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मैंने खुद के लिए ख़रीदा गुलाब का फूल

दिन था वैलेंटाइन्स डे का और पायल ने राहुल को अपनी छत से देख लिया था। वह गुलाब का फूल खरीद रहा था। पायल झट से अंदर गयी और अपनी सब से बढ़िया ड्रेस पेहेन के उसका इंतज़ार करने लगी । क्या राहुल ने पायल के लिए ही वह लाल गुलाब खरीदा था? पायल ने लव मैटर्स इंडिया के साथ साझा की अपनी कहानी।

20 वर्षीय पायल दिल्ली में एक कॉलेज में पढ़ती हैं।

बच्चों की तरह लड़ा करते

राहुल से बात करने के बाद मेरा चेहरा खिल जाता था। रात में सोने से पहले बातें करना हमारा रोज़ का काम हो गया था। आज वो मुझे बता रहा था कि कैसे उसकी टीम आज का क्रिकेट मैच आख़री ओवर में जीतीI

मैं और राहुल एक साथ बड़े हुए थे, एक ही स्कूल में पढ़े थे और अब एक ही कॉलोनी में रहते हैं। हम बच्चों की तरह लड़ा करते और एक दूसरे को मारते भी थे। वह अक्सर मेरी पीठ पीछे मम्मी से मेरी शिकायत करता और मुझे समझ नहीं आता था कि वो ऐसा कैसे कर सकता थाI

मुझे वो दिन और वह पल आज़ भी याद है जब बचपन की यह नफ़रत प्यार में बदल गयी थी। दरअसल 10 वीं कक्षा में एक बार मेरी किसी से भयंकर लड़ाई हो गयी थीI उस दिन क्लास के सारे लोग उस लड़की के साथ थे और सिर्फ राहुल ही था जो मेरे लिए सबसे उलझ गया थाI उस दिन से मेरा उसे देखने का नज़रिया ही बदल गया थाI अब हम लड़ाई कम और गप्पे ज़्यादा मारने लगे थे। अब खेलने की बज़ाय हम घंटो साथ बैठकर पढ़ाई करते।

'तेरे जैसी कोई लड़की नहीं '

मेरे दोस्त अक्सर मुझे राहुल का नाम लेकर चिढ़ाते और मुझसे पूछते कि क्या मैं उससे प्यार करती हूं। मुझे प्यार बहुत भारी भरकम शब्द लगता था। इसलिए मैं हमेशा यही कह देती कि मुझे नहीं मालूम।

यूँ तो राहुल को रोज़ किसी न किसी लड़की से प्यार हो जाता था। कभी लाइब्रेरी में तो कभी खेल के मैदान में लेकिन कभी बात बन नहीं बन पायीI पूछने पर यही जवाब देता था कि उसमें इतनी हिम्मत ही नहीं कि किसी लड़की से अपने मन की बात कह सके।

वह हमेशा मुझे चिढ़ाता रहता कि अरे तेरे जैसी कोई लड़की नहीं हो सकती। उसकी बात सुनकर मैं मन ही मन ख़ुश हो जातीI सार्वजनिक जगहों पर मेरे साथ होने पर वो शरमाने लगता था।

हम दोनों एक दूसरे को बहुत अच्छे से जानते समझते थे - कम से कम मैं तो यही सोचती थी

गुलाब मेरे ही लिए

एक शाम उसने मुझे बताया कि एक क्रिकेट कोचिंग कोर्स के लिए उसका चयन हो गया है और उसे तीन महीने के लिए मुंबई जाना है। वह मुझे अलविदा कहकर मुंबई चला गया। लेकिन हम रोज़ाना एक दूसरे से बातें करते थे। इस दौरान मुझे पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि मैं उसे देखने के लिए तरसने लगी हूं।

मुझे उसकी इतनी याद आयी कि उसकी याद में मैंने एक छोटी सी कविता लिख डाली। जब वह तीन महीने बाद लौटकर आया तो मेरे पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। मैंने अपनी लिखी कविता उसे सुनायी। लेकिन उसने मुझे फिर से वही बात कहते हुए छेड़ा कि तेरी जैसी कोई लड़की नहीं हो सकती।

मैंने सोचा यही सही समय है, जब ‘रोज डे’ आया तो मैंने राहुल को अपनी भावनाओं के बारे में बताने का फैसला किया। जब मैं उससे मिलने जाने के लिए तैयार हो रही थी, मैंने उसे खिड़की से देखा। वह सफेद शर्ट और नीले रंग की जींस में बहुत ख़ूबसूरत लग रहा था। अचानक मैंने देखा कि वो घर के सामने वाली दुकान से लाल गुलाब खरीद रहा है ...यह सोच कर कि ज़रूर उसने यह गुलाब मेरे ही लिए लिया है, मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा था।

कुछ देर और इंतज़ार

मैं बहुत उतावली हो रही थी। उसे लाल गुलाब ख़रीदते हुए देखकर लगा कि वह भी मुझसे प्यार करता है। मैंने अपनी पसंदीदा लाल ड्रेस पहनी और हल्का मेकअप किया। मुझे उससे जो कुछ भी कहना था मैं मन ही मन बार बार उसे दोहरा रही थी। लंच का समय था और मैं अपनी बालकनी में बैठकर उसका इंतज़ार करने लगी। मैंने अपनी मम्मी से उसके लिए खाना रखने के लिए भी बोल दिया।

लेकिन वह नहीं आया। मैंने सोचा कि शायद वह लंच करने के बाद सो गया होगा जैसा कि वह हर वीकेंड पर करता था। इसलिए मैंने उसका कुछ देर और इंतज़ार किया। रात के आठ बज गये लेकिन राहुल मेरे घर नहीं आया।

शायद राहुल ने किसी और लड़की के लिए गुलाब खरीदा था, जो मेरे जैसी नहीं थी। मैंने सोचा, उसके मन में मेरे लिए जो भी था, शायद मैंने ही उसे ग़लत समझ लिया। ये सब सवाल मुझे पागल कर रहे थे। मुझे बस लाल गुलाब चाहिए था जो मैंने सुबह देखा था।

तो मैं नीचे उतरी और फूलों की दुकान पर गयी और मैंने ख़ुद के लिए एक सुंदर लाल गुलाब खरीद लिया।

*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।

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लेखिका के बारे में: विनयना खुराना दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.फिल कर रही हैं। उनको सेरेब्रल पाल्सी लेकिन यह उनकी पहचान नहीं है। वह एक लेखिका, कवि और हास्य कलाकार हैं। वह फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर भी हैं।