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हम फेसबुक पर मिले और प्यार हो गया...

Submitted by Joanna Lobo on गुरु, 01/29/2015 - 10:52 पूर्वान्ह
माया और उसका बॉयफ्रेंड 2 साल पहले फेसबुक पर मिले थे। शुरुवात में उसे विश्वास नहीं था कि लंबी दूरी का ये रिश्ता ज़्यादा दिन चल पायेगा। जानिए कि कैसे स्काइप, व्हाट्सअप और फेसबुक ने उन्हें बंधन में बांधे रखा!

माया ब्रगंज़ा (परिवर्तित नाम) अंग्रेज़ी की टीचर हैं।

हमने दूरियों के बावजूद रिश्ते को निभाया। हमारी मुलाकातें स्काइप पर हुईं, और एक दुसरे की 'फेसबुक वाल' पर हम कुछ् न कुछ लिखते रहे, जैसे कभी किसी गाने की लिंक। क्योंकि हमारी पसंद मिलती थी तो जो मुझे अच्छा लगता था मैं उसके साथ फेसबुक पर शेयर कर लेती थी।लड़ाइयां हम ईमेल पर कर लेते थे। और व्हाट्सअप और फोन तो है ही। हमें रिश्ते की डोर में बांधे रखा व्हाट्सअप, फ़ोन और फेसबुक ने। इनके बिना हमारा रिश्ता आगे ही नहीं बढ़ पाता। रिश्तों में दूरियाँ एक बहुत बड़ा मुद्दा हैI

'जब वी मेट'

हमारी मुलाकात फेसबुक पर हुई, हाँ सुनने में अजीब लगता है लेकिन यही सच है। एक साझा दोस्त के स्टेटस पर कमेंट के दौरान हमारी बातचीत शुरू हुई। कई मेसेज का आदान प्रदान हुआ और आखिर में मेरी दोस्त ने कहा कि यहाँ बातें करने की बजाय तुम दोनों एक दुसरे को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दो! हमने फेसबुक और जीटॉक पर काफी समय चैटिंग करते गुज़ारा।

उस समय मैं मुम्बई में रहती थी और वो दिल्ली में नौकरी कर रहा था। चैटिंग शुरू होने के करीब 5 महीने बाद हम पहली बार सचमुच मिले।मैं अक्सर नए लोगों के साथ मिलते हुए अटपटा महसूस करती हूँ लेकिन उसके साथ मेरी मुलाकात बिलकुल सहज थी।

वो बहुत सरल और चंचल सा था। किताबों की दूकान में वो बच्चों की तरह उत्साहित हो गया था।किताबों का शौक मुझे भी था और शायद इसलिए हमारी पहली मुलाकात एक बड़े बुकस्टोर में ही हुई। हमने कॉफी की चुस्कियों के साथ कई घंटे एक साथ गुज़ारे।

दोस्ती से प्यार का सफ़र

इसके बाद हम थोड़े अंतराल पर मिलते रहे। साथ में फिल्में देखीं, लंच डिनर इत्यादि। और फिर वो दिन आया जब मुझे ट्रेनिंग के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा। मैं जाते हुए उदास थी क्योंकि मैं मन ही मन उसे चाहने लगी थी। मुझे लगता था कि वो शायद किसी और से प्यार करता है।

लेकिन फ़ोन पर बात करते हुए उसने ये बात साफ़ कर दी कि उसकी ज़िन्दगी में कोई और नहीं है।और आखिर एक दुसरे को जानने के डेढ़ साल बाद आखिर उसने अपने प्यार का इज़हार किया।

लंबी दूरियों के रिश्ते निभाना अक्सर मुश्किल होता है और हमें भी भरोसा नहीं था कि हम इसे निभा पाएंगे। लेकिन फिर भी 2 महीने बाद मैंने उसे हाँ कह दिया। उसके तुरंत बाद वो छुट्टियों पर ऐसी जगह चला गया जहाँ फोन का नेटवर्क कमज़ोर था और हम एक हफ्ते तक एक दूसरे से बात नहीं कर पाये।लेकिन हम ने किसी तरह ये समय गुज़ार लिया और अब हमें साथ में 2 साल हो चुके हैं।

पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।

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