Breastfeeding problems and solutions
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स्तनपान – मुख्य तथ्य

स्तनपान इतना महत्वपूर्ण क्यों है? मैं अपने स्तन में दूध बढ़ाने के लिए क्या कर सकती हूं? मेरा बच्चा दूध नहीं पी पा रहा! ऐसे और सवाल हैं? इनका उत्तर जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।

मातृत्व एक लंबी यात्रा है जो आनंद के क्षणों के साथ-साथ कई चुनौतियों से भरा है। इस दुनिया में अपने बच्चे का स्वागत करने के तुरंत बाद, पहली चुनौती स्तनपान है। यह एक चुनौती की तरह इसलिए हो जाता है क्योंकि भले ही यह एक बच्चे को खिलाने और पोषण करने का सबसे सहज तरीका है, लेकिन यह बहुत सारी महिलाओं में नेेचुरल नहीं होता है।

स्तनपान कराना या ना कराना पर्सनल डिसिशन होता है। यह निर्णय लेने में आपकी मदद करने के लिए  यहाँ कुछ ज़रूरी जानकारी दी गयी हैं:

स्तन का दूध आवश्यक पोषक तत्वों का स्रोत है

स्तन का दूध नवजात शिशुओं के लिए आदर्श भोजन है। वसा ((फैट) , विटामिन, प्रोटीन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों के बैलेंस के साथ के साथ, स्तन के दूध में वह सब कुछ होता है जो एक बच्चे को विकास के लिए ज़रूरी है। शिशुओं को स्तनपान कराने के कुछ प्रमुख लाभों में शामिल हैं:

स्तन का दूध पचाने में आसान होता है, और जिन शिशुओं को विशेष रूप से स्तनपान कराया जाता है, उनमें पाचन संबंधी समस्याएं जैसे दस्त, कब्ज और उल्टी नहीं होती हैं।

स्तनपान से शिशुओं में साँस और कान के इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाता है।

स्तन के दूध में जीवित कोशिकाएँ और स्टेम कोशिकाएँ (स्टेम सेल) होती हैं, जो शिशुओं के अंगों जैसे मस्तिष्क, यकृत (लिवर), गुर्दे (किडनी), हृदय और हड्डी के के विकास में मदद करता है। 

रिसर्च बताती हैं कि स्तनपान करने वाले बच्चे उच्चतर आईक्यू (IQ) विकसित करते हैं।

यह स्वस्थ वजन बढ़ाने को बढ़ावा देता है और जीवनकाल में मोटापे की संभावना को कम करता है।

स्तनपान को टाइप 1 मधुमेह (डायबिटीज), गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (पेट और डाइजेशन) बीमारियों, मूत्र पथ के संक्रमण (यूरीन इन्फेक्शन), मेनिन्जाइटिस (दिमागी बुखार) , यकृत (लिवर) रोग और हृदय रोग के जोखिम को कम करने के लिए जाना जाता है। 

पहला दूध, जिसे कोलोस्ट्रम के रूप में जाना जाता है, विशेष प्रोटीन में समृद्ध होता है जो बच्चे के आंतों के मार्ग के अंदर एक कोटिंग बनाता है। इस प्रकार, उन्हें हानिकारक बैक्टीरिया के निर्माण से बचाते हैं।

चूँकि आपके भोजन के अनुरूप ब्रेस्टमिल्क के स्वाद, बनावट और गंध में बदलाव आता है, स्तनपान करने वाले बच्चे खाने के मामले में कम चूजी होते हैं।

यही कारण है कि WHO पहले छह महीनों में बच्चों को विशेष रूप से स्तनपान कराने की सलाह देता है और इस अवधि में ताजा रस या पानी की भी सलाह नहीं देता है। यहां तक ​​कि जब आपका बच्चा ठोस पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देता है, तब से भी कम से कम दो साल तक स्तनपान जारी रखने की सलाह दी जाती है।

स्तनपान से मां को भी लाभ होता है

स्तनपान का लाभ सिर्फ़ बच्चे तक सीमित नहीं है। एक नई माँ को भी इससे बहुत लाभ मिलता है:

एक दिन में 8-12 बार स्तनपान कराने से आपको 500-600 कैलोरी खर्च करने में मदद मिल सकती है और आपको 12 महीने के भीतर गर्भावस्था से पहले वाले बीएमआई (वज़न/काठी) में वापस आने में मदद मिल सकती है।

जब आप स्तनपान करते हैं तो मस्तिष्क ऑक्सीटोसिन और प्रोलैक्टिन जैसे हार्मोन जारी करता है। ये हार्मोन आपको आपके बच्चे के साथ बंधन में मदद करते हैं और पोस्टपार्टम ब्लूज़ (डिलीवरी के बाद का डिप्रेशन) को भी कम करते हैं।

स्तनपान महिलाओं में डिम्बग्रंथि (ओवरी) और स्तन कैंसर के खतरे को कम करता है, साथ ही अन्य जीवन पर खतरे की स्थिति जैसे टाइप -2 मधुमेह, स्ट्रोक और हृदय रोग के आसार भी कम करता है।

यह आपके गर्भाशय को अपने नियमित आकार में वापस लाने में मदद करता है और प्रसवोत्तर रक्तस्राव (डिलीवरी के बाद की माहवारी) को कम करता है।

स्तनपान प्रसव के बाद मासिक धर्म की बहाली को गति देता है, जिससे अनचाही प्रेगनेंसी की संभावना कम हो जाती है।

स्तनपान की अपनी चुनौतियां भी हैं

अमेरिका में किए गए एक अध्ययन से संकेत मिलता है कि 92 प्रतिशत महिलाएं जन्म देने के बाद पहले कुछ दिनों में स्तनपान के साथ संघर्ष करती हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में, 70 प्रतिशत नई माताओं को स्तनपान चुनौतीपूर्ण लगता है। इन आंकड़ों के आधार पर, यह स्पष्ट है कि असंख्य लाभों के बावजूद, अधिकांश महिलाओं के लिए स्तनपान आसान या स्वाभाविक नहीं है।

स्तनपान में मिलने वाली कुछ शीर्ष चुनौतियाँ हैं

बहुत अधिक दूध भर जाना: बहुत अधिक दूध की आपूर्ति करने के कारण आपके स्तन पत्थर से ठोस हो सकते हैं और घाव भी हो सकता है। इस स्थिति में दूध पीने से बच्चे को दिक्कत हो सकती है या दर्द बढ़ सकता है। मालिश, गर्म और ठंडे पानी से सेकने से यह असुविधा कम हो सकती है।

मास्टिटिस (Mastitis) : स्तन के सूजन की समस्या इन्फेक्शन या दूध नलिकाओं के भर जाने के कारण हो सकती है। मास्टिटिस से सूजन और फ्लू जैसे लक्षण होते हैं। इसमें थकान और बुखार भी शामिल हो सकते हैं।

गलत पकड़: बच्चे की निप्पल पर चूसने के लिए सही पकड़ (latching) समझने में माँ और बच्चों को अक्सर दिक्कत आती है। जब तक बच्चा सही तरीके से दूध नहीं सोखता, न तो दूध सही तरीके से निकलता है और न ही बच्चे का पेट भर पाता है। यह दर्दनाक रूप से लंबे समय तक का स्तनपान सत्र होता है और बच्चा भी भूखा और चिड़चिड़ा हो सकता है। दोनों ही निराशाजनक अनुभव हो सकते हैं।

सप्लाई में कमी:  यदि आपका शिशु लंबे स्तनपान के सत्र के बाद भी संतुष्ट नहीं है या वह पर्याप्त गंदे डायपर (दिन में कम से कम छह) नहीं छोड़ रहा है, तो यह सप्लाई में कमी की समस्या हो सकती है।

उलटे निप्पल: कुछ महिलाओं के निपल्स अंदर की ओर या सपाट होते हैं। यह लेचिंग (निप्पल पर पकड़) को मुश्किल बना सकता है और स्तनपान एक समस्या सकता है। इसमें बच्चे स्तन की त्वचा को चूसते हैं और निपल्स को नहीं, यह सतह पर दरारें पैदा कर सकता है, जिससे मां के लिए अनुभव बेहद दर्दनाक हो जाता है। बाजार में उपलब्ध सिलिकॉन निपल्स इस स्थिति में जीवन-रक्षक हो सकते हैं।

समस्या से कैसे निबटें

यदि आप अपने बच्चे को स्तनपान कराना चाहते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो रही है, तो मदद के लिए दादी माँ के नुस्खे काफ़ी कारगर साबित हो सकते हैं। यहां कुछ सलाह दी गई हैं जिनसे आप यह कोशिश कर सकते हैं कि दूध की सप्लाई ठीक मात्रा में हो और बच्चे को यह लगातार मिलता रहे:

मेथी के बीज: आप बीज को पानी में उबालकर शहद के साथ पी सकते हैं। या फिर बीज का उपयोग करी, सब्जी या मांस में भी किया जा सकता है।

सौंफ़ के बीज: सौंफ़ के बीज के साथ पानी या चाय आमतौर पर भारत में स्तनपान कराने वाली माताओं को दिया जाती है।

बीज: स्थानीय खाद्य पदार्थों और तापमान के आधार पर जीरा, तिल, तिल के बीज का उपयोग देश के विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।

हरी सब्जियां : हरी पत्तेदार सब्जियां, विशेष रूप से लौकी, स्वस्थ स्तनपान को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।

दाल: दूध की आपूर्ति में सुधार के लिए लाल मसूर या मसूर दाल भी बढ़िया भोजन माना जाता है।

घी: घी, नट्स और सूखे खाद्य पदार्थों के साथ मिलाया जाने वाला दूध भारतीय घरों में नई माताओं को दिया जाने वाला एक पारंपरिक नुस्खा है।

क्या आपको अधिक सहयोग की आवश्यकता है?

यदि आप स्तनपान की समस्या से जूझ रही हैं, तो स्तनपान सलाहकार से परामर्श ले सकतीं हैं या Breastfeeding Support for Indian Moms, Breastfeeding Promotion Network of India और La Leche League support in India आदि समूहों की मदद ले सकती हैं। 

स्तनपान हमारे समाज में बहुत सारे ज्ञान और बिन मांगी सलाह को आमंत्रित कर सकता है। स्तनपान के स्टैंडर्ड्स को पूरा नहीं कर पाने पर आप बिल्कुल भी खुद पर दबाव नहीं डालें डालें या दोषी महसूस करें।

यदि आपकी दूध की सप्लाई ठीक है, तो आप अपने दूध को निकालने के लिए एक स्तन पंप का उपयोग कर सकती हैं, क्योंकि  दर्दनाक / भारी स्तनों के कारण आप बच्चे को दूध पिलाने में दिक्कत आ सकती है। दूध की सप्लाई में कमी या कोई अन्य समस्या के मामले में, अपने बच्चे के लिए एक फार्मूला दूध चुनने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें। आप डॉक्टर से यह सलाह भी ले सकतीं हैं कि क्या बच्चे को इसके बदले गाय / बकरी के दूध दिया जा सकता है या नहीं। बाल रोग विशेषज्ञ इस मामले में परामर्श करने के लिए सबसे सही रहेंगे।

अंत में, यह आपकी पर्सनल चॉइस है। एक माँ के रूप में, केवल आप ही जानती हैं कि आपके और आपके बच्चे के लिए सबसे अच्छा क्या है।

स्तनपान की समस्या पे कोई सवाल? नीचे टिप्पणी करें या हमारे चर्चा मंच पर विशेषज्ञों से पूछें। हमारा फेसबुक पेज चेक करना ना भूलें।

आरुषि चौधरी एक फ्रीलैंस पत्रकार और लेखिका हैं, जिन्हें पुणे मिरर और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे प्रिंट प्रकाशनों में 5 साल का अनुभव है, और उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रिंट प्रकाशनों के लिए लगभग एक दशक का लेखन किया है - द ट्रिब्यून, बीआर इंटरनेशनल पत्रिका, मेक माय ट्रिप , किलर फीचर्स, द मनी टाइम्स, और होम रिव्यू, कुछ नाम हैं। इतने सालों में उन्होंने जिन चीजों के बारे में लिखा है, उनमें से मनोविज्ञान के प्रिज्म के माध्यम से प्यार और रिश्तों की खोज करना उन्हें सबसे ज्यादा उत्साहित करता है। लेखन उनका पहला है। आप आरुषि को यहां ट्विटर पर पा सकते हैं।

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