आंटी जी, प्लीज़ मुझे बताइये की क्या इस बात में कोई सच्चाई है? ऋतुप्रिया (23), भोपाल
आंटी जी का कहना है...ओ हो! ये कहाँ फस गयी तू मेरी प्यारी ऋतू पुत्तर? तू वाकई में एक अजीब से स्तिथि में है - इसलिए नहीं क्यूंकि ये सब जो तू कह रही है माहवारी के बारे में वो सच है, लेकिन इसलिए क्यूंकि इन सभी पुरुष और महिलाओं को ये समझाना की माहवारी में कोई बुराई नहीं, बड़ा ही मुश्किल काम हैI
साफ़-सुथरी
परेशानी ये है की ये सारी माहवारी से जुडी गलत धारणाएं इससे आती हैं की माहवारी के दौरान लड़कियों को गन्दा, अस्वच्छ और अपवित्र समझा जाता हैI दस्सो जी! ये सब इसलिए ना क्युकी उसकी योनि से खून निकल रहा है, है ना? मान लो अगर कोई लड़की गिर जाये और उसकी नाक से खून बहने लगे, तो हम उसे गन्दी और अस्वच्छ क्यों नहीं समझते और बुलाते हैं?
अब ऐसे चोट लगने पर तो सारी मम्मियां और चाचियाँ चिल्ला -चिल्ला कर रो रही होती हैं की "हाय रब्बा, मेरी बेटी नु की हो गया!" मेरी बात सुन बीटा - माहवारी वाला खून गन्दा बिलकुल नहीं होता और ना ही ये अपवित्र होता हैI ये सिर्फ शरीर के अंदर का वो खून होता है जिसकी शरीर में ज़रूरत नहीं होती सुर इसलिए ये शरीर के बाहर आ जाता हैI एक तरह से तो हम इसे शरीर के अंदर सफाई का काम कह सकते हैंI इसलिए अपनी चाची 420 को बोल की बिना कुछ जाने-समझे यो ही ना बातें करती फिरे!
मुलायम गद्देदार तकिया
जब कोई लड़की गर्भवती होती है तो सबसे पहले क्या होता है? उसकी माहवारी बंद हो जाती हैI क्यों? क्यूंकि गर्भशय की लाइन जिसके टूटने की वजह से हर महीने माहवारी होती है, इसी लाइन को बिना टूटे एक गद्देदार तकिये की तरह युग्मज (zygote ) को आराम करने देने की जगह का काम करना पड़ता हैI
तो फिर तू खुद सोच की ये माहवारी वाला खून गन्दा या अस्वच्छ क्यों होगा? तू सोच और मुझे बताI ये वही खून और लाइन है जो भ्रूण को आराम देने का बढ़ने में मदद देने का काम करती हैI तो जब ये लाइन ये काम नहीं कर रही होती है तो इसलिए वो प्राकर्तिक रूप से शरीर के बाहर आ जाती हैंI अब ये क्या बात हुई की कुछ लोग उसे गन्दा खून मानने लगेI क्या इस बात में कोई सच्चाई है? दस तू मैनुI नहीं है ना?
भरपूर मिथ्या
आये हाय...ये माहवारी के आस-पास भी क्या-क्या मिथ्या और गलत धारणाएं बना बैठे हैं लोगI अब मैं ही बता दूँ तुझे कुछ ऐसे मिथ्या के बारे मेंI आचार ना छूने देना, ना ही दही, और ना ही तुलसी का पौधा - ऐसा किया तो सब ख़राब हो जायेगे और तुलसी पौधा मर जायेगाI अब ये तो कोई मैनु बताये की अकहिर माहवारी वाला खून क्या अपने-आप किसी लड़की के हाथ में आकार आचार या तुलसी पौधे पर लग जायेगाI मतलब तू दस मैनु...क्या ऐसा होना मुमकिन है?
