ऐसा लगा जैसे मैं कोई अपराधी हूँ
जब मैं उस स्टील से बनी ऑपरेटिंग टेबल पर लेटी तो मेरे शरीर पर केवल एक पतला सा गाउन था जो मुझे हॉस्पिटल से मिला थाI मैं काँप रही थी और दांत किटकिटा रहे थेI शायद वातावरण में ठण्ड की वजह से, या फ़िर शायद इन अजीब से हालातों की वजह सेI ठंड की वजह से दिमाग सुन्न हो गया था लेकिन फ़िर भी मन में सवाल सरपट दौड़ रहे थेI ना तो मुझे समझ आ रहा था और ना ही मैं विश्वास कर पा रही थी कि मैं यहाँ तक कैसे पहुँची? मैं इस दर्द से अकेले क्यों झूझ रही हूँ? डॉक्टर ने मुझे देखकर यह क्यों कहा 'यही कारण है कि शादी से पहले यह सब नहीं करना चाहिए। अब शादी तक कोई शारीरिक सम्बन्ध नहीं, समझे? मैं स्वीकृति में गर्दन हिलाने के अलावा कुछ और ना कर सकीI
वो सिर्फ़ मुझे देखकर ही यह सब क्यों बोल रहा थाI सुनील भी तो वहीँ था और इसके लिए उतना ही ज़िम्मेदार था जितना कि मैंI हां, गर्भपात मेरा निर्णय था, लेकिन वो भी तो यही चाहता था!
हंसती खेलती ज़िंदगी में भूचाल
कुछ हफ्ते पहले हम दोनों बेहद खुश थेI हम दिल्ली में एक साथ रह रहे थे और अपने-अपने काम में भी हमें बहुत मज़ा आ रहा थाI रुपये-पैसे की भी कोई दिक्कत नहीं थी और हम अक्सर छुट्टियां लेकर घूमने जाते थेI हम दो साल से साथ थे और हमने यह निर्णय भी ले लिया था कि इस बार दीवाली की छुट्टियों में अपने घरवालों को अपने रिश्ते के बारे में बता देंगेI मुझे लग रहा था कि किसी की ज़िंदगी में इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता कि तभी पता चला कि मैं गर्भवती हो गयी हूँI हमने कभी नहीं सोचा था एक क्षण की बेवकूफ़ी की वजह से मैं गर्भवती हो जाउंगी!
शुरुआती झटके से सँभलने के बाद, सुनील ने फैसला मुझ पर छोड़ दिया थाI उसका कहना था कि मेरा निर्णय जो भी हो, वो उसका पूरी तरह समर्थन करेगाI शुरुआत में तो सुनकर अच्छा लगा था लेकिन जल्द ही फैसले के दबाव की वजह से मुझे बेचैनी महसूस होने लगी थीI अभी-अभी तो मैं अपने पैरो पर खड़ी हुई थी और अपनी ज़िंदगी के फैसले लेने सीख ही रही थी कि मुझे यह फैसला लेने को बोल दिया गया था कि एक नन्ही सी जान इस दुनिया मैं आएगी या नहींI दूसरी ओर मैं कभी सर्दी ज़ुखाम के लिए भी अस्पताल या डॉक्टर के पास नहीं गयी थी और यहाँ हम एक 'ऑपरेशन' की बात कर रहे थे! इस सब के बीच सुनील की डरी-डरी और दबी हुई आवाज़ में यह कहना 'देख लो बेबी, यह तुम्हारा शरीर है और फैसला भी तुम्हे ही लेना है'। 'मैं जानती हूँ, लेकिन तुम भी तो इसके लिए जिम्मेदार हो!' मैंने चिल्ला कर कहा थाI
मैं बेहद डरी हुई थी और मुझे असुरक्षा और हताशा ने घेर लिया थाI मुझे पता था कि वो मेरे लिए बुरा महसूस कर रहा था लेकिन कम से कम उसके कहे शब्दों से यह बात नहीं प्रतीत हुई थीI
क्लिनिक चुनना
गर्भपात चिकित्सालयों की डरावनी कहानियां से मैं अवगत थी - संक्रमण, रक्तस्राव, इस प्रक्रिया में बच्चेदानी में छेद हो जाता है वगैरह-वगैरहI दो दिन पहले तक यह सभी बातें कितनी दूर लगती थी और अब यह मेरी वास्तविकता हो सकती थी! मुझे यह भी डर था कि इस सब की वजह से मेरा सुर सुनील का रिश्ता ना टूट जाएI
