इसको हर्पीस सिंप्लेक्स के रूप में भी जाना जाता है, यह मूल रूप से एक त्वचा संक्रामक वायरस है जो आपके होंठों के किनारे (कोल्ड सोरेस, एचपीवी -1) या आपके जननांगों (जननांग दाद, एचपीवी -2) के आसपास दिखाई देता है। इस बीमारी के बारे में बहुत गलत धारणाएं प्रचलित हैं लेकिन सच यह है कि इसे आसानी से एक एंटी वायरल चिकित्सा के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। इस बीमारी को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन अगर आप आवश्यक खुराक लें तो इसके दुर्बल लक्षणों का आसानी से इलाज किया जा सकता है। अधिकतर लोगों को तो यह पता भी नहीं लग पाता कि वो हर्पीस से पीड़ित हैं क्यूंकि यह लक्षण हर किसी के शरीर में नहीं नज़र आतेI
इनको गुप्तांग का मस्सा भी कहा जाता है, और यह मानव पपिलोमावायरस (एचपीवी) के कुछ लक्षणों के कारण होते हैंI ये दर्द, असुविधा और खुजली पैदा कर सकते हैं और पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाए जाते हैं लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज़्यादा पाए जाते हैंI अगर इनके बुनियादी संक्रमण का इलाज नहीं किया जाए तो यह बार-बार आते रहेंगेI अगर किसी व्यक्ति को जेनिटल वार्ट्स हो गए हैं तो भी इसके लक्षणों को नज़र आने में कई सप्ताह लग सकते हैंI हालांकि इसके लक्षण उपचार योग्य हैं और यह बीमारी (वायरस), इलाज योग्यI
क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस पूरे विश्व में सबसे आम एसटीआई हैI इस बीमारी से संक्रमित बहुत से लोगों को इसका कोई भी स्पष्ट लक्षण नहीं दिखता और इसलिए इससे प्रभावित व्यक्ति को कई वर्षों तक पता नहीं चल पाता कि उसे यह बीमारी हैI जननांगों से पीले रंग के द्रव्य का निर्वाह होना और उस हिस्से में दर्द होना क्लैमाइडिया के ज्ञात लक्षण हैंI इस रोग का इलाज संभव है और किसी भी चिकित्सक द्वारा इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है। यदि इसका उपचार ना किया जाए, तो यह महिलाओं में श्रोणि सूजन बीमारी और पुरुषों में मूत्रमार्ग के संक्रमण का कारण बन सकता है।
इसे क्रेब के रूप में भी जाना जाता हैI यह संक्रमण तब होता है जब जूँ आपके जघन क्षेत्र को संक्रमित करने लगे। अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संपर्क स्थापित करते हैं जिसे पहले से यह रोग है तो आप को भी जघन जूँ हो सकता हैI ऐसे व्यक्ति के बिस्तर, चादर, तौलिए या कपड़ो के संपर्क में आने से भी आप जघन जूँ से संक्रमित हो सकते हैंI जननांगों में खुजली होना या जननांगों में जूँओं का पाया जाना इस बीमारी के आम लक्षण हैं। विभिन्न तेलों का इस्तेमाल और कई ऐसे समाधान हैं जो कि प्रभावी रूप से जघन जूँ का इलाज कर सकते हैं। वैसे तो यह इस सूची में शामिल कई अन्य बीमारियों की तरह कमज़ोर नहीं है लेकिन यह निश्चित रूप से सबसे शर्मनाक है।
इसे 'सात साल की खुजली' के रूप में भी जाना जाता हैI यह संक्रमण सरकोप्टेस स्केबीई नामक कण से फैलता हैI यह रोग सांसर्गिक है और संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के संपर्क में आने से होता हैI यह कण संक्रमित व्यक्ति की त्वचा में घुस जाते हैं और उस हिस्से में चकत्ते और खुजली शुरू हो जाती हैI हर साल भारत में खाज के दस लाख से अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं। इसको ठीक करने के लिए आपको आठ घंटे के लिए गले से पूरे शरीर तक त्वचा में मरहम लगना पड़ता है या फ़िर आप इसका निवारण गोलियों के द्वारा भी कर सकते हैंI
सन्दर्भ:
http://www.nhs.uk/pages/home.aspx
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