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समलैंगिकों के व्यवहार और आदतों से जुड़े कुछ आम मिथक

द्वारा Harish P सितम्बर 11, 03:22 बजे
क्या किसी के कपड़े पहनने के ढंग या हाव-भाव से उसके समलैंगिक होने का पता चल सकता है? लव मैटर्स आज आपके सामने लाया है एल.जी.बी.टी. समुदाय से जुड़े 6 मिथकों के पीछे की सच्चाईI

समलैंगिक लोग एक खास तरीके के कपड़े पहनते हैं

ऐसा समझा जाता है कि समलैंगिक पुरुष चमक-दमक वाले भड़कीले वस्त्र पहनते हैंI लेकिन अभी तक ऐसा कोई भी सर्वे या शोध सामने नहीं आया है जिससे इस बात की पुष्टि होI समलैंगिक महिलाओं में भी लड़को की तरह चमड़े की जैकेट और जूते पहनने वाली महिलाओं को 'बुच' कहा जाता हैI इस के प्रत्युत्तर में लड़कियों की तरह कपड़े पहनने वाली समलैंगिक महिलाओं को 'फेम्मे' कहा जाता हैI इसी बात से पता चलता है कि विषमलिंगियों की तरह ही समलैंगिकों के कपड़े पहनने का ढंग भी विविधता से भरा होता है- उदहारण के तौर पर कई विषमलिंगी लडकियां लड़को की तरह कपड़े पहनना पसंद करती हैI उन्हें 'टॉमबॉय' कहा जाता है और इसका यह मतलब कटाई नहीं होता कि उन्हें लडकियां पसंद होती हैंI

 

समलैंगिक पुरुष तुतला कर बात करते हैं

कई अध्ययनों ने इस बात की पुष्टि की थी कि समलैंगिक पुरुष 'स' ध्वनि वाले शब्दों का उच्चारण एक ख़ास तरह से करते हैंI लेकिन हाल ही में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध से पता चला कि लैंगिकता और आवाज़ का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं हैI

 

समलैंगिक पुरुष स्त्री जैसे होते हैं और समलैंगिक महिलाएं पुरुष जैसी

जातिगत-भूमिकाओं, लिंग से जुड़े व्यवहारों और लैंगिकता में असमानता होती हैI पूर्व में की गयी शोध ने समलैंगिकता और विपरीत लिंग की भूमिकाएं अदा करने में एक सम्बन्ध तो दर्शाया है लेकिन इसके पीछे छिपे कारण को बताने में वो भी असमर्थ रही हैंI इसके अलावा लिंग से जुडी भूमिकाएं प्रासंगिक और अस्पष्ट हो सकती हैंI हो सकता है जो लक्षण इस समय और जगह 'मर्दाना' प्रतीत हो रहे हो वो किसी और जगह और वक़्त पर इसके बिलकुल उलट नज़र आएंI इस नज़र से देखा जाए तो इस तर्क से जुड़े सिद्धान्तों की बुनियाद ही कमज़ोर हैI

अगर आप उभयलिंगी हैं तो निस्संदेह आप पारलैंगिक या द्विलैंगिक हैं

उन लोगों को जिनमें पुरुष और स्त्री दोनों की (या किसी की भी नहीं) शारिरिक विशिष्टताएं होती हैं, उन्हें पारलैंगिक या द्विलैंगिक समझ लिया जाता हैI एल.जी.बी.टी. समुदाय से जुड़े मिथकों में शायद यह सबसे निराधार मिथक है क्योंकि उभयलिंगी होना आपकी पसंद पर निर्भर नहीं करता बल्कि आपके हार्मोन्स और जैविक पहलुओं पर करता है I

एक व्यक्ति के शरीर के अकार को देखकर उसकी लैंगिकता का पता चल सकता है

ऐसे कई शोध हुए हैं जिनमें देखने वालो ने कमनीय दिखने वाले पुरुषों और मर्दाना प्रतीत होने वाली महिलाओं को देखकर उनके समलैंगिक होने के बारे में बिलकुल सही अंदाज़ा लगाया थाI लेकिन अभी तक ऐसा कोई भी जैविक और मानविकीय शोध सामने नहीं आया है जिससे इन अंदाज़ों के पीछे छिपे स्पष्ट कारणों का पता चल सकेI तो यहाँ कहना सही होगा कि ना तो आपके शरीर का आकार और ना ही आपके बात करने और चलने के तरीके से आपकी लैंगिकता के बारे में कुछ भी पता चल सकता हैI

समलैंगिक पुरुष अपने शरीर की सुन्दरता को लेकर बहुत गंभीर होते हैं

ऐसा समझा जाता है कि समलैंगिक पुरुष अपने शरीर का बहुत ध्यान रखते हैं जैसे, शरीर के बालों का नियमित निवारण, फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल वगैरह वगैरहI एल.जी.बी.टी. समुदाय से जुड़े बाकी मिथकों की तरह इसके पीछे भी कोई वैज्ञानिक मान्यता नहीं है, बस एक मिथक ही हैI वैसे भी आजकल तो 'मेट्रोसेक्शुअल मैन' का ज़माना हैI यह उन पुरुषों को कहा जाता है जो विपरीतलिंगी होते हुए भी अपनी शरीर की देख-रेख पर खासा ध्यान देते हैंI

एल.जी.बी.टी. समुदाय से जुड़ी सबसे घिसीपिटी बात आपने क्या सुनी है? नीचे टिपण्णी करें या फेसबुक के ज़रिये हमें बताएंI अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो हमारे फोरम जस्ट पूछो का हिस्सा बनेI

लेखक के बारे में: मुंबई के हरीश पेडाप्रोलू एक लेखक और अकादमिक है। वह पिछले 6 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। वह शोध करने के साथ साथ, विगत 5 वर्षों से विश्वविद्यालय स्तर पर दर्शनशास्त्र भी पढ़ा रहे हैं। उनसे लिंक्डइन, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर संपर्क किया जा सकता है।

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