यह सब सोच-सोच कर मेरा दिमाग फटना शुरू हो गया थाI मुझे लगा वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना ही ठीक हैI मेरी एक दोस्त ने मुझे एक क्लिनिक के बारे में बताया था जहाँ पर सफाई, सुरक्षा और मरीज़ की गोपनीयता बनाये रखने के बारे में पूरा ध्यान रखा जाता थाI औरों की तुलना में वहां का खर्च दुगुना था लेकिन मैं किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती थीI हमें गुरूवार का समय मिला थाI हम नियुक्त समय से आधे घंटे पहले ही वहां पहुंच गए थे और वहां मौजूद युवा लड़कियों की संख्या देख कर आश्चर्यचकित थे। कुछ डरी हुई थी तो कुछ का आत्मविश्वास देखकर साफ़ था कि वे यहाँ पहली बार नहीं आयी हैंI सबसे ज़्यादा सांत्वना मुझे रिसेप्शन पर खड़े दो लड़को की मौजूदगी ने दी थीI बिलकुल ज़रूरी नहीं कि वो भी वहां किसी के एबॉर्शन के लिए आये थे लेकिन उनके वहां होने से मेरे इस विचार को और मज़बूती मिली थी कि शायद सुनील भी जिम्मेदार हैI
अवांछित सलाह
प्रक्रिया समाप्त होने के बाद जब अनेस्थीज़िया का असर ख़त्म हुआ तो मैं अभी धीरे-धीरे होश में ही आ रही थी कि नर्स की आवाज़ मेरे कानो में पड़ी 'अब पता चला कि बुरा काम करने का नतीज़ा भी बुरा ही होता है। सज़ा मिल गयी नाI अब इससे सबक लेना क्यूंकि अगर बार-बार ऐसा होगा तो आगे चलकर आपको बड़ी दिक्कत होगी'I मेरे अंदर ज्वालामुखी फ़टने ही वाला था कि सुनील ने तुरंत मेरा हाथ पकड़ा और नर्स और डॉक्टर को गुस्से में देखते हुए कहा, 'आपकी फ्री की सलाह का बेहद शुक्रिया लेकिन क्या अब आप थोड़ी काम की सलाह भी देंगे और हमें इस प्रक्रिया के बाद के दिशानिर्देशों के बारे में कुछ बताएँगे? चूंकि गर्भपात का निर्णय हम दोनों ने मिल कर लिया है तो यह भी बताइये कि मैं कैसे इसकी मदद कर सकता हूँ? 'उसकी बातें सुनकर ना सिर्फ़ मैं बेहतर महसूस कर रही थी बल्कि मुझे उस पर और हमारे रिश्ते पर बेहद गर्व भी महसूस हो रहा थाI
कोई स्थायी नुकसान नहीं
गर्भपात हुए आज तीन महीने हो चुके हैं और आज भी उस दिन की यादें मुझे उदास कर देती हैंI कई और अविवाहित महिलाओं की तरह मैंने भी गर्भपात से जुड़ी शर्म की भावनाओं को महसूस किया थाI मैं अपने आप को बेहद मज़बूत समझती हूँ और अगर मुझे अकेले भी इस अनुभव से गुज़रना पड़ता तो भी शायद मुझे कोई 'स्थायी' शारीरिक या मानसिक नुकसान' नहीं होताI लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं कि सुनील की वजह से इस सब का सामना करना मेरे लिए और भी आसान हो गया थाI कम से कम मेरे साथ कोई था जिसके साथ मैं अपना डर और असुरक्षा बाँट सकती थीI मैं अक्सर उन सभी लड़कियों के बारे में सोचती हूँ जिन्हे उस रोज़ मैंने क्लिनिक में देखा था और उम्मीद करती हूँ कि बहुत अच्छी नहीं तो कम से कम वे भी ठीक होंगी, जैसे मैं हूं।
तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है
28 सितम्बर को लव मैटर्स सुरक्षित और कानूनी गर्भपात के लिए विश्व दिवस मना रहा है और नंदिनी *(बदला हुआ नाम बदलकर) ने हमारे #ChoiceOverStigma ब्लोगाथन के लिए अपनी गर्भपात की कहानी साझा की हैI
इस हफ्ते, हम उन भारतीय महिलाओं की कहानियों को अपने पाठकों के लिए लाये हैं जिन्होंने गर्भपात करवा कर अपने प्रजनन अधिकारों पर हक़ जतायाI
कल, हम बात करेंगे सुप्रिया के बारे में जिन्हें एक अपमानजनक रिश्ते में रहते हुए चार गर्भपातों से हुए गंभीर मानसिक आघात को झेलना पड़ाI
लव मैटर्स सुरक्षित, कानूनी और आसानी से उपलब्ध गर्भपात के लिए महिलाओं के अधिकार का समर्थन करता हैI।
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