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‘खाना, बर्तन, झाड़ू, ऑफिस…मैं थक चुकी थी’
35 वर्षीय वाणी, एक एस ई ओ विशेषज्ञ हैं और पुणे में काम करती हैं।
वाट्सऐप मैसेज
आज घर पर कोरोना वायरस लॉकडाउन का दूसरा दिन था। कई दिनों से हमारी कामवाली शांति मौसी काम करने नहीं आयी थी। दो बच्चों और मम्मी-पापा के साथ ही ऑफिस का काम संभालना मेरे लिए काफ़ी मुश्किल हो रहा था। ब्रेकफास्ट, डिनर, ऑनलाइन मीटिंग, डेडलाइंस, सब कुछ एक ही साथ देखना था।
इसका नतीजा यह हुआ कि काम के दबाव के चलते मुंझे अधिक स्ट्रेस होने लगा। इन दिनों घर और ऑफिस का काम करने के बाद फिर रात को बर्तन धोने के बाद ही मुझे बिस्तर पर लेटने का मौका मिल पाता था। मैं सिर्फ़ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रुप से भी बहुत ज्यादा थक जाती थी। घर संभालना सिर्फ़ महिलाओं की ही ज़िम्मेदारी क्यों मानी जाती है?
रात के 11 बज चुके थे और करन अभी भी अपने लैपटॉप पर काम कर रहे थे। आजकल वह भी घर से ही ऑफिस का काम कर रहे थे। बच्चे लिविंग रुम में टीवी पर खतरों के खिलाड़ी देख रहे थे।
फुरसत मिलते ही मैंने व्हाट्सएप पर अपनी सोसाइटी वाला लेडीज ग्रुप खोलकर देखा कि बाकी महिलाएं लॉकडाउन के दौरान क्या कर रही हैं। वहां एक महिला बता रही थी कि उसके दो बेटे हैं और वह उनसे घर की साफ़-सफ़ाई और बर्तन धोने में हाथ बटाने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है। मैं उसकी परेशानी समझ सकती थी। मर्द और काम! ना!
फिर मेरी एक ख़ास दोस्त जिसकी दो बेटियां हैं, उसने लिखा कि लड़कियों से भी घर के काम करवाना उतना ही मुश्किल है। लेकिन हमें ऐसे समय में लड़के या लड़कियों दोनों को घर के कामों में ज़रूर लगाना चाहिए।
'आइए बच्चों को समझाएं कि उन्हें घर का काम कैसे करना है और यह भी बताएं कि घर का काम करना लड़के और लड़कियां दोनों की बराबर ज़िम्मेदारी है। बड़े होते बच्चों को सिखाने का यही एक तरीका है और शायद इसी तरीके से समाज में बदलाव लाया जा सकता है।'
उसकी बात मुझे बहुत अच्छी लगी
मैं अपनी बेटी को कभी-कभी किचन के काम में हाथ बटाने के लिए कह दिया करती थी लेकिन बेटे को कभी नहीं कहा था जबकि वह उससे बड़ा था। मैंने तुरंत यह मैसेज करन और अपनी सासू मां को फॉरवर्ड किया। कुछ मिनट बाद करन ने थंब्स अप और स्माइली इमोजी भेजा।
पतियों के बारे में क्या ख़याल है?
इससे पहले कि मैं इस लिस्ट में पतियों को शामिल करती, किसी ने मेरे मन की बात लिख दी, पतियों के बारे में क्या ख्याल है? इसके साथ ही उसने आंख मारने वाली स्माइली इमोजी भी लगाया था।
उसी वाट्सऐप ग्रुप की एक महिला ने आगे लिखा कि, ‘मेरे पति ने कहा है वह सब्जियां काटने में मेरी मदद करेंगे। वो डाइनिंग टेबल पर बैठ गए और मुझे सब्जियां धोकर लाने के लिए कहा, इसके बाद चाकू, कटिंग बोर्ड और सब्जी रखने के लिए बर्तन मांगने लगे। मैंने सोचा कि सब कुछ ले जाकर देने से बेहतर है कि मैं ख़ुद ही काट लूं। इसलिए मैंने उन्हें सब्जियां काटने की बज़ाय साफ़-सफ़ाई और दूसरे कामों में लगा दिया।’
ग्रुप की दूसरी महिला ने कहा, 'हमने अपने घर के काम पति, पत्नी और बच्चों के बीच बांट दिया है। हर कोई अपना काम कर रहा है। बच्चों को समझाना थोड़ा मुश्किल ज़रूर है लेकिन मुझे उम्मीद है कि वे जल्दी ही मान जाएंगे और घर के काम में हाथ बटाएंगे।'
एक अन्य महिला ने बताया कि मेरे घर में आजकल मेरे पति चाय बना रहे हैं और कुछ बर्तन भी साफ़ कर देते हैं।
मुझे लगा जैसे मैं नींद से जाग गयी। मैंने करन को ये सारे मैसेज फॉरवर्ड किए और उनसे पूछा कि उनका क्या ख़याल है? वो पास आए और मुझे गले से लगा लिया।
जो कोई ना कर पाया
करन ने कहा, 'सॉरी...मैं थोड़ा सेल्फिश हो गया था और अभी तक घर के कामों में तुम्हारा हाथ नहीं बंटा सका। लेकिन कल से मैं घर की साफ़-सफ़ाई और बर्तन धोने में तुम्हारी पक्का मदद करुंगा। वीकेंड पर तुम मुझे खाना बनाना सीखाना और शाम को मैं मैगी और अंडा तो बना के दे ही सकता हूं।'
'सुबह देखते हैं! कल पता चलेगा,' मैंने बेबाकी से जवाब दिया। मुझे पता था कि वह सुबह सब भूल जाएंगे। मैं इतना थक गई थी कि अब बस मैं सोना चाहती थी।
अगली सुबह जब मैं उठी तो बाहर से कुछ आवाजें आ रही थीं। मैंने सोचा, बच्चे शायद जग गए होंगे। और देखा तो सच में बच्चे जग गए थे और वे करन के साथ हमारे कमरे में आ रहे थे। उन्होंने सुबह सभी के लिए बटर-जैम टोस्ट और चाय बनाया था। मैं जानती थी कि यह सिर्फ़ शुरूआत है लेकिन मैं ख़ुश थी कि हम सभी ने एक शुरूआत की।
करन बर्तन धो रहा था और डैड उन्हें रैक पर रख रहे थे। मेरी सासू मां ने ससुर की तरफ देखते हुए कहा, ‘जो कोई ना कर पाया, वो कोरोना ने कर दिया।
हम सभी ने एक साथ नाश्ता किया और नए नियम बनाए। करन को बर्तन और घर की सफ़ाई में मदद करनी थी। बेटे को खाना पकाने में जबकि बेटी को डस्टिंग और खाना परोसने में हाथ बंटाना था।
मम्मी-पापा को ज़रूरत पड़ने पर हमारी हेल्प करना था लेकिन वैसे भी हम उन्हें ज़्यादा कुछ करने नहीं देते थे। हर किसी का काम 2 या 3 दिनों बाद बदलना था ताकि कोई बोर ना हो। हम सभी ने प्रॉमिस किया कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी हम ऐसे ही घर के कामों में एक दूसरे की मदद करेंगे।
मैंने भी पूरे गर्व से वाट्सऐप के लेडीज ग्रुप में घर के कामों में हाथ बटाते हुए अपने घर के लोगों की फोटो शेयर की। मुझे प्रेरणा देने के लिए मैंने सभी महिलाओं का धन्यवाद भी किया। बराबरी की दुनिया की उम्मीदफिर के साथ।
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।
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