आ गया है या नहीं।

एंटी डी इंजेक्शन

यदि आरएच-निगेटिव ब्लड ग्रुप वाली महिला, आरएच-पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति से गर्भवती हुई है तो गर्भवती महिला को मेडिकल अबॉर्शन के बाद एंटी-डी इंजेक्शन ज़रूर दिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में गर्भधारण करने पर महिला की संतानें रीसस रोग (Rhesus disease) से प्रभावित न हों। यहाँ तक की सामान्य गर्भावस्था के मामले में भी एंटी-डी वैक्सीन दी जाती है अगर आरएच-निगेटिव ब्लड ग्रुप वाली महिला, किसी आरएच-पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति से गर्भवती हुई हो।

इस लेख में मेडिकल अबॉर्शन से जुड़ी सभी जानकारियाँ और सलाह डॉ. निम्मी रस्तोगी और डॉ. नूतन यादव द्वारा दी गई हैं

पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं। यह आर्टिकल पहली बार जुलाई 27, 2020  को पब्लिश हुआ था।  

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