और अगर माहवारी में इतनी खतरनाक बीमारियां हैं तो सबसे पहले तो ये खुद लड़की के शरीर पर असर दिखानी चाहिए ना? या फिर किसी भी ऐसे व्यक्ति पर जो माहवारी होने वाली लड़की के आस-पास भी आता है या उन्हें छूता हैI
तो बेटा जी - ये भी बता दूँ तुझे की कुछ लोग इस बारे में क्या करते हैं - हर माहवारी होने वाली लड़की को एक कमरे में बंद कर दो, जहाँ वो कुछ ना कर पाये - किसी से मिल भी ना पाये, उसको ज़मीन पर भी सुला दो? क्यों? क्यूंकि उसका शरीर अच्छी स्तिथि में नहीं है? वाह जी वाह! लोगों ने भी अजीब ही तरकीबें निकली हुई हैं लड़कियों को दबा के रखने कीI
सीधी बात
अब ऋतू, तेरी पागल चाची और बहन की बात करते हैंI एक काम कर - तू अपनी मम्मी को थोड़ा बाहर कहीं घूमने लेकर जा, और हो सके तो अपनी कुछ सहेलियों को और अपने कोई और बहन को जो तेरी जैसी सोच की हो, उन्हें भी वहां बुलाI फिर तू अपनी माँ को अपनी परेशानी बताI अपने सारे सवाल उनके सामने भी रखI उनकी बात को काट भी और अपनी भावनाएं उन्हें बताI और उन्हें ये भी बता पुत्तर की इस तरह की बकवास बातें सभी महिलाओं को नीचा दिखने वाली हरकतें होती हैंI
अब दूसरे के बारे में क्या कहे जब खुद हमारा परिवार ही ऐसी सोच रखें जो हमें नीचे दिखाए और वो भी इसलिए क्यूंकि शरीर प्राकर्तिक रूप से अपना काम कर रहा है! और उनको यह भी बता की तेरी उस चाची की बातों में आकर वो खुद भी बहुत गलत काम कर रही हैंI ये समजह ले तू की बस उनकी कॉफ़ी खत्म होने तक तुझे अपनी सारी बात उनके सामने रखनी हैI
व्यह्वारिक होना
और हाँ अपनी उस सौतेली बहन को भी तो एक लेक्चर दे की वो कैसे अपनी माँ, यानी तेरी चाची की बातों में आकर वो खुद अपनी ज़िन्दगी खराब कर रही है और कहीं उसे पछताना ना पड़े बाद मेंI
उदहारण के तौर पर, अब मान ले की वो रोम गहने जाये और वेटिकन सिटी पहुंचे और वहां के खूबसूरत चर्च जाये जहाँ शायद उसे फिर कभी जाने का मौका ना मिलेI तो अगर उस समय उसे माहवारी हो रही होगी तो क्या वो चर्च में नहीं जाएगी? और अगर वो काम के सिलसिले में कभी अपने सहकर्मियों के साथ शहर के बाहर जाये तो क्या वो माहवारी के दौरान ज़मीन पर सोयेगी होटल में? और मान ले गारा उसका बॉय फ्रेंड या पति उसे माहवारी के दौरान सेक्स करने के लिए कहेI तो क्या वो ये यहेगी की "नहीं, मैं ये नहीं कर सकती, कहीं मेरे साथ इस समय सेक्स करने से तुम मर ना जाओ!"
ओ मेरी झल्ली - कमली बेटा जी! अच्छी पढाई-लिखे और नौकरी का मतलब हमेशा ये नहीं होता की आपको सारी जानकारी की गारंटी भी मिल गईI
मास्टर-प्लान
पुत्तर, ये भगवान ही है जिन्होंने ये शरीर बनाया है और हमारा शरीर कैसे काम करेगा ये भी तय किया हैI लेकिन ये किसी भगवान ने नहीं कहा की महिलाओं के अंगों को लेकर उन्हें नीचे दिखाया जाये और उनके साथ गलत होI ये पुरुष-प्रधान समाज की दाखियानूसी बातें है जिन्हे सीधे कचरे के डब्बे में फेक देना चाहिएI एबीएस अपने आप को स्वस्थ रखI मस्त खा,पी और वो कर जो तुझे मन करता है - मेरी कुड़ी ऐश कर तू!