आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी?
उस दिन एलिजाबेथ बहुत निराश थीं। उन्हें किसी भी हाल में अजमोद (Parsley) चाहिए था। लेकिन दुकानदार ने उन्हें पुदीना और धनिया की पत्तियां देते हुए पूछा कि आपको अजमोद की क्या ज़रूरत है, आज़ घर में कुछ ख़ास है क्या? एलिजाबेथ काफी जल्दी में थी। उन्होंने दुकानदार को नहीं बताया कि उन्हें अजमोद की ज़रूरत क्यों है। शायद वह बता भी नहीं सकती थीं।
एलिजाबेथ अपने दो साल के बेटे के साथ अर्जेंटीना में रहती थी। कुछ दिन पहले ही उन्हें पता चला था कि वह फ़िर से मां बनने वाली हैं। लेकिन इस ख़बर से उन्हें कोई ख़ुशी नहीं हुई। परिवार की ख़राब आर्थिक हालात को देखते हुए वो दूसरे बच्चे के बारे में सोच भी नहीं सकती थीं।
अर्जेंटीना में गर्भपात कराना क़ानूनी तौर पर अवैध है। एलिजाबेथ कुछ ऐसी जगहों के बारे में जानती थीं जहां गुपचुप तरीके से गर्भपात किया जाता था। लेकिन वहां फीस बहुत ज़्यादा थी और उनके पास पैसा नहीं था। इसलिए इस तरह की क्लिनिक में गुपचुप तरीके से गर्भपात कराने का भी विकल्प अब बचा नहीं था।
क्लीनिक में गर्भपात कराने में एक अलग ही ज़ोखिम था। अगर वहां कोई छापा पड़ता या वह पकड़ी जातीं तो गर्भपात कराने के ज़ुर्म में उन्हें चार साल के जेल की सजा हो सकती थी।
दिमाग में चल रहे उथल पुथल के साथ वह बाज़ार पहुंचीं। गली की आखिरी दुकान पर अंततः उन्हें ढेर सारा अजमोद मिल ही गया। उन्होंने अजमोद के बंडल को अपने बैग में रखा और घर लौट आयीं।
उस रात के बाद एलिजाबेथ ने वो किया जो उनसे पहले कई महिलाएं कर चुकी थीं, शायद वो भी। उन्होंने अपनी योनि में अजमोद डाल लिया।
तीसरी और अंतिम बार
इसके बाद एलिजाबेथ के शरीर में काफी तेज झनझनाहट हुई। उन्होंने घर पर ही अपना गर्भपात करने के लिए बहुत ख़तरनाक तरीका अपनाया था। उन्होंने सोचा था कि अजमोद की पत्तियां खून के प्रवाह को बढ़ा देंगी जिससे भ्रूण का गर्भपात हो जाएगा। वास्तव में दुनिया भर में बहुत सी हताश महिलाएं अपने जीवन को ख़तरे में डाल कर ऐसे ही ख़तरनाक तरीके से गर्भपात करने का प्रयास करती हैं।
एलिजाबेथ की हालत बिगड़ गई और उन्हें ब्यूनस आयर्स के एक अस्पताल में ले जाया गया।
जब डॉक्टरों को पता चला कि उन्होंने अजमोद से गर्भपात करने का प्रयास किया था, तो वे समझ गए कि एलिजाबेथ को सेप्टिक शॉक और संक्रमण हो गया है। उन्होंने एलिजाबेथ का गर्भाशय निकालने का फ़ैसला किया।
डॉक्टरों ने तुरंत एलिजाबेथ का ऑपरेशन किया लेकिन अस्पताल में आईसीयू ना होने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें आपातकालीन कक्ष में रखा। एक दिन बीतने के बाद भी जब उनकी हालत में कोई सुधर नहीं आया तो डॉक्टरों ने उन्हें दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया।
तब तक बहुत देर हो चुकी थी और संक्रमण बहुत ज्यादा फैल चुका था। गर्भाशय निकालने के एक दिन बाद और घर पर गर्भपात करने की कोशिश के दो दिन बाद 13 अगस्त, 2018 को एलिजाबेथ की मौत हो गयी।
एलिजाबेथ ने कथित तौर पर इससे पहले भी दो बार घर पर गर्भपात करने का प्रयास किया था।
एक जानलेवा कानून
एलिजाबेथ की मौत ने पूरे अर्जेंटीना को गुस्सा और हताशा से भर दियाI
’राइट टू डिसाइड’ के डॉक्टरों (हेल्थ प्रोफेशनल्स) की टीम के एक प्रतिनिधि ने अर्जेंटीना के अखबार क्लेरिन को बताया कि ‘अगर गर्भपात वैध होता तो आज एलिजाबेथ की जान नहीं गई होती।’
अर्जेंटीना के राजनेताओं द्वारा इस बिल के ख़िलाफ़ मतदान करने और 14 सप्ताह तक के गर्भपात को वैध बनाने की मांग करने के कुछ दिनों बाद ही एलिजाबेथ की मृत्यु हो गई।
अर्जेंटिना सरकार के इस निर्णय का विरोध करने के लिए एलिजाबेथ के परिवार के साथ देश भर के कार्यकर्ता एकत्र हुए।
कोई बदलाव नहीं
वर्तमान में केवल बलात्कार के मामलों या जब एक मां का जीवन या स्वास्थ्य खतरे में हो, तभी अर्जेंटिना में गर्भपात कराने की अनुमति है। अन्य सभी मामलों में गर्भपात कराने पर चार साल तक की जेल की सजा है।
एक अनुमान के अनुसार अर्जेंटीना में हर साल 350,000 से अधिक अवैध गर्भपात होते हैं। ये गर्भपात काफ़ी भयावह परिस्थितियों में किए जाते हैं और ख़ासतौर से गरीब महिलाएं अस्पताल में भर्ती होती हैं और दम तोड़ देती हैं। एलिजाबेथ भी उन्हीं में से एक थीं।
आशा की किरण
एलिजाबेथ की मौत ने अर्जेंटिना के कार्यकर्ताओं को कानून से लड़ने के लिए और भी दृढ़ कर दिया। गर्भपात के ख़िलाफ़ देश के आंदोलन को 'द ग्रीन वेव' नाम दिया गया।
ग्रीन वेव ’के कार्यकर्ताओं का तर्क है कि कानूनी गर्भपात का मतलब यह नहीं है कि अधिक महिलाएं गर्भपात कराने का विकल्प चुनेंगी। बल्कि कम महिलाएं अस्पताल में भर्ती होंगी और अवैध या असुरक्षित गर्भपात के कारण नहीं मरेंगी।
उम्मीद है कि अर्जेंटीना सहित दुनिया भर के एलिजाबेथ को सुरक्षित तरीके से गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए ताकि वे अपना जीवन दांव पर ना लगाएं।
गोपनीयता बनाए रखने के लिए नाम बदल दिए गए हैं और तस्वीर में दिख रही महिला केवल प्रतिनिधित्व कर रही है। वह 3 अगस्त, 2018 को ब्यूनस आयर्स में गर्भपात के समर्थन में आयोजित प्रदर्शन में भाग ले रही है।
लव मैटर्स महिलाओं को अपने शरीर के बारे में निर्णय लेने एवं अधिकारों को चुनने का समर्थन करता है। लव मैटर्स पर गर्भपात और गर्भनिरोधक विकल्पों के बारे में और पढ़ें। कहानी की प्रस्तावना में नाटकीयता हो सकती है। कहानी के मुख्य बिंदु सत्य और तथ्यपूर्ण हैं। मूल कहानी क्लैरिन पर पढ़ें।
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