आमतौर पर पुरुष अपने लिंग की साइज को बहुत अधिक महत्व देते हैं। वे लिंग की लंबाई को अपनी मर्दानगी का सबूत मानते हैं। लिंग की साइज और सेक्सुअल परफॉर्मेंस के बीच कोई संबंध नहीं होने के बावजूद कुछ लोग अपने औसत से छोटे लिंग के कारण बहुत चिंतित रहते हैं। इस संदर्भ में अक्सर लोग माइक्रोपेनिस शब्द का इस्तेमाल करते हैं जबकि वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो यह गलत है।
एक वयस्क पुरुष के उत्तेजित लिंग की औसतन साइज 5.17 इंच होती है। लगभग 90% पुरुषों के लिंग का आकार इस औसत माप की एक-इंच के दायरे में आता है। दूसरी ओर, माइक्रोपेनिस वास्तविक लेकिन दुर्लभ मेडिकल कंडीशन हैं जिसमें लिंग का आकार बहुत ही छोटा होता है। इसका मतलब है कि यदि आप एक वयस्क पुरुष हैं और आपके लिंग की साइज 4.15 इंच है, तो आपकी शारीरिक संरचना में कुछ भी गलत नहीं है।
तो, वास्तव में माइक्रो पेनिस क्या है, इसका क्या कारण है, और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है? आइए जानते हैं:
माइक्रोपेनिस क्या है?
चिकित्सीय भाषा में इसे समझें तो, एक ख़ास आयु वर्ग और यौनिक विकास के लेवल पर उत्तेजित या खिंचें हुए लिंग की लंबाई उस आयु वर्ग के हिसाब से निर्धारित औसत लंबाई से ‘2.5 यूनिट छोटी (2.5 standard deviations) है तो उसे माइक्रोपेनिस कहा जाता है। माइक्रोपेनिस की एक और पहचान है कि इसके साथ में और कोई दिक्कत या कमी नहीं होती है। जैसे कि इस समस्या से प्रभावित व्यक्ति के अंडकोष के साथ ही आंतरिक जननांग सामान्य होते हैं और पूरी तरह काम करते हैं।
उदाहरण के लिए, नवजात शिशु के मामले में लिंग की औसत लंबाई 1.25 इंच होती है। इसलिए, नवजात शिशु में 0.98 इंच या उससे कम लंबाई वाले लिंग को माइक्रोपेनिस माना जा सकता है। इसी तरह, वयस्क पुरुषों में लिंग का औसत आकार 5.17 इंच होता है और अगर लिंग की लंबाई 3.66 इंच या उससे कम है तो इसे माइक्रोपेनिस कहा जाएगा।
यह बहुत ही रेयर समस्या है और आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में केवल 0.6 प्रतिशत पुरुष ही इससे प्रभावित हैं।
माइक्रोपेनिस बनाम अंदर घुसा हुआ (बरीड) पेनिस
वैसे देखा जाए तो लिंग का बहुत छोटा आकार, माइक्रोपेनिस की मुख्य पहचान है लेकिन बिना मेडिकल जांच किए बिना इसमें और अंदर घुसा हुआ (बरीड) पेनिस में अंतर करना काफी मुश्किल है। हालांकि बरीड पेनिस के मामले में लिंग का साइज़ तो सामान्य होता है लेकिन यह अंडकोश, जांघ या पेट की त्वचा की परतों के नीचे सिकुड़ा हुआ होता है।
यह समस्या जन्म संबंधी असामान्यताओं के साथ-साथ जीवन में बाद में विकसित समस्याओं के कारण हो सकती है। बरिड पेनिस के मामले में, पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है, जो इरेक्शन की क्षमता को और कम कर सकता है।
माइक्रोपेनिस वाले पुरुषों में आमतौर पर ऐसी कोई समस्या नहीं होती है।
माइक्रोपेनिस का कारण क्या है?
माइक्रोपेनिस के कारण अलग-अलग होते हैं। इनमें से, हार्मोनल समस्या सबसे आम हैं। भ्रूण से जुड़े टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी प्रजनन अंगों के विकास में बाधा डाल सकती है। इस कमी के पीछे सबसे बड़ी समस्या को हाइपोगोनडो ट्रोपिक हाइपोगोनाडिज्म कहा जाता है, जहां हाइपोथैलेमस (पिट्यूटरी और ऑटोनॉमस नर्वस सिस्टम को नियंत्रित करने वाला मस्तिष्क का हिस्सा) प्रजनन अंगों के विकास के लिए आवश्यक पर्याप्त टेस्टोस्टेरोन को स्रावित नहीं कर पाता है।
प्रैडर-विली सिंड्रोम (Prader-Willi syndrome) एक आनुवांशिक समस्या है जिससे मसल टोन कम हो जाती है, यौन विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है और और भूख की क्रोनिक बीमारी हो जाती है। यह माइक्रोपेनिस का एक मुख्य कारण है। इसके अलावा कल्मन सिंड्रोम, हाइपोगोनडो ट्रोपिक हाइपोगोनाडिज्म का एक प्रकार है, इसकी पहचान किशोरावस्था में देरी या किशोरावस्था ना होना है।
इसी तरह, लारेंस-मून सिंड्रोम (Laurence-Moon syndrome), एक आनुवांशिक समस्या है जो मस्तिष्क, आंख, कान, पेट, किडनी और प्रजनन अंगों को प्रभावित करने वाली समस्याएं पैदा कर सकती है। यह भ्रूण में लिंग के विकास में भी बाधा डाल सकती है।
इसके अलावा, गुणसूत्र संबंधी असामान्यताएं, साथ ही जन्म के बाद ग्रोथ हार्मोन की कमी, असामान्य रूप से छोटे लिंग के आकार का कारण हो सकती है। कुछ दुर्लभ मामलों में, गर्भवती माता के टॉक्सिक केमिकल्स या कीटनाशकों के संपर्क में आने की वजह से लिंग का विकास प्रभावित हो सकता है।
माइक्रोपेनिस आपके जीवन को कैसे प्रभावित करता है?
अधिकांश मामलों में, माइक्रोपेनिस का व्यक्ति के यौन क्षमता पर कोई असर नहीं होता है। इस समस्या से पीड़ित लोग हस्तमैथुन, संभोग और सामान्य रूप से पेशाब कर सकते हैं। हालांकि, रुढ़िवादी विचारों वाले लोगों का मानना है कि छोटे लिंग वाले पुरूष सेक्स के दौरान अपने पार्टनर को खुश नहीं कर पाते हैं। इन सब बातों की वजह से इस समस्या से पीड़ित पुरुष चिंतित और हतोत्साहित रहते हैं।
ये मनोवैज्ञानिक बाधाएं, यौन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे मामलों में, सेक्स थेरेपी या काउंसलिंग आपको एक स्वस्थ यौन जीवन जीने में मददगार साबित हो सकती है।
माइक्रोपेनिस का इलाज कैसे किया जाता है?
ज्यादातर मामलों में, इस समस्या का निदान और इलाज बचपन में किया जाता है। हालांकि, चाहे बचपन में भले ही इस समस्या का निदान या इलाज न हुआ हो, तब भी माइक्रोपेनिस को वयस्क पुरुषों में भी ठीक किया जा सकता है। यह सलाह अक्सर उन मामलों में दी जाती है जब छोटे लिंग होने का मनोवैज्ञानिक प्रभाव किसी व्यक्ति के आत्म-सम्मान या मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, या स्वस्थ यौन जीवन जीने की क्षमता में बाधा डालते हैं। इसके लिए, दो तरह के मेडिकल कोर्स उपलब्ध हैं:
हार्मोन थेरेपी: डॉक्टर आपके लिंग के आकार को बढ़ाने के लिए टेस्टोस्टेरोन इलाज शुरु कर सकते हैं, जिसमें इंट्रामस्क्युलर टेस्टोस्टेरोन इंजेक्शन दिए जाते हैं। शिशुओं में लिंग के आकार को बढ़ाने के लिए टेस्टोस्टेरोन क्रीम जननांगों पर लगाया जाता है।
सर्जरी: यदि हार्मोन इलाज से बेहतर रिजल्ट नहीं मिलता है, तो सर्जरी का सहारा लिया जाता है। इसमें प्रत्यारोपण के जरिए लिंग की साइज को बढ़ाया जाता है। हालांकि, सर्जरी से काफी बड़ा जोखिम हो सकता है।
यदि आप इलाज नहीं चाहते हैं तो क्या करें?
यदि आप वयस्क हैं और आपका लिंग छोटा है और आपको चिकित्सा समस्या या शारीरिक समस्या नहीं है, तो इलाज कराना या न कराना पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है। याद रखें, आपके लिंग के आकार का आपके पार्टनर को यौन रूप से संतुष्ट करने की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है।
यदि आप विषमलैंगिक पुरुष हैं, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सिर्फ़ 18.4 प्रतिशत महिलाएं ही सेक्स के दौरान लिंग डालने के कारण ऑर्गेज्म का अनुभव करती हैं। वहीँ मुंह या हाथ से उत्तेजित करने जैसी अन्य तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करने और अपने यौन संबंधों के बारे में आश्वस्त होने से आपको अपने लिंग के आकार के बारे में चिंता किए बिना एक सकारात्मक और स्वस्थ सेक्स जीवन जीने में मदद मिल सकती है।
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आरुषि चौधरी एक फ्रीलैंस पत्रकार और लेखिका हैं, जिन्हें पुणे मिरर और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे प्रिंट प्रकाशनों में 5 साल का अनुभव है, और उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रिंट प्रकाशनों के लिए लगभग एक दशक का लेखन किया है - द ट्रिब्यून, बीआर इंटरनेशनल पत्रिका, मेक माय ट्रिप , किलर फीचर्स, द मनी टाइम्स, और होम रिव्यू, कुछ नाम हैं। इतने सालों में उन्होंने जिन चीजों के बारे में लिखा है, उनमें से मनोविज्ञान के प्रिज्म के माध्यम से प्यार और रिश्तों की खोज करना उन्हें सबसे ज्यादा उत्साहित करता है। लेखन उनका पहला है। आप आरुषि को यहां ट्विटर पर पा सकते हैं।