मैं बदसूरत हूँ, मेरी मदद कीजिये!

Submitted by Auntyji on रवि, 08/28/2016 - 09:02 बजे
आंटी जी, मुझे अपने शरीर से नफ़रत है। मैं ना तो मोटी हूँ और ना ही ज़रूरत से ज़्यादा पतली, लेकिन फ़िर भी भद्दी दिखती हूँ। मेरा ना ही बाहर जाने का मन करता है और ना ही किसी से बात करने का। प्लीज़ मेरी मदद कीजिये! रमन (22), लुधियाना।

आंटी जी कहती हैं... ओये कुड़िये तेरा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है? बेटा तू यह कैसी बातें कर रही है? ना पुत्तर ना, ऐसे नहीं बोलते। चल मैं बताती हूँ कि तुझे क्या करना चाहिए।

फ़साद की जड़

बेटा आखिर हुआ क्या है? क्या तेरा किसी से झगड़ा हुआ है? या फ़िर किसी ने तेरा मज़ाक उड़ाया है, दिल दुखाया है, या बदतमीज़ी की है? तू दस् मैनु, मैं अभी उसका तिया-पांचा करती हूँ। रमन क्या तुझे किसी ने बोला है कि अच्छा और बुरा शरीर क्या है? इस बात का फैसला हम कैसे ले सकते हैं कि शरीर की सही बनावट, सही रंग, सही वज़न और सही लंबाई क्या है?

मुझे तो पहले यह बता कि तेरा दिमाग मीडिया में चल रही बेकार की बातों ने खराब किया है या तेरे बॉयफ्रेंड ने? तुझे किसके लिए सजना संवारना है? मेरे कहने का मतलब यह है कि अगर तुझे किसी के लिए तैयार होना भी है तो अपने लिए हो। किसी और के लिए नहीं!

समझी बेटा? यह तुझे किसी से भी पूछने की ज़रुरत नहीं है कि तू कैसी दिखती है और तुझे कैसा दिखना चाहिए क्योंकि यह फैसला लेने का हक़ सिर्फ़ तेरा है। समझ गयी ना?

हिम्मत मत हार

वैसे एक बात तो मैं समझ गयी, यही कि तू भी पूरी झल्ली है। ओये पुत्तर ऐ की गल हुई? छोटी शुरुआत कर। रोज़ थोड़ा-थोड़ा भागने का नियम बना। इसमें किसी की मदद की ज़रुरत नहीं है और तू यह अकेले भी कर सकती है। घर के आसपास कोई पार्क तो होगा ना? बस वही चली जाया कर। और पार्क ना भी हो तो कहीं भी भाग ले बिटिया, या स्विमिंग कर ले, मतलब कोई भी ऐसा शारीरिक वयायाम जो तू आसानी से कर सके।

वैसे यह बात तो तुझे भी पता ही होगी लेकिन फिर भी एक बार और बता देती हूँ की सिर्फ़ व्यायाम करना ही काफ़ी नहीं है, अपने खाने-पीने का भी ध्यान रखना पड़ेगा। अगर इस बारे में जानकारी नहीं है तो इंटरनेट पर या किताबों की मदद ले। लेकिन जानकारी का स्त्रोत देख लेना, ऐसे ही किसी की भी कही या लिखी बात पर भरोसा मत करना।

कभी भी भूखी मत रहना रमन। मेरी एक बात गाँठ बाँध ले, की भूखे पेट तो भजन भी नहीं होता।

नारी शक्ति

एक और चीज़ जो इस समय तेरी बहुत मदद कर सकती है वो है तेरी सहेलियांI ये सहेलियां भी हमारी ज़िन्दगी कितनी आसान कर देती हैं ना! उनसे पूछ कि तुझे क्या करना चाहिएI

उनको यह ज़रूर बता देना कि मदद का मतलब यह नहीं कि वो तेरी कमियां निकालनी शुरू कर दें बल्कि उन्हें तुझे यह बताना है कि तुझ पर क्या अच्छा लगेगा, तुझे कैसे कपड़े पहनने चाहिए और तेरे बालों का स्टाइल क्या होना चाहिएI बेटा अपने पर थोड़ा ध्यान देना शुरू कर क्योंकि तू जितना अच्छा दिखेगी उतना ही अच्छा महसूस करेगीI

रमन बेटा, इस दुनिया में अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग हैंI लोग आपसे कैसा व्यवहार करते हैं वो इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें आपसे मिलकर कैसा लगा, है ना? अब अगर तू कुढ़ती रहेगी तो बता तेरे साथ कौन रहना पसंद करेगा लेकिन अगर तू सबके साथ अच्छे से पेश आएगी तो वो भी तेरे साथ रहना पसंद करेंगेI

पुनर्निर्माण

बेटा अब अगर शरीर की बात करें तो है तो अपना ही ना और ज़िंदगी भर यह हमारे साथ ही रहेगाI तो इससे क्या गिले-शिकवे करने, इसे तो बस एक झप्पी दो और बन गया कामI अब अगर हम जिस घर में रहते हैं उससे बोरियत होने लगे तो क्या करते हैं? नया पेंट करवा लेते हैं,परदे बदल देते हैं, सामान थोड़ा इधर-उधर कर देते हैं और हो गया घर नयाI बस यही अब तुझे करना हैI

क्या आप को भी अपने शरीर से नाराज़गी है? अपने विचार हमें नीचे लिखें या फेसबुक के ज़रिये बताएंI अगर आपके मन में कोई सवाल हों तो हमारे चर्चा मंच का हिस्सा बनेंI