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ऐसे मिली मुझे अपनी क्लिटोरिस
प्रीति दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा है और विकलांग हैं।
वो पहला स्पर्श
पिछले साल की बात होगी जब मेरे प्रेमी ने मेरे साथ संबंध बनाने की कोशिश की। यह एक बहुत ही संक्षिप्त मुलाकात थी, जिसका विवरण मुझे स्पष्ट रूप से याद है। उसने मेरे होठों पर जोर से चूमने के बाद मेरे स्तनों और मेरे पेट को छुआ।
मुझे इतनी सारी संवेदनाएँ थीं जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं की थीं। हालाँकि हमने बस कुछ मिनटों के लिए एक दुसरे को छूआ और वह चला गया। लेकिन उसके जाने के बाद मुझे भी खुद को छूने की इच्छा अचानक महसूस हुई!
इस घटना के बाद ही मैंने खुद को यौन रूप से खोजने के लिए अपनी यात्रा शुरू की।
अच्छी लड़कियाँ ऐसा नहीं करती?
मैं हमेशा सोचती थी कि अपने शरीर को छूना शर्म की बात है। मुझे लगता था यह काम अच्छी लड़कियाँ नहीं करती। मुझे लगा जैसे मैं कोई बुरा काम कर रही हूं, लेकिन कहीं न कहीं मुझे अपने शरीर के साथ सेक्सुअली खेलने की ज़रुरत भी महसूस हुई।
मुझे वाकई शर्म आ रही थी। मैंने सोचा कि मुझे इंटरनेट पर इस बारें में पढ़ना चाहिए। गूगल पर मुझे कामुक और अश्लील दोनों तरह के रिजल्ट्स मिले।लेकिन जब मैंने अपनी खोज को सीमित किया कि कैसे खुद को आनंदित किया जाए/प्लेजर दिया जाता है, तो मुझे क्लिटोरिस पर या फिर 'मैजिक लव बटन' के बारे में एक लेख मिला। मैंने जाना कि यही शरीर का हिस्सा है जो महिलाओं को खुशी देता है।
आख़िर मिल ही गया क्लिटोरिस
उस रात मैंने अपनी उंगलियों से खुद को छुआ और और उँगलियाँ जहाँ तक अंदर जा सकती थीं वहां तक अंदर डालने की कोशिश की। कई बार ट्राय करने के बाद आखिरकार मेरी उंगलियों ने क्लिटोरिस को खोज ही लिया और तब से मेरी अपनी यात्रा की शुरुआत हुई। मैंने पूरे शरीर में तरह-तरह की संवेदनाओं को महसूस किया। मैंने पहले कभी ऐसा एहसास महसूस ही नहीं किया था, मैं उत्तेजित होने लगी। मेरी विकलांगता ने मेरे पूरे शरीर की मांसपेशियों को टाइट कर दिया था। उनमें भी हलक-हल्का दर्द होने लगा लेकिन यह मीठा दर्द मुझे अच्छा लग रहा था और मैं नहीं चाहती थी कि यह खत्म हो।
प्लेज़र पाने का गिल्ट
जब मैंने पहली बार इस आनंद को महसूस किया, तो मैं गिल्ट महसूस करने लगी। मैंने ख़ुद से सवाल किया कि क्या ख़ुद को इस तरह उत्तेजित करना और प्लेज़र हासिल करना सही है? एक विकलांग महिला होने के नाते, हमें अक्सर बताया जाता है कि हम जीवन में कुछ चीजें करने में सक्षम नहीं हैं। सेक्स करना या सेक्सुअल प्लेज़र महसूस करना भी उन्हीं में से एक है। यह प्लेज़र मुझे अच्छा तो लगता था लेकिन इससे जुड़ा गिल्ट लंबे समय तक मेरे ऊपर हावी रहा । मुझे नहीं पता था कि मैं अपने इस गिल्ट से कैसे छुटकारा पाऊं।
अपने प्लेज़र के बारे में बात करना
मेरी एक दोस्त है, जिससे मैं कोई भी बात डिस्कस कर सकती हूँ। मैंने उससे सेक्सुअलिटी और प्लेज़र पर घंटों बात की और यह भी बताया कि इस प्लेज़र को लेकर मुझे बहुत गिल्ट फील होता है। उसने मुझसे कहा कि हम महिलाएं, पुरुषों के लिए हमेशा प्लेज़र का माध्यम रहीं हैं। लेकिन हमारे खुद के प्लेज़र पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं रहा है। और एक महिला के रूप में, मैं अब अपने शरीर पर नियंत्रण हासिल कर रही हूं।
उसकी बात मुझे अच्छी लगी और एक साल तक खुद की खोज के बाद अब जाके मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ जीने लगी हूँ।अब मैं ख़ुश भी हूँ और संतुष्ट भी साथ ही मैं ख़ुद से और अपने पूरे शरीर से बेहद प्यार करती हूँ।
तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।नाम बदल दिए गए हैं।
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