यह सब सुनीता के भाई, आलोक की शादी के दौरान हुआ। घर रिश्तेदारों और दोस्तों से भरा हुआ थाI आलोक के कमरे की आख़री मिनट की सजावट और व्यवस्था के चक्कर में तान्या और रिया साथ में काम कर रहे थेI सुनीता बाहर की देखरेख में लगी थी कि अचानक उसे याद आया कि अलोक की अलमारी खुली रह गयी हैI जब वो भागकर अलोक के कमरे में पहुँची तो उसके पैरो तले ज़मीन निकल गयीI तान्या और रिया एक दूसरे की बाहों में थे और एक दूसरे को चूमने में इस कदर मग्न थे कि उन्हें यह ख्याल ही नहीं था कि सुनीता उन्हें फ़टी हुई आँखों से देख रही थीI
झटका
जब तक तान्या और रिया को सँभलने का मौक़ा मिलता, सुनीता कमरे से बाहर निकल गई थीI मुझे समझ ही नहीं आया कि यह क्या हुआ 'सबसे पहले मैं सदमे में थी और उसके बाद मैं निराशा से ग्रस्त हो गयी।' 'मेरे हाथ पाओं फूल रहे थेI एक तरफ़ थी मेरी सबसे अच्छी दोस्त जिसका शायद मुझे हर स्थिति में साथ देना चाहिए लेकिन क्या तब भी जब वो एक महिला को चूम रही हो? और खासकर तब जब वो दूसरी महिला मेरी खुद की बहन होI मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यह सब मेरी आँखों के सामने हुआ थाI मेरा पहला ख्याल था कि 'लोग क्या कहेंगे?'
उधर तान्या और रिया भी घबराये हुए और परेशान थेI उन्हें लगा कि अच्छा यही होगा कि बिना कोई स्पष्टीकरण दिए उन्हें सुनीता को इस झटके से उबरने का समय देना चाहिए और उसकी प्रतिक्रया का इंतज़ार करना चाहिएI
रिया ने मुझे बतया कि हमेशा मुखौटा पहनकर और छुपकर जीना बेहद मुश्किल था
उस रात सुनीता ठीक से सो नहीं सकीI उसके लिए यह विश्वास करना कठिन था कि उसके दो सबसे करीबी लोग ना सिर्फ़ समलैंगिक थे बल्कि एक दूसरे के साथ रिश्ते में भी थेI जब उससे रुका नहीं गया तो वो रिया के कमरे में गयी और उसे भी जागते हुए पायाI बंद कमरे की चारदीवारी में बात करना मुश्किल था, शायद इसीलिए उन दोनों ने सैर पर जाने का फैसला लियाI
सुनीता ने जाना कि रिया और तान्या को एक दूसरे के साथ कुछ महीने हो चुके थेI वे दोनों पिछले साल सुनीता के जन्मदिन पर पहली बार मिले थेI निस्संदेह, इस बारे में परिवार में और किसी को कुछ नहीं पता थाI
'रिया ने मुझे बताया कि उसमे इतना साहस नहीं था कि वो अपने माँ-बाप को इस बारे में पता सके और ऐसे छुपछुप के जीना बेहद घुटन भरा थाI वे लोग तान्या के घर पर तब मिलते थे जब उसके माता-पिता अपने अपने काम पर चले जाते थे। '
छुपना मना है
अगली शाम, सुनीता ने अपनी दोस्त तान्या के साथ भी दिल खोल कर बातचीत कीI पता चला कि सुनीता की स्थिति के बारे में जानकर वो और भी परेशान हो गयी थी। सुनीता उसके कुछ अच्छे दोस्तों में से थी और वो उसके साथ अपना रिश्ता खराब नहीं करना चाहती थीI उसे पता था कि सुनीता समलैंगिकता को अस्वीकार करती थी और इसलिए उसने अपनी जिंदगी के इस पहलु को उससे छुपा कर रखा थाI लेकिन शायद अब यह राज़ और नहीं छुप सकता थाI
'मुझे एहसास हुआ कि तान्या और रिया दोनों की ही परेशानी एक जैसी थी'I 'वे सामाजिक कलंक से डरते हुए और मुखौटा पहन कर एक दोहरी ज़िंदगी जीते-जीते थक गए थेI उन्हें लगता था कि उनकी यह बात उनके सबसे करीबी लोग, यहाँ तक कि उनके माता-पिता और दोस्त भी नहीं समझ पाएंगेI
स्वीकृति
अपनी दोस्त और रिया से बात करने के बाद सुनीता को समलैंगिकता के प्रति उसके खुद के दृष्टिकोण पर कुछ प्रश्नचिन्ह नज़र आने लगे थेI उसने हमेशा यही समझा था कि समलैंगिकता एक तरह का विकार है या एक बेहद बुरा विकल्प है जिसे ना जाने लोग क्यों चुनते हैंI उसने हमेशा समलैंगिकता से मुंह मोड़ा था लेकिन आज अचानक से यह मुद्दा उसके सामने मुंह बाएं खड़ा था, जैसे पूछ रहा हो, "अब क्या करोगी सुनीता?"I वो समझ चुकी थी कि वास्तव में उसे बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था कि समलैंगिक होना क्या होता हैI
'मैंने समलैंगिक संबंधों पर कुछ बुनियादी जानकारी पढ़नी शुरू कीI मैंने पढ़ा कि कुछ लोग एक निश्चित लैंगिक अभिविन्यास के साथ ही पैदा होते हैं। मुझे एहसास हुआ कि यह असामान्य नहीं है और निश्चित रूप से कोई बीमारी नहीं है जिसे आप ठीक कर सकते हैं, तो फ़िर यह गलत कैसे हो सकता है? और अब, पहली बार, मैं यह महसूस कर सकती था कि तान्या और रिया, जो मेरे दिल के इतने करीब हैं, उन जैसे लोगों के लिए जीवन कितना मुश्किल हो सकता हैI
सुनीता का कहना है 'मुझे नहीं लगता कि मैं अभी भी पूरी तरह से तान्या और रिया के रिश्ते को समझ पायी हूँI लेकिन मैं निश्चित रूप से अब उनकी भावनाओं को पहले से अधिक समझती हूँI और सबसे अच्छी बात यह है कि अब हमारी दोस्ती पहले के मुक़ाबले कहीं अधिक मज़बूत हैI'
गोपनीयता बनाये रखने के लिए कहानी में लोगों के नाम बदल दिए गए हैंI